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प्रशासन ने 10 बार घर तोड़ा, 27 अप्रैल को झुग्गी में आग लगी, 27 मई को थी परीक्षा, और फिर झारखंड में बन गईं जज

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सिर से पिता का साया उठ चुका था। बार-बार उसका घर उजड़ रहा था। एक बार नहीं, 16 बार उजड़ा। लेकिन, सपना टूट नहीं जाए इसलिए उसने सड़क के फूटपाथ पर बैठक अपनी पढ़ाई किया और झारखंड में जज बन गई……”

एक्सपर्ट मीडिया न्यूज डेस्क। जी हां,  हम चर्चा कर रहे हैं पानीपत की बिटिया रुबी की। उसकी कहानी अब दूसरों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गई है। जीटी रोड पर ही अनाजमंडी के पास कुछ कच्चे घर (झुग्गी) हैं। इन्हीं में से एक में रूबी का परिवार भी रहता है।

वेस्ट कारोबार में मजदूरी करने वाले परिवार की रूबी पढ़-लिखकर अफसर बनना चाहती थी। सपना बड़ा था तो रुबी ने अपने सपने को साकार करने के लिए परिश्रम भी दिन रात किया।judge rubi1

चार बहनों में सबसे छोटी रूबी ने अंग्रेजी में एमए करने के बाद संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा दी, लेकिन सफल नहीं हुई। फिर भी उसने अपने हौसले को टूटने नहीं दिया। वो जब अपना सपना बुन रही थी, इसी दौरान प्रशासन ने उसके कच्चे मकान को ढहाने के लिए अभियान चलाए। एक बार नहीं 10 बार उसका घर टूटा।

सड़क पर आने की नौबत आई। इन मुसीबतों के बावजूद रूबी पीछे नहीं हटी। दिल्ली विश्वविद्यालय से वर्ष 2016 में एलएलबी की। वर्ष 2018 में उत्तर प्रदेश और हरियाणा न्यायिक सेवा की परीक्षा में बैठी, लेकिन अभी भी सफलता उससे दूर थी। इधर, मुसीबतों का पहाड़ भी उसके ऊपर गिर पड़ा था।

27 अप्रैल, 2019 को उनकी झुग्गी में आग लग गई। एक माह बाद 27 मई को झारखंड न्यायिक सेवा की परीक्षा थी। ऐसे में कई बार फुटपाथ पर बैठकर पढ़ना पड़ा। प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा पास करने के बाद 10 जनवरी 2020 को साक्षात्कार देकर जब लौटी तो मन में सफलता की आस बंध गई।

आखिरकार सफलता मिल ही गया और सिविल जज (जूनियर डिविजन) के परिणाम में 52वीं रैंकिंग हासिल प्राप्त कर लिया।

रूबी ने कहा दो वक्त की रोटी का इंतजाम नहीं कर पाना, जीवन की सबसे बड़ी बाधा बताया। वालिद अल्लाउद्दीन की 2004 में असामयिक मौत के बाद अम्मी जाहिदा बेगम ने हम पांच भाई-बहनों को बड़ा किया। मां ने तंगी झेलकर उसकी हर ख्वाहिश पूरी की। भाई मोहम्मद रफी ने हमेशा हौसला बढ़ाया।

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