“नालंदा जिले स्थित अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल राजगीर में चिरपरिचित मलमास मेला की तैयारियां जोरो पर हैं, दूसरी तरफ मेला के व्यवसायियों द्वारा संविदा नियमों के विरुद्ध ऐतिहासिक धरोहरों से सरेआम छेड़छाड़ कर रहे हैं, उसे नष्ट कर रहे हैं, वहीं इस मामले में भारतीय पुरातत्व एवं सर्वेक्षण विभाग के अधिकारी सब कुछ जानकर भी अंजान बने हुये हैं।”
पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। राजगीर के ऐतिहासिक पौराणिक धरोहरों में विश्व स्तरीय प्रसिद्ध अजातशत्रु स्तुपा, जो पुरातत्व विभाग के द्वारा राष्ट्रीय स्मारक घोषित है, उसकी 300 मीटर की परिधि में बिना विभागीय अनुमति के किसी भी प्रकार की खुदाई या उपरी स्तर पर छेड़छाड़ करना संवैधानिक जुर्म है और उसके लिये कठोर सजा का प्रावधान है।
लेकिन, खबर है कि अजातशत्रु किला मैदान व अजातशत्रु स्तुपा के आस-पास पुरातत्व विभाग के लापरवाही या संभवतः मिलीभगत से फिलहाल मलमास मेला की व्यवसायिक तैयारियों में जुटे लोग प्रतिबंधित भूमि व क्षेत्र को मनमाने ढंग से इस्तेमाल कर रहे हैं। स्थानीय प्रशासन भी इस खेल में संलिप्त बताई जाती है।
हमारे एक्सपर्ट मीडिया न्यूज रिपोर्टर ने आज राजगीर भ्रमण करने के दौरान जो तस्वीरें प्रेषित की हैं, उससे साफ जाहिर होता है कि आस-पास स्थल के साथ मेला व्यवसायियों ने सीधे अजातशत्रु स्तूपा को ही निशाना में ले लिया है। वहां बडे-बडे पंडाल, थियेटर हाउस, जादू घर, मौत का कुआं आदि निर्माण हो रहे हैं, जो भारतीय पुरातत्व विभाग के विनिर्देश-मानकों का खुला उल्लंघन कर अजातशत्रु स्तूपा को सीधा नुकसान होना साफ दर्शाता है।
इतना ही नहीं, अजातशत्रु स्तुपा से सटे धुनिवर के पास, जो भारतीय पुरातत्व एवं संरक्षण विभाग की प्रतिंधित क्षेत्र है और विभागीय तौर पर घेराबंदी कर दी गई है, वहां भी मेला व्यवसायी मनमानी करते हुये घेराबंदी के अंदर बड़े-बड़े पंडाल व अन्य निर्माण कार्य करा रहे हैं।
ऐसी बात नहीं है कि स्थानीय स्तर पर पुरातत्व विभाग एवं सर्वेक्षण विभाग के पदाधिकारी इन सब से अनभिज्ञ हैं। उन्हें सब पता है। फिर भी वे धृतराष्ट की मुद्रा में हैं। शायद मलमास मेला के इस व्यवसायिक खेल में उनकी भी अपनी अवैध हिस्सेदारी नीहित है।