“अहिंसा की उद्गमभूमि राजगीर में बुधवार को अहिंसा प्रशिक्षण केन्द्र का शुभारंभ किया गया है। इसी राजगृह के विपुलाचल गिरि के शिखर से हजारों साल पहले तीर्थंकर महावीर ने अहिंसा का संदेश दुनिया को दिया था।”
नालंदा (राम विलास) )। अहिंसा जगत की जननी है। दुनिया का जीव जगत अहिंसा के आंचल में ही सुरक्षित रह सकता है। हर मानव के लिए रोटी- कपड़ा और मकान जरूरी है। उससे भी अधिक जरूरी अहिंसा है। अहिंसा को अंगीकार कर ही दुनिया में शांति स्थापित की जा सकती है। आतंकवाद, अलगाववाद, क्षेत्रवाद के नाम पर दुनिया में आये दिन हिंसक घटनाएँ हो रही है। इससे छुटकारा पाने के लिए महात्मा बुद्ध, तीर्थंकर महावीर और महात्मा गांधी के अहिंसा को अपनाना आवश्यक है।
उक्त बातें अहिंसा केन्द्र का शुभारंभ करते हुए आर डी एच हाई स्कूल के शिक्षक डॉक्टर गिरजानंदन पांडे ने यह कहा। समारोह की अध्यक्षता कृष्णा हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर की प्रधान दन्त चिकित्सक डॉक्टर सुरभि रंजन ने किया।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि राजगीर सदियों से अहिंसा की उद्गमभूमि रही है । इसी राजगीर की वादियो में भगवान महावीर और महात्मा बुद्ध के प्रवचन सुनने के लिए हिंसक और अहिंसक एक साथ बैठते थे। फिर भी वे एक दूसरे को हानि नहीं पहुंचाते थे। आज देश और दुनिया में इसी विचार की गंगा वहाने की जरूरत है ।
उन्होंने कहा कि अहिंसा को पुनर्जीवित करने में यह केन्द्र मील का पत्थर साबित होगा ऐसा उन्हें विश्वास है ।
अहिंसा प्रशिक्षण केंद्र के राज्य स्तरीय प्रभारी डॉक्टर अशोक कुमार सिंह ने स्वागत संशोधन में अहिंसा के महत्व पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर अतिथियों को अंग वस्त्र प्रदान किया गया।
इस अवसर पर सुरभि राष्ट्रीय मासिक पत्रिका के संपादक एवं अहिंसा प्रशिक्षक प्रोफेसर साधु शरण सिंह सुमन, रमेश कुमार पान ने भगवान महावीर के अहिंसा के संदेशों को जन-जन तक पहुंचाने का संकल्प लिया।
केंद्र के संयोजक सुनील कुमार सिंह ने केंद्र के दैनिक गतिविधियों को रेखांकित किया। नगर पंचायत राजगीर के वार्ड पार्षद बिरजू राजवंशी ने कहा कि यह केन्द्र अपनी अनूठा पहचान बनाएगा। उन्होंने हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया।
इस अवसर पर उमराव प्रसाद निर्मल, अहिंसा प्रशिक्षक सुधीर कुमार गुलशन, प्रशिक्षिका अवंतिका कुमारी, अनिता कुमारी गुप्ता, धर्मशीला कुमारी, सुनीता कुमारी , अखिलेश, प्रीति उपस्थित थे।