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ग्राम कचहरी में यूं अदालती कार्रवाई कर यूं इतिहास रच रही हैं सरपंच मीना

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सरपंच मीना पहली बार वर्ष 2001 में वार्ड सदस्य नवादा गांव से वार्ड सदस्य के रूप में चुनी गई थी। उसके बाद वर्ष 2016 में सरपंच पद पर चुनी गई…..”

एक्सपर्ट मीडिया न्यूज (संजीत)। बिहार के नालंदा जिले के चंडी प्रखंड अंतगर्त रुखाई पंचायत की सरपंच जो अधिक पढ़ी लिखी नहीं है। महज छठी पास है।

वह पिछले साढ़े तीन साल के कार्यकाल में 50 से अधिक फैसला सुनाकर आसपास के पंचायत में लोकप्रियता होती जा रही है। इनके न्याय में समाज के प्रति समर्पण और त्याग के कारण इनके पंचायत के लोग नतमस्तक है।

वह पहली बार वर्ष 2001 में वार्ड सदस्य नवादा गांव से वार्ड सदस्य के रूप में चुनी गई थी। उसके बाद वर्ष 2016 में सरपंच पद पर चुनी गई।

शुरुआती दौर में थोड़ी झिझक थी। जैसे जैसे समय बढ़ता गया वैसे वैसे न्याय के लिए ये प्रसिद्ध होती गयी।

GRAM KACHAHRI COURTबीते दिन रुखाई पंचायत सरकार भवन में बना न्याय के लिए ग्राम कचहरी में सरपंच मीना पांडे ने पिता के बिना मर्जी के खेत को इजारा रखने के विवाद का निपटारा किया गया। इसके लिए मीना ने बाजाप्ता कोर्ट की संरचना भी बना रखी है।

यशवंतपुर निवासी अनिल प्रसाद ने अपने दोनों बेटे पर अभद्र व्यवहार और विना अनुमति के ही दोनों बेटे ने खेत को इजारा रखने का ग्राम कचहरी में मुकदमा दायर किया था।

मुकदमा की सुनवाई के दौरान अनिल कुमार के पुत्र टुन्नू कुमार को गवाही के लिए न्याय के कटघरे में खड़ा किया।

इस दौरान सरपंच मीना पांडे ने पूछा कि तुमने अपने पिता के अनुमति के बिना में खेत को इजारा रखा था तो टुन्नू कुमार ने खेत इजारा रखने का हामी भरी।

पूछा गया कि खेत को इजारा किये कितने साल हो गया तो कहा कि दो साल से खेत का इजारा हो गया है। तीन साल के लिए इजारा रखे थे। अगले साल इजारा को पैसे देकर छुड़वा लिया जाएगा और पिता जी का खेत वापस कर दिया जाएगा।

इस सुनवाई में अनिल कुमार के एक पुत्र अनुपस्थित रहा। अगली सुनवाई अगले शुक्रवार को किया जाएगा।

सरपंच मीना पांडे ने कहा कि ग्राम कचहरी में वकील नहीं रहने से अन्य मुकदमा की सुनवाई में दिक्कत होती है।

इस मौके पर कचहरी सचिव सोनी कुमारी,  उपसरपंच भोला सिंह, पंच विष्णु प्रसाद,प्रविला देवी, अनिता देवी, मालती देवी सरोज देवी, गिरजा देवी, उषा देवी, प्रविला कुमारी आदि मौजूद थे।

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