पटना (संवाददाता)। बिहार कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष का पदभार संभालते ही कौकब कादरी जहां एक तरफ नीतिश सरकार के खिलाफ आक्रामक तेवर अपनाने के संकेत दिये, वहीं पार्टी आलाकमान द्वारा अध्यक्ष पद से हटाने के बाद डॉ. अशोक चौधरी के बोल बिगड़ते साफ दिखे।
पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अशोक चौधरी उन्हें प्रभार देने नहीं पहुंचे। सदाकत आश्रम में कादरी ने महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू समेत कांग्रेस के दूसरे नेताओं की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया।
उन्होंने कहा पार्टी ने एक जमीनी कार्यकर्ता को बिहार की बागडोर सौंपी है। उनकी कोशिश सभी वर्ग, धर्म और संप्रदाय के लोगों को साथ लेकर चलने की होगी।
कादरी ने कहा कि पार्टी के वरीय एवं बुद्धिजीवी नेताओं के साथ ही युवा, महिलाओं, किसान पिछड़ा अति पिछड़ा व अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों को पार्टी की गतिविधियों में शामिल कर वे संगठन का मजबूती प्रदान करेंगे। राज्य सरकार की जन विरोधी नीति और भ्रष्टाचार के खिलाफ कांग्रेस बड़ा आंदोलन खड़ा करेगी।
कादरी ने कहा कि इन दिनों पार्टी में सांगठनिक चुनाव चल रहे हैं। कई जिलों में अध्यक्षों की नियुक्ति की अनुशंसा पीआरओ ने सांगठनिक चुनाव आयुक्त से की है। अब जबकि प्रदेश अध्यक्ष बदल चुके हैं ऐसे में वे पूर्व में की गई अनुशंसा पर पुनर्विचार का आग्रह भी सांगठनिक चुनाव आयुक्त से करेंगे।
प्रदेश अध्यक्ष पद से डॉ. अशोक चौधरी की विदाई के साथ ही प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय सदाकत आश्रम का दृश्य बदल गया है। कांग्रेस के विक्षुब्ध अचानक सक्रिय हो गए हैं। संगठन के विस्तार से लेकर लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत की चर्चा होने लगी है।
कौकब कादरी के अध्यक्ष बनाए जाने के बाद उनके आसपास कुछ ऐसे नेता भी दिखे जो पिछले कई सालों से कांग्रेस मुख्यालय आए तक नहीं थे। एक नेता तो इतने उत्साहित हो गए कि कादरी से कहने लगे अब आप आ गए हैं तो बिहार के साथ ही कांग्रेस देश में भी सत्ता में वापस लौटेगी और हम अपनी सरकार बनाएंगे।
हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि वे कांग्रेस नहीं छोड़ेंगे और पार्टी में रहकर ही दलित विरोधी नेताओं का पर्दाफाश करेंगे।
उन्होंने कहा कि पिछले छह महीने से उन्हें पार्टी से हटाने के लिए सीपी जोशी दबाव बना रहे थे। लेकिन उनका साफ स्टैंड था कि वे राहुल गांधी के निर्देश पर ही इस्तीफा देगें।
चौधरी ने कहा कि एक व्यक्ति विशेष को अध्यक्ष बनाने के लिए उनके खिलाफ साजिश रची गई। आलाकमान को गुमराह कर उन्हें बदनाम किया गया। वे लोग बिहार में भी लुटिया डुबाने की कोशिश में लगे हैं।