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अब बिहार में नक्सलियों के ‘प्रेशर माइंस’से निपटने के लिए एनएसजी देगी ट्रेनिंग 

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“बिहार पुलिस अब नक्सलियों की कमर तोड़ने के लिए एक नये प्रयास में जुट गई है।नक्सलियों के द्वारा आए दिन बिछाए ‘प्रेशर माइंस’ की चपेट में आकर पुलिस कर्मियों तथा सुरक्षा बलों  की मौत होती रहीं है….”

पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क ब्यूरो)। अब बिहार पुलिस नक्सलियों के नये हथियार प्रेशर माइंस के खिलाफ एक तोड़ निकालने में लगी हुई है। प्रेशर माइंस को सर्च करने एवं उसे नष्ट करने के लिए केंद्रीय एजेंसी से मदद की गुहार लगाई है।

गौरतलब रहे कि नक्सली लंबे समय से सुरक्षा बलों के खिलाफ अपने घातक हथियार लैंडमाइंस का उपयोग कर रहे थे। लेकिन अब उनके दस्ते में  प्रेशर माइंस भी शामिल हो गया है।अब वे इसका इस्तेमाल भी कर रहे हैं।Nsg commandos

सबसे बड़ी बात यह है नक्सली इसका निर्माण और इस्तेमाल भी करना जान गए है ।जो सुरक्षा बलों के लिए सिरदर्द बना हुआ है।

बताया जाता है कि दो साल पूर्व बिहार के कई नक्सली झारखंड और छत्तीसगढ़ की सीमा पर लंबे समय तक थे। इस दौरान उन्होंने प्रेशर माइंस बनाना सीख लिया। पिछले वर्ष के आखिर में बिहार लौटने के बाद नक्सली इस काम पर लग गए थे। यहां तक कि नक्सलियों ने अपने प्रभुत्व वाले स्थानों में बड़ी संख्या में प्रेशर माइंस लगा रखे थें।

सनद रहे कि तीन मई को औरंगाबाद के लंगुराही में कारू भुइंया नामक एक लकडहारे की मौत विस्फोट में हुई थी उसके बारे में बताया जाता था कि वह उसी प्रेशर माइंस की चपेट में मवेशी चराने के दौरान आ गया जिसे नक्सलियों ने फिट किया था।

जानकार सूत्रों का कहना है कि प्रेशर माइंस दो तरह से बनाएँ जाते हैं। सुरक्षा बलों को निशाना बनाने के  लिए दो किलोग्राम के आसपास का वजन वाला माइंस का इस्तेमाल किया जाता है। वही भारी वाहनों को निशाना बनाने के लिए भारी भरकम माइंस लगाएँ जाते है।

बताया जाता है कि नक्सली इसे दो तरह से इस्तेमाल करते है । पहला यह वजन से विस्फोट करता है दूसरा या फिर वजन हटते ही इसमें धमाका हो जाता है।

लैंडमांइस के मुकाबले यह ज्यादा खतरनाक बताया जाता है। लैंडमांइस का इस्तेमाल करने के लिए तार का इस्तेमाल किया जाता है। सर्किट पूरा करने के लिए डेटोनेटर को तार के द्वारा पावर दी जाती है।

पुलिस और सुरक्षा बल इसके तोड़ के लिए एंटी लैंडमांइस गाड़ियाँ का इस्तेमाल करते हैं। या फिर सुरक्षा की दृष्टि से कभी कभी पैदल भी सर्च अभियान में निकल पड़ते है।

सुरक्षा बलों के द्वारा पैदल चलने को लेकर उन पर निशाना साधने के लिए अब प्रेशर माइंस का इस्तेमाल करने लगे है। जो आसानी से कहीं लाया ले जाया सकता है। तथा इसे आसानी से कहीं भी छिपाया जाता सकता है।

फिलहाल सुरक्षा बलों ने नक्सलियों के इस हथियार के काट के लिए केंद्रीय एजेंसी से मदद की दरकार है। विस्फोटकों की पहचान और नष्ट करने में माहिर मानी जाने वाली नेशनल सिक्यूरिटी गार्ड (एनएसजी) ने बिहार पुलिस को सहयोग का आश्वासन दिया है।

एनएसजी जल्द ही नक्सलियों के प्रेशर माइंस से निपटने के लिए सुरक्षा बलों की ट्रेनिंग पर बातचीत कर सकती है। अगर होता है तो इससे नक्सलियों से निपटने में आसानी भी होगी। सुरक्षा बलों एवं पुलिस कर्मी भी सुरक्षित रहेंगे।

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