“बताईये डीएम साहब, अब आप राजगीर एसडीओ की इस कार्यशैली को किस पॉजिटिविटी में लेगें “
-: मुकेश भारतीय :-
पिछले दिन राजगीर एसडीओ ने एक जाने-माने आरटीआई एक्टिविस्ट के सामने हमारे रिपोर्टर से दो टूक बोला था कि नालंदा डीएम ने बैठक में एक्सपर्ट मीडिया न्यूज को नगेटिव न्यूज देने वाला बताते हुये उससे जुड़े लोगों पर कड़ी नजर रखने की बात कह रखी है। एक एसडीओ स्तर के जिम्मेवार अफसर के मुंह से निकले ऐसे बात साइट के संचालक-संपादक के तौर पर मुझे बहुत कुछ सोचने समझने को बाध्य कर रहा था।
मीडिया के विरुद्ध नेगेटिविटी के आरोप की बात सामान्य हो गई है। जन समस्याओं की बात करना ही नकारात्मकता बन गई है। एक शराबी पकड़ा जाए, फोटो छाप दो, पुलिस के लिये पोजेटिव है। एक घर लूट जाये, पुलिस हाथ पर हाथ धरे रह जाये, कार्रवाई के लिये नजराना मांगे, इसे लिखो- यह नगेटिविटी है।
रोज बैठक कर कोई अधिकारी सिर्फ बातें बनाए, उसे बड़े-बड़े फोटो समेत लहरा दो- यह पॉजिटिविटी है। जीरो ग्राउंड का आयना दिखाओ, यह नीचे से उपर तक के लोक सेवकों को चुभती है। हमारी तीन न्यूज साईटें हैं। हमारा साफ कहना है कि अगर कोई सूचना समाचार भ्रामक या गलत है तो उसे सप्रमाण पक्ष रखें। निष्पक्षता सामने आयेगी।
यह कोई जरुरी नहीं है कि किसी की नजर की नकारात्मकता सबको वैसा ही लगे और किसी की सकारात्मकता सबको भा जाए। जैसे आम जन की बातें लोक सेवकों को नकारात्मक लगती है, ठीक वैसे ही लोक सेवकों की थोथे चेहरे आम जन को कुरुप नजर आती है।
ऐसे हमारे पास सैकड़ों उदाहरण है, जिसकी प्रमाणिकता पर पुलिस-प्रशासन का कोई नुमाइंदे सप्रमाण उंगली नहीं उठा सकते, अपनी विफलता और कर्तव्यहीनता को ढंकने के लिये सिर्फ कोस सकता है। थाना में बैठकर थानाप्रभारी के सामने एक शातिर फ्रॉड पहले धमकी देता है। फिर मुकदमा करता है। प्रमाण सौंपने के बाबजूद पुलिस उल्टी कार्रवाई करती है।
यहां तक बिना वारंट साइट संचालक-संपादक को दबोचने झारखंड की राजधानी रांची पहुंच जाती है। वह भी सादी लिवास में संदिग्ध प्रायवेट तवेरा-ड्राइवर लेकर। दूसरी तरफ उसी शातिर फ्रॉड समेत तीन अन्य सरकारी बाबूओं पर प्रमंडलीय आयुक्त के आदेश से दोषी करार दिये जाने के बाद भूमि अपर समाहर्ता द्वारा गैरजमानती धाराओं के तहत स्थानीय थाना में एफआईआर दर्ज किया जाता है, पुलिस 6 माह बाद भी आरोपियों के पैर में ही तेल लगाती नजर आ रही है।
यही नहीं, प्रमंडलीय आयुक्त के आदेश से राजगीर मलमास मेला सैरात भूमि को अतिक्रमणमुक्त करने की कार्रवाई की जाती है। इसकी आड़ में गरीब-गुरुबों की झुग्गी झोपड़ियों पर बुल्डोजर चला दिया जाता है। बात जब बड़े भू-माफियाओं की आती है तो पूरे प्रशासन की पैंट गीली हो जाती है, जो आज तक नहीं सुखी है।
अगर बात राजगीर की है तो नालंदा डीएम भी भलि-भांति जानते हैं कि सीएम के महती कार्यक्रम को अजातशत्रु किला मैदान से अलग स्थानांतरित क्यों किया गया। जेसीबी से खोदे गये बड़े-बड़े गढ्ढे क्यों भरने पड़े। पूरे मलमास मेला के दौरान पुलिस-प्रशासन की भद क्यों पिटती रही। प्रमंडलीय आयुक्त के आदेश से मलमास मेला सैरात भूमि से अतिक्रमण हटाने के दौरान क्या खेला खेला गया।
