“मोदी सरकार के मंत्री अश्विनी चौबे के लाडले शाश्वत चौबे ने अरेस्ट वारंट के बाबजूद ठीक रामनवमी के दिन राजधानी पटना में भाजपा के दो विधायकों के साथ जमकर तलवारें भांजी। लेकिन समूचा सुशाससन नंगा खड़ा रहा।”
पटना (मुकेश भारतीय)। जातीय उन्माद और सांप्रदायिक उपद्रव फैलाकर नेता बनना काफी आसान है। बात जब किसी राजनेता के लर-जर की हो तो ऐसे मामले यूरिया का काम करता है। पुलिस-प्रशासन और सरकार का नजरिया भी इतर हो जाता है।
भाजपा की प्रचंड बहुमत से बनी मोदी सरकार के मंत्री अश्विनी चौबे के बेटे शाश्वत चौबे के मामले में कुछ ऐसा ही प्रतीत होता है।
सुशासन के साथ न्याय के दावे करने वाली नीतिश सरकार और उसका पुलिसिया तंत्र इस मामले में बिल्कुल नंगा नजर आया।
इससे एक बात साफ हो गई कि कानून का राज के ढिंढोरे महज पीटने के लिये होते हैं और जमीनी हकीकत कुछ सामने आ जाती है।
कुछ लोग मानते हैं कि खुद सीएम नीतिश कुमार नहीं चाहते थे कि सांप्रदायिक उत्पात मचाने के आरोपी केन्द्रीय मंत्री के लाडले शाश्वत चौबे की तत्काल गिरफ्तारी हो। क्योंकि फौरिक पुलिसिया गिरफ्तारी से वह राजनीतिक ‘हीरो’ बन सकता था।
सबाल उठता है कि क्या किसी उपद्रव के आरोपी को, जो एक बड़े राजनेता का बेटा हो, उसकी गिरफ्तारी सिर्फ इसलिये नहीं किया जाये कि उससे वह ‘हीरो’ बन जायेगा। आखिर यह सुशासन का कैसा स्वरुप है। इसका सटीक विश्लेषण खुद सीएम नीतिश कुमार ही बेहतर कर सकते हैं।
खबर है कि भागलपुर के नाथनगर में हुये दंगों के आरोपी अर्जित शाश्वत ने पटना में सरेंडर कर दिया है। बीत रात ठीक 12 बजे उसने पटना के महावीर मंदिर में अपने समर्थकों की मौजूदगी में सरेंडर किया है।
इस दौरान अर्जित शाश्वत ने मीडिया के सामने जमकर नारेबाजी की और अभी तक सरेंडर न करने की वजह भी बताई। उसने मीडिया से काफी देर तक बात की। इसी दौरान पटना के एएसपी राकेश दुबे महावीर मंदिर पहुंचे और उन्हें अरेस्ट कर लिया गया।
मीडिया से बात करते हुए अर्जित ने कहा कि वे अभी तक कोर्ट की शरण में थे। उन्होंने कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका डाली हुई थी, जिस वजह से वे सामने नहीं आ रहे थे। अब जबकि कोर्ट ने उनकी बेल पिटीशन रिजेक्ट कर दी है, वे पुलिस के सामने सरेंडर कर रहे हैं।
अर्जित की गिरफ्तारी के दौरान जमकर नारेबाजी भी हुई। ‘भारत माता की जय’ और ‘जय श्री राम’ के खूब नारे लगे। इससे पहले शनिवार 31 मार्च को भागलपुर कोर्ट ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
गौरतलब है कि इसी बीच अर्जित शाश्वत ने पटना हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। अर्जित शाश्वत ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। इस याचिका में भागलपुर में उसके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की अपील की गई है।
अर्जित शाश्वत का यह मामला फिलहाल बिहार की एनडी गठबंधन के लिए सरदर्द बना हुआ है। इस मामले से अब गठबंधन में दरार की संभावना भी दिख रही है।
बता दें कि 17 मार्च को भागलपुर के नाथनगर में हिंदू नववर्ष के मौके पर जुलूस निकाला गया था। इस दौरान वहां जमकर हिंसा हुई थी। उत्तेजक नारे लगाये जा रहे थे। इसके बाद दो पक्षों में से तनाव पैदा हो गया था।
पुलिस वालों के साथ-साथ आम लोगों को भी चोटें लगी थीं। घटना के बाद भागलपुर कोर्ट ने अर्जित शाश्वत समेत 9 लोगों के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी कर दिया था।
अर्जित शाश्वत पर सांप्रदायिक तनाव फैलाने का आरोप लगा था। आपराधिक मुकदमा दर्ज होने के बाद भी उसने पुलिस को चुनौती दी और वे रामनवमी के दिन पटना में घूमते रहे और सोशल मीडिया पर भी आए।
लेकिन सोशल मीडिया पर कड़ी नजर रखने का आदेश देने वाले गृह विभाग और उसका तंत्र इस मामले में सब कुछ जानते हुये भी पूर्णतः निकम्मा बना रहा। शाश्वत चौबे ने अरेस्ट वारंट के बाबजूद ठीक रामनवमी के दिन राजधानी पटना में भाजपा के दो विधायकों के साथ जमकर तलवारें भांजी। लेकिन समूचा सुशाससन नंगा खड़ा रहा।
इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता है कि अर्जित को लेकर बिहार में राजनीति भी तेज है। जदयू में बेचैनी है तो भाजपा अपने चिर विरोधी राजद व कांग्रेस पर आरोप लगा रही है तो समूचा विपक्ष एकजुट होकर सत्ता पक्ष को घेरने में लगी है।
सबसे बड़ी बात कि जदयू के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी ने अपने तेवर से भाजपा को अल्टीमेटम दिया। उन्होंने कहा कि भाजपा के लोग गठबंधन धर्म का पालन करें। उन्होंने यह भी कहा कि किसी का भी बेटा हो, अपराधी तो अपराधी होता है।
इधर, अर्जित के पिता अश्विनी चौबे ने भी ताल ठोकते हुए कहा कि उनके लाडले ने कोई गलती नहीं है। किसी तरह का अपराध नहीं किया है। राजद व कांग्रेस के लोग हिंसा फैला रहे हैं।