Home कला-संस्कृति खतरे में राजगीर का 5 हज़ार वर्ष पुराना ऐतिहासिक धरोहर

खतरे में राजगीर का 5 हज़ार वर्ष पुराना ऐतिहासिक धरोहर

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महाभारत के पन्नो में धार्मिक,पौराणिक इतिहास के वास्तविक तथ्यों को इस तरह संजोया गया कि इस महाकाव्य से जुड़ी भारत का हर पौराणिक स्थल व ऐतिहासिक धरोहर पूरे विश्व को अपनी ओर समेट महाभारत कालीन इतिहास पर गौरवान्वित होने पर मजबूर करता है……………”

एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क। राष्ट्र का प्राचीन धार्मिक नगरी राजगीर के महाभारत काल का ऐतिहासिक धरोहर इस तरह उपेक्षित होगी, कोई इतिहासज्ञ से लेकर आम आदमी ने कल्पना भी नही की होगी।Ignored Mythological Historical Heritage Rajgir 3

हम राजगीर के वैभारगिरी पर्वत पर 5 हज़ार वर्ष पूर्व मगध सम्राट जरासंध द्वारा महाभारत काल मे स्थापित भगवान शंकर के सिद्धनाथ मंदिर के जीर्ण शीर्ण हालत पर रिपोर्ट लिखते हुए काफी शर्मिंदगी महसूस कर रहे हैं। क्योंकि ये वो ऐतिहासिक पुरातात्विक धरोहर है, जो बिहार सरकार के पर्यटन मानचित्र पर भी अभी तक दर्ज नहीं है।

राजगीर के स्थानीय नागरिक, बुद्धिजीवी काफी चिंता मुद्रा में है कि आखिर पौराणिक ऐतिहासिक धरोहर इस कदर उपेक्षित क्यों है। इस मंदिर की बाहरी दीवारें कभी भी गिर सकती है। जिसकी सुध लेने के लिये कोई शासन, प्रशासन और राजनेता मूड में नहीं दिख रहे हैं।

राजगीर के खूबसूरत अलौकिक पहाड़ी वादियों में स्थापित यह पौराणिक सिद्घनाथ मंदिर आज भी लोगो की मनोकामनाएं पूरी करती है। ऐसी मान्यता है। इसके धार्मिक, ऐतिहासिक, पौराणिक महत्व के बाबजूद सरकारी स्तर पर इसकी उपेक्षा और पर्यटन के मानचित्र पर नहीं होना हर किसी के समझ से परे है।

नतीजतन बिहार सरकार के किसी भी विभाग में उक्त मंदिर परिसर के विकास से सम्बंधित कोई भी योजना ही नहीं है, क्योंकि इस ऐतिहासिक धरोहर को लगता है कि सरकारी तंत्र ने भी गुमनाम कर देने की कसम खा रखी है।

जहां सरकार और उनके पदाधिकारी की नज़र में यह पुरातात्विक ऐतिहासिक धरोहर गुमनाम है। वहीं राजगीर के स्थानीय लोग ही यहाँ नियमित पूजा पाठ कर इसकी महत्ता को जीवंत रखे हुए है।

सावन माह में अखिल भारतीय जरासंध अखाड़ा परिषद के जलाभिषेक सह धरोहर सुरक्षा संकल्प यात्रा में शामिल हुए स्थानीय विधायक तक इसकी ऐतिहासिक महत्ता से अनभिज्ञ दिखे और इसके विकास की बात सरकार तक पहुंचाने का महज आश्वासन देते नजर आए।

जबकि राजगीर में पिछले कुछ दशक में विभिन्न धार्मिक संस्थाओं के विकास के लिए बिहार सरकार ने खजाने के दरबाजे भी खोले और लगातार विकास कार्य जारी है। बाबजूद इसके हिन्दू धर्म की आस्थाओं के प्रमुख केंद्रों का विकास नहीं होना सनातन प्रेमियों में चिंता का विषय बना हुआ है।

फिलहाल बिहार सरकार के मुखिया और उनके आलाधिकारी राजगीर में गुरुनानक कुंड गुरुद्वारा के सौदर्यीकरण, भूटानी मंदिर का विश्व स्तरीय निर्माण, मखदूम कुंड ,विश्व शांति स्तूप के 50 वें वार्षिकोत्सव के  कार्य मे व्यस्त हैं और लगातार सरकारी आवंटन से इनके विकास को तीव्र गति दे रहे हैं।

वहीं महाभारत काल के सिद्घनाथ मंदिर में सबकी मनोकामनाएं पूरी करने वाले बाबा भोलेनाथ आज भी अपने धरोहरों के विकास की बाटे जोह रहे हैं।

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