नगरनौसा (संवाददाता)। नालंदा जिले के नगरनौसा पंचायत (प्रखंड), जिसे लगभग पांच महीने पहले खुले में शौच मुक्त घोषित किया जा चुका है, इसकी जमीनी हकीकत कुछ और बयां करती है।
वार्ड एक से लेकर वार्ड चौदह तक लक्ष्य के अनुरूप पूर्ण रूप से कार्य नही हो पाना अनगिनत निर्मित शौचालय का पैसा न भुगतान होना ओडीएफ घोषित नगरनौसा पंचायत खुद में एक बड़ा सवाल बन गया है।
यहां ओडीएफ के नाम पर जनप्रतिनिधि से लेकर पदाधिकारी तक, सरकारी रशि की सिर्फ लूट-खसोंट मचाने में लगे हुए हैं।
लाला यादव, राजू यादव, अनिल प्रसाद समेत कई लोगों ने बताया कि उन लोगों ने शौचालय निर्माण के लिए गढ्ढा खोदा लेकिन वे अंततः निराश होकर उसे भरने को विवश हो गये।
बेवी देवी, मीना देवी, चिंता देवी, सुनीता देवी, सुनरकी देवी समेत कई महिलाओं ने बताया कि दर्जनों लोगों ने 10 फीसदी सूद पर पैसा लेकर शौचालय बनवाया, उसे अब कोई राशि नहीं मिली, इसी भय से उन लोगों ने भी शौचालय नही बनबाया है।
मालती देवी, धर्मशीला देवी, सुगिया देवी, विमला देवी, जतू रविदास आदि का कहना है कि वे लोग दस रुपए सैंकड़ा सूद पैसा लेकर शौचालय बनबाया था, लेकिन आज तक पैसे का भुगतान नहीं किया गया।
मोहन पासवान, सोहन पासवान, कमलेश पासवान, भूषण पासवान, सुरेश पासवान, सुरेश पासवान आदि बताते हैं कि उन लोगों का पैसा निकल जाने के वावजूद अभी तक उनका शौचालय नही बनाया गया है।
ऐसे में सबाल उठता है कि नगरनौसा प्रखंड-अंचल में बैठे अधिकारी ऐसे गड़बड़झाला के बाबजूद नगरनौसा पंचायत को आंख मूंद के खुले में शौच मुक्त घोषित करना नालन्दा डीएम के ओडियफ अभियान के प्रति क्या मंशा दर्शाती है।