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उपमहापौर की कुर्सी जाते ही वार्ड पार्षदों की बल्ले-बल्ले, ई. सुनील का फिर चला सिक्का

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“नगर निगम में जब अविश्वास प्रस्ताव की वोटिंग चल रही थी, उस समय ई. सुनील खुद अपने आवास से मॉनेटरिंग कर रहे थे…”  

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बिहारशरीफ नगर निगम की सत्ता का किंगपिन पूर्व विधायक इंजिनियर सुनील…..

एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क (दीपक विश्वकर्मा)। सत्ता की गलियारे में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले पूर्व विधायक इंजिनियर सुनील का बिहार शरीफ नगर निगम में फिर एक बार सिक्का चला। नगर निगम हो या फिर जिला परिषद् दोनों चुनाव में इनकी अहम भूमिका होती है।

इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि फूल कुमारी को उप मेयर की कुर्सी पर काबिज कराने में इंजीनियर सुनील का रोल कम नहीं रहा था, यानि बिठाने और उतारने दोनों में इनकी अहम भूमिका दिखी।

हालांकि मिडिया से नगर निगम कि राजनीत में अपनी भूमिका होने से इंजिनियर सुनील इंकार करते हैं।

मगर निगम के हलचल के समय यानि अविश्वास प्रस्ताव के ठीक एक दिन पहले पावापुरी के अभिलाषा होटल में वार्ड पार्षद आरती देवी के मैरेज एनवर्सरी में इनकी मौजूदगी उनके दावे को ख़ारिज करता है।

यही नहीं नगर निगम में जब अविश्वास प्रस्ताव की वोटिंग चल रही थी, उस समय इंजिनियर सुनील खुद अपने आवास से मोनेटरिंग कर रहे थे।  

नगर निगम के  विशेष सत्र में  27 पार्षदों द्वारा सदन में अविश्वास प्रस्ताव लाया गया।  यानि जो इस गुट के 28 पार्षदों की सूची थी, उसमें एक छोड़ सभी ने वफादारी निभाई।  

जबकि दूसरे गुट का दावा था की 28 में से 11 पार्षदों को तोड़ दिया गया है ,यह दावा गलत निकला।  हालांकि चर्चा यह भी है कि कुर्सी बचाने के लिए सभी तरह के हथकडे का इस्तेमाल किया गया। मगर रिजल्ट जीरो साबित हुआ।

पावापुरी के अभिलाषा होटल में वार्ड पार्षद मैनेजमेंट में जुटे रूमी खान और वार्ड पार्षद शमा खानम के पति बाबर के साथ पूर्व विधायक इंजीनियर सुनील….

आज हालत यह है कि जिन पार्षदों के घर बड़े नेता जाने से परहेज करते थे, आज उनकी चौखट पर मथा टेक रहे हैं।  चलिए यह कोई नई बात नहीं है। जब मुहब्बत और जंग में सभी जायज है।  

अगर वर्तमान सूची में शामिल वार्ड पार्षद चुनाव के दिन वफ़ादारी निभाई तो उपमहापौर की कुर्सी जाना तय है और अगर हॉर्स ट्रेडिंग का शिकार हुए तो फिर एक बार फूल कुमारी उपमहापौर की कुर्सी पर काबिज हो जायेंगी।

हालांकि अविश्वास प्रस्ताव के बाद चुनाव की तिथि आयोग को मुकर्रर करना है, लेकिन नियमानुसार 28 दिनों के भीतर चुनाव करा लिया जाना है।

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