“राजगीर- बख्तियारपुर रेल खण्ड पहला पावर ग्रिड, अक्तूबर तक होगा निर्माण कार्य पूर्ण, यहाँ से उत्तर में हरनौत और दक्षिण में जेठियन तक होगी बिजली आपूर्ति “
नालंदा ( राम विलास )। करीब सात करोड़ की लागत से रेलवे पावर ग्रिड का निर्माण कार्य नालंदा रेलवे स्टेशन के पास जोर-शोर से किया जा रहा है। इस पावर ग्रिड के निर्माण व चालू होने के बाद से राजगीर – बख्तियारपुर रेल खंड में इलेक्ट्रिक इंजन का परिचालन आरंभ हो सकेगा।
एक तरफ पावर ग्रिड का काम युद्ध स्तर पर किया जा रहा है। वहीं हाई टेन्शन बिजली के लिए टावर निर्माण का काम भी शुरू नहीं किया गया है। रेलवे इस कार्य के लिए करीब 16 करोड़ रुपये व्यय करेगा।
इसके बावजूद 1 लाख 32 हजार के बी बिजली इस पावर ग्रिड तक पहुंचाने के लिए कार्य आरंभ तक नहीं किया गया है। इसके कारण निर्धारित समय सीमा के तहत पावर ग्रिड चालू होने की उम्मीद नहीं प्रतीत हो रही है।
नालंदा रेलवे स्टेशन और मानस भूमि आवासीय विद्यालय के मध्य में 6000 स्क्वायर मीटर क्षेत्रफल में इस पावर ग्रिड का निर्माण कार्य किया जा रहा है। मई 2016 से इस रेलवे पावर ग्रिड का निर्माण कार्य आरंभ किया गया था ।
इस पावर ग्रिड में 21.6 एम बी पावर का विशाल ट्रांसफार्मर लगाया गया है। इस ट्रांसफर्मर की कीमत करीब तीन करोड़ है । इसके अलावे 10 के बी ए के दो छोटे विद्युत ट्रांसफार्मर लगाए जाएंगे। इस पावर ग्रिड में कंट्रोल पैनल बिल्डिंग बनकर तैयार हो गया है । इस बिल्डिंग में कंट्रोल पैनल बोर्ड मशीन लगाई जा चुकी है।
मिली जानकारी के अनुसार इसी साल के अक्टूबर महीने तक इस पावर ग्रिड का निर्माण कार्य पूर्ण हो जाएगा। इस पावर ग्रिड में वायरिंग का काम अभी बाकी है । हालांकि वायरिंग के लिए केबुल एवं अन्य जरूरी वायर उपलब्ध है।
जानकार बताते हैं कि बैटरी , बैटरी चार्जर , सी बी आदि उपकरण के अभाव में निर्माण कार्य में कुछ शिथिलता आ गई है। राजगीर – बख्तियारपुर रेलखंड का यह एकलौता रेलवे पावर ग्रिड है। इस ग्रिड से उत्तर में हरनौत और दक्षिण में राजगीर होते जेठियन तक बिजली की आपूर्ति की जाएगी।
इस पावर ग्रिड के निर्माण और चालू होने के बाद इस रेलखंड में इलेक्ट्रिक इंजन से रेलगाड़ियों का परिचालन आरंभ हो जाएगा। हालांकि बख्तियारपुर से राजगीर तक इलेक्ट्रिक रेल इंजन का ट्रायल किया जा चुका है। यह ट्रायल सफल भी बताया गया है।
खुद रेलवे बोर्ड के मुख्य संरक्षा आयुक्त और दानापुर रेल मंडल के मंडल प्रबंधक रमेश कुमार झा समेत अन्य वरीय अधिकारियों ने इस रेलखंड में इलेक्ट्रिक इंजन ट्रायल का निरीक्षण किया है। यह रेलखंड इलेक्ट्रिक इंजन के परिचालन के लिए तैयार है। लेकिन पावर ग्रिड के चालू न होने के कारण इलेक्ट्रिक इंजन से रेलगाड़ियों का परिचालन नहीं हो पा रहा है ।
फिलहाल बख्तियारपुर से इस रेलखंड में बिजली की आपूर्ति की गई है, जो इलेक्ट्रिक इंजन से गाड़ियों के परिचालन के लिए पर्याप्त नहीं है।
मिली जानकारी के अनुसार बख्तियारपुर से राजगीर और राजगीर से मानपुर ( गया ) तक विद्युतीकरण का कार्य होना है । पहले चरण में बख्तियारपुर से राजगीर तक विद्युतीकरण का कार्य पूर्ण हो चुका है । राजगीर से मानपुर वाया तिलैया रेलखंड में भी विद्युतीकरण का कार्य चल रहा है।
इसके पूरा होने के बाद राजगीर से नई दिल्ली, राजगीर से दानापुर , राजगीर से हावड़ा और बख्तियारपुर से गया भाया राजगीर – तिलैया चलने वाली सभी गाड़ियां इलेक्ट्रिक इंजन से चलेगी । इस पावर ग्रिड का निर्माण के एल पी एल के टी एस यू बी सी के बैनर तले सत्या इंटरप्राइजेज द्वारा किया जा रहा है।
स्वीकृति के बाद भी बजली टावर का निर्माण नहीं
नालंदा के पावर ग्रिड के पास से रेलवे के इस पावर ग्रिड में 1.32 लाख पावर का बिजली आना है। रेलवे ने इसके लिए सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली है । इसके बावजूद टावर निर्माण कार्य अबतक शुरू नहीं किया गया है ।
अब वर्षात का मौसम भी शुरू हो गया है । ऐसे में बिजली टावर का निर्माण भी मुश्किल से कम नहीं है । और जब तक 1.32 लाख के बी बिजली की आपूर्ति इस पावर ग्रिड को नहीं होगी तब तक यह चालू भी नहीं हो सकेगा ।
क्या कहते हैं अधिकारी
रेलवे पावर ग्रिड, नालंदा के साइट इंजीनियर मोहम्मद सिराज कहते हैं कि राजगीर-बख्तियारपुर रेलखंड में यह पहला पावर ग्रिड बन रहा है। अक्टूबर महीने तक इसका निर्माण कार्य पूरा करने का लक्ष्य है ।
लेकिन जब तक 1.32 लाख पावर की बिजली की आपूर्ति इस ग्रिड को नहीं होगी, तब तक इसे चालू करना संभव नहीं है । इस पावर ग्रिड के चालू होने के बाद ही राजगीर-बख्तियारपुर रेलखंड में इलेक्ट्रिक इंजन का परिचालन संभव हो सकेगा।
इस ग्रिड में एक बड़ा बिजली का ट्रांसफार्मर लगाया जा चुका है। दो छोटे ट्रांसफार्मर लगाने का काम शेष है। पावर ग्रिड तक आने जाने के लिए पीसीसी सड़क का निर्माण किया जा चुका है।
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