समूचे जिले में ओडीएफ मजाक बना हुआ है। सिर्फ कोरम पूरे किये जा रहे हैं। सीएम सात निश्चय योजना में सर्वत्र लूट मची है। ग्राम पंचायत स्तर से शीर्ष प्रशासन स्तर तक कायदे कानून, नियम-अधिनियम सब ताक पर रख दिये गये हैं। और जब आयना दिखाओ तो अकर्मण्यों की एक मात्र बचाव हथियार होती है नेगेविटि।
बहरहाल, आज सुबह राजगीर से एक सूचना आई कि वहां अवस्थित जिला परिषद की भूमि पर माफियाओं द्वारा कब्जा कर पक्का निर्माण कार्य किया जा रहा है। इस सूचना को लेकर साइट संचालक-संपादक के रुप में आज हम खुद काफी गंभीर थे। हमारा पूरा प्रयास था कि इस सूचना को आज पॉजिटिव प्रस्तुत करना है। इस कार्य में आज एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क की पूरी टीम लगी रही।
राजगीर एसडीओ, सीओ, नगर पंचायत कार्यपालक पदाधिकारी, बिहार शरीफ नगर आयुक्त, डूडा निदेशक, नगर प्रबंधक, जिला अभियंता, डीडीसी आदि सबसे संपर्क कर पॉजीविटी तलाशने की कोशिश की, लेकिन जो नतीजे आये, वे काफी हताश करने और चौंकाने वाले हैं।
सुबह राजगीर एसडीओ द्वारा बताया गया कि जिला परिषद की जमीन पर भू-माफिया द्वारा जो पक्का निर्माण कार्य कराया जा रहा है, वह जिला परिषद के अभियंता के निर्देश-नापी-नक्शे के अनुरुप आदेश से कराया जा रहा है। इसमें कहीं कोई गलत नहीं है।
वेशक एसडीओ का यह कथन हैरान करने वाली थी। क्योंकि एक्सपर्ट मीडिया न्यूज के पास इसके पुख्ता प्रमाण हैं कि वह जमीन जिला परिषद की अधिग्रहित भूमि है। जिसे आये दिन भू-माफिया लोग निशाना बनाते रहते हैं। इसमें स्थानीय-पुलिस प्रशासन की खुली संरक्षण प्राप्त होता है।
किसी गौरव कुमार नामक व्यक्ति द्वारा जिला परिषद की भूमि पर आज शुरु करवाये गये पक्के निर्माण कार्य को लेकर राजगीर एसडीओ से दिन भर में दर्जन भर बातचीत हुई, लेकिन हर बार वे जिला परिषद के अभियंता के आदेश का हवाला देते रहे। लेकिन जब कमर भर पक्का निर्माण कार्य हो गया तो देर शाम राजगीर सीओ स्थल पर पहुंचे और हो रहे अवैध कब्जा-निर्माण को बंद कराया।
इस संबंध में राजगीर सीओ ने जो कुछ बताया, वह भी कम चौंकाने वाले नहीं हैं। सीओ ने बताया कि उन्हें इस अवैध कार्य की सूचना पहले से नहीं थी और न ही एसडीओ द्वारा उन्हें इस संबंध में पहले कार्य होने का किसी स्तर से लिखित आदेश मिलने की सूचना मौखिक-लिखित तौर पर प्रषित की गई।
सीओ ने कहा कि अभी-अभी एसडीओ साहब ने ही कार्य बंद कराने को कहा है और उन्हीं के आदेश से कार्य बंद करा रहा हूं तथा अभी काम बंद करा कर थाने में बैठा हूं।
अब सबाल उठता है कि राजगीर एसडीओ दिन भर जिला परिषद के जिस आदेश-नापी-नक्शा के पत्र-पत्रांक के हवाले से कार्य होने का समर्थन करते रहे, अचानक देर शाम वे पत्र-पत्रांक कहां गायब हो गये।
आज दिन भर नालंदा प्रशासन के जिम्मेवार अफसरों ने सूचना की परखता के क्रम में जिस तरह से गोल-गोल जलेबी की तरह बातें घुमाते रहे, वे सब रिकार्डेड है। अब नालंदा डीएम से सीधा सबाल है कि आपके ऐसे प्रशासनिक रवैये के बीच कोई कैसे पॉजीविटी का सृजन कर जाये?