Home झारखंड कामगारों की कमी सिकिदीरी परियोजना की सबसे बड़ी समस्याः प्रबंधक अमर नायक

कामगारों की कमी सिकिदीरी परियोजना की सबसे बड़ी समस्याः प्रबंधक अमर नायक

0

-मुकेश भारतीय-

रांची। यहां पूरी पार्दशिता के साथ के साथ खुला कार्य हो रहा है। व्यवस्था के कायदे कानून में कहीं कोई ढील नहीं छोड़ी है। हर तरफ एक बेहतर माहौल बनाने का लक्ष्य है।

उक्त बातें स्वर्णरेखा जल विद्युत परियोजना सिकिदीरी के प्रबंधक अमर नायक ने  दैनिक आजाद सिपाही से एक विशेष बातचीत में कही।

उन्होंने कहा कि यहां आते ही समूचे प्रशासन को सुधार दिया। पहले यहां प्रबंधन कार्यालय में घर सा महौल बना हुआ था। हमारे कर्मचारी कहीं बैठ नहीं पाते थे। सब जगह बाहरी तत्वों का जमावड़ा लगा रहता था। सबसे पहले उसे बंद कर एक कार्यालीय व्यवस्था कायम किया। अब आम लोगों के लिए निश्चत समय सीमा के भीतर ही परियोजना कार्यालय में मिलने का समय 3 बजे शाम से तय है। पहले यहां ऐसा नहीं था। सुबह से शाम तक स्वार्थी लोग पूरे दफ्तर को घेरे रहते थे। उसको मैंने खत्म किया।

उन्होंने बताया कि दिनों दिन रिटायरमेंट के कारण यहां कर्मचारियों की संख्या घटती जा रही है। जब तक यहां खाली पड़े स्थाई कामगारों की नियुक्ति या पदास्थापना नहीं होती है, व्यस्था को विकसित करना बड़ा मुश्किल है।

उन्होनें परियोजना से उत्पादन के सबाल पर कहा कि यूनिट को प्राईम वे में चलाने से सालो भर चल सकता है। यदि कोई यूनिट (दो में एक) प्रईम वे में निर्धारित चार घंटा चलाया जाए तो पीक आवर में जब लोड शेडिंग किया जाता है, उस समय सालो भर 130 मेगावाट बिजली देने में सक्षम रहेगें। यदि डैम से पानी उपलब्ध कराया जाए तो।

लेकिन ऐसा हो नहीं पाता है। उस समय कोयले से चलने वाले सारे थर्मल प्लांट पतरातु, चाण्डिल, टीवीएनएल शटडाउन पर चले जाते हैं, तब रेनी सीजन में यहां के यूनिट लगातार उत्पादन करते हैं। पिछले मानसून में 52 मिलीयन यूनिट उत्पादन हुआ था। वह भी दो नबंर यूनिट ठप रहने से काफी नुकसान हुआ था। क्योंकि यहां दोनों यूनिट सीरीज में है औऱ एक के पानी से दुसरा भी चलता है।

उन्होंने बताया कि परियोजना की दो नंबर यूनिट उनके अगस्त,2015 में यहां आने के पहले से ही खराब पड़ा है। उसके मेंनटेनेंस का काम चल रहा है। चूकि इस यूनिट को भेल ने बनाया है इसलिए भेल से कुछ आवश्यक मशीनरी पार्टस मंगाने का प्रस्ताव मुख्यालय भेजा गया है। उसकी स्वीकृति के अमुमन 6 माह के भीतर चालू हो जाना चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता है तो आगामी मानसून सत्र में भी उत्पादन का काफी नुकसान होगा।

error: Content is protected !!
Exit mobile version