यह अधिकारी उदंड और बेलगाम नहीं हैं। बल्कि बिहार का सुशासन ही उदंड और बेलगाम है। बिल्कुल नकारा है। पैसा-पैरवी से डिग्री-नौकरी-पद मिलती है, चरित्र-संस्कार नहीं। अररिया का यह बदतमीज अधिकारी आयना है, उस लोकतांत्रिक सामंतवाद की, साफ लगता है कि 15 साल में जिसकी जड़ों को ही सींचा गया है...
✍️मुकेश भारतीय / एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क डेस्क
खबर है कि अररिया में मनोज कुमार नामक एक उदंड पदाधिकारी ने एक होमगार्ड के जवान को सिर्फ इसलिए उठक-बैठक करवाई, घुटने के बल माफी मंगवाई कि उसने अपने कर्तव्य का निर्वाह करते हुए चेकिंग के गाड़ी रुकवाई।
जाहिर है कि वैसे मौजूद पुलिस अफसर-कर्मी को भी न तो अपने दायित्व का बोध है और न ही कर्तव्य का अहसास। बदमाश कृषि पदाधिकारी से कम दोषी उसे नहीं माना जा सकता, जो खुद की वर्दी की भी इज्जत उतार ली। अब पुलिस महकमा ऐसे वेशर्म लोगों के खिलाफ अब तक क्या कड़ी कार्रवाई की है या आगे करती है, यह भी समझने वाली बात है।
जहां तक होम गार्ड के जवान का सवाल है तो उसने अपना फर्ज निभाया। वह सम्मान का पात्र है। उसने अधिकारी से वाहन का सिर्फ पास दिखाने के लिए कहा। लॉकडाउन जैसे खौफनाक माहौल में करोना वायरस संक्रमण के बढ़ते खतरे की आशंका के मद्देनजर उसे एक सिपाही की मानव प्रेम से जोड़ा जाना चाहिए।
लेकिन यह कहां की घटियापन है कि बदले में फर्जवान ही माफी मांगे। कान पकड़ कर उठक-बैठक करे। जूतों पर गिरकर आंसू बहाए। लेकिन निकम्मे नेताओं, जो बीच सड़क अपनी धोती खोल मनोज कुमार सरीखे नकारे लोगों की दलाली खाते हैं और पूरी व्यवस्था का बेड़ा गर्क कर बैठते हैं।