इंडिया न्यूज रिपोर्टर डेस्क। झारखंड के देवघर से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है त्रिकुट पर्वत। यहां पर्यटन विभाग द्वारा रोपवे स्थापित किया गया है। यह प्रदेश के रोमांचक पर्यटन स्थलों में से एक है। केबल पर लटके कार, जिसे केबल कार कहते हैं, वह एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाता है।
कहा जा रहा है कि मैनटेनेंस के अभाव में त्रिकूट रोपवे दुर्घटना हुई है। झारखंड सरकार और गृह मंत्रालय रोपवे दुर्घटना में बचाव कार्य की मॉनिटरिंग कर रहा है।
रोपवे एक ऐसी चीज है जिसका नाम सुनते ही हर इन्सान का मन रोमांच से भर जाता है। जिन जगहों को देखने के लिए वैसे आपको शायद एक घंटा लगे, रोपवे की सवारी से वही चीज आप कुछ मिनटों में देख सकते हैं।
इसके अलावा आप घाटियों और पहाड़ों के ऊपर से गुजरने का अनुभव ले सकते हैं। भारत में भी कुछ ऐसे रोपवे हैं जिनकी एक सवारी से आपका मन खुश हो जाएगा।
रोपवे की लंबाई लगभग 766 मीटर (2512 फीट) है जो भारत का सबसे ऊँचा ऊर्ध्वाधर रोपवे है जिसका अधिकतम लेंस कोण 44 डिग्री है। त्रिकुट रोपवे मे पर्यटकों के लिए कुल 26 केबिन उपलब्ध हैं।
प्रत्येक केबिन में चार लोग बैठ सकते हैं। नीचे से ऊपर पहुंचने के लिए केवल 8 से 10 मिनट लगते हैं। सबसे मजेदार तो यह कि यह सतह से 800 मीटर की उंचाई पर बने रोपवे से सफर करने का आनंद रोमांचक होता है।
नामनांग और ताशिलिंग से होते हुए ये रोपवे आपको लगभग 3500 मीटर की ऊंचाई तक ले जाता है। इस पूरे सफर को तय करने में कुल 15 से 20 मिनट का समय लगता है।
गन हिल केबल कार, मसूरीः मसूरी की केबल कार(रोपवे) केवल भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में अपने आकर्षक नजारों के लिए जानी जाती है।
गन हिल मसूरी का दूसरा सबसे ऊंचा पहाड़ है जहां ये रोपवे लेकर जाता है।
पहाड़ के ऊपर से दिखाई देने वाला नजारा बहुत प्यारा होता है। हिमालय पर्वतमाला और दून घाटी के शानदार दृश्यों से रूबरू कराने वाला ये रोपवे मसूरी की सबसे लोकप्रिय चीजों में से है।
सोलांग वैली रोपवे, मनालीः जब भी कोई मनाली आता है तब वो सोलांग वैली को देखने जरूर जाता है।
सोलांग कुल्लू घाटी का हिस्सा है जो अपने एडवेंचर स्पोर्ट्स के लिए जाना जाता है। इस सूची में सबसे पहला नाम आता है सोलांग रोपवे का।
इस रोपवे की शुरुआत सोलांग घाटी से होती है जो 3200 मीटर की ऊँचाई से होते हुए अंत में फाटरू पहुंचता है। लगभग 10 मिनट की इस जादुई यात्रा में आपको हिमाचल की रूह दिख जाती है। कलकल बहते झरने और नदियां, बेहतरीन नजारे और ढेर सारी प्राकृतिक सुन्दरता।
महाकाली रोपवे, गुजरातः इस रोपवे का नाम गुजरात के प्रसिद्ध महाकाली मंदिर के नाम पर रखा गया है। इस रोपवे का इस्तेमाल पहाड़ के ऊपर बसे महाकाली मंदिर तक पहुँचने के लिए किया जाता है।
लगभग 1 किमी. लंबी दूरी वाले इस रोपवे की डिमांड हाल के कुछ सालों में बढ़ी है। खासतौर से अगर आप नवरात्रि के समय यहां आते हैं तब आपको इस रोपवे में सवारी करने के लिए अच्छा खासा इंतजार भी करना पड़ सकता है।
इस रोपवे की शुरुआत जोशीमठ से होती है और ये आखिर में औली पहुंचकर खत्म होता है। इस रोपवे में बैठकर आप हिमालय पर्वतमाला और नंदा देवी पहाड़ के हैरान कर देने वाले नजारे देख सकते हैं।
इस रोपवे का इस्तेमाल विश्वशांति स्तूप जाने के लिए किया जाता है जो रत्नागिरी पहाड़ पर बना है। इस रोपवे की सबसे अच्छी बात ये है कि हर केबल कार में एक बार में केवल एक ही व्यक्ति बैठ सकता है।
इस केबल कार से आप केवल 45 मिनट में सिंगला बाजार पहुंच सकते हैं। इस रोपवे की सवारी करने पर आपको केवल दार्जिलिंग शहर ही नहीं बल्कि पहाड़, नदियाँ, झरने और चाय के बागान के बेहद खूबसूरत नजारे देखने के लिए मिलते हैं।
इस रोपवे से आपको नीचे फैले फूलों के बाग, फाउंटेन और कलाकृतियां दिखाई देती हैं। इस 60 फीट की ऊंचाई वाले रोपवे की सवारी करने के लिए आपको कुल 20 मिनट का समय लगता है।
स्काई व्यू गंडोला, पटनीटॉपः पटनीटॉप में बना ये रोपवे भारत की सबसे ऊंची केबल कारों में से है। जमीन से 65 मीटर की ऊंचाई पर बने इस रोपवे से आप संगेत से पटनीटॉप पहुंच सकते हैं और वो भी केवल 12 मिनट में।
ये भारत का अकेला ऐसा गंडोला है जो पहाड़ों और पेड़ों दोनों के ऊपर से होकर गुजरता है। अगर आप दिसंबर या जनवरी में इस गंडोला में बैठते हैं तब आपको चारों तरफ केवल बर्फ ही बर्फ दिखाई देगी।
इस 3 किमी लंबे रोपवे में सवारी करने के लिए दो पड़ाव हैं जिन्हें पार करते हुए आप सिंगारा से ग्लेनमोर्गन पहुंचते हैं। इस रोपवे से आप मुदुमलाई नेशनल पार्क, मोयार घाटी और मैसूर के शानदार नजारे देख सकते हैं।
गुलमर्ग गंडोला, गुलमर्गः
जम्मू कश्मीर के गुलमर्ग में बना ये रोपवे दुनिया का दूसरा सबसे ऊंचा चलने वाला गंडोला है। ये एशिया का सबसे ऊंचा रोपवे भी है। 4200 मीटर की ऊंचाई से होकर गुजरने वाला ये गंडोला लगभग 2.5 किमी. लंबा सफर तय करता है।
पहले चरण में आप गुलमर्ग रिजॉर्ट से कोंगडोरी घाटी आती हैं जहाँ से फिर आप अपहरवट पहुँचते हैं। इस पूरी यात्रा को करने में लगभग 21 मिनट का समय लगता है।
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