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समस्तीपुर में फर्जी BPSC शिक्षकों की बहाली से हड़कंप, 16 मई को दरभंगा में होगी सुनवाई

समस्तीपुर (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। बिहार शिक्षा विभाग में एक और चौंकाने वाला खुलासा सामने आया है, जो न केवल विभागीय कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है बल्कि शिक्षा व्यवस्था की साख पर भी गहरा आघात करता है। समस्तीपुर जिले के विभूतिपुर प्रखंड में फर्जी शिक्षकों की बहाली का एक गंभीर मामला प्रकाश में आया है, जिसमें तत्कालीन प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी और कई विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों की संलिप्तता की बात सामने आई है।

इस घोटाले का खुलासा तब हुआ, जब निदेशक प्राथमिक शिक्षा, बिहार पटना के पत्रांक-188 (दिनांक 20 फरवरी 2025) के आधार पर समस्तीपुर जिला शिक्षा पदाधिकारी ने विभागीय जांच के आदेश दिए। प्राथमिक जांच में यह संदेह जताया गया कि TRE-1 के तहत आठ फर्जी BPSC शिक्षकों की नियुक्ति करवाई गई, जिसमें तत्कालीन प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी कृष्णदेव महतो (अब सेवानिवृत्त) की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है। बताया जा रहा है कि यह सब कुछ विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों की मिलीभगत से अंजाम दिया गया।

इस मामले को लेकर अब विभाग ने एक विस्तृत जांच प्रक्रिया शुरू कर दी है। जांच की अगली महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में 16 मई 2025 को पूर्वाह्न 11 बजे दरभंगा प्रमंडल कार्यालय में सुनवाई निर्धारित की गई है। इस दौरान विभूतिपुर प्रखंड के विभिन्न विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों को समस्त संबंधित दस्तावेज़ों, संचिकाओं और प्रतिवेदनों के साथ उपस्थित होने का सख्त निर्देश दिया गया है।

जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय में जिन विद्यालयों के प्रधानाध्यापक तलब किए गए हैं, उनमें प्रावि कल्याणपुर विशनपुर, मवि सर्मथा, राप्रावि तरुणियाँ, प्रावि धोबीटोल बोरिया, (वार्ड नं.7 सहित), उमवि कोदरिया, प्रावि आलमपुर मुसहरी, प्रावि नवटोलिया विद्यालय शामिल हैं।

बहरहाल यह मामला सामने आने के बाद शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली को लेकर गहरे सवाल उठ रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इन आरोपों की पुष्टि होती है तो यह बिहार की शिक्षा व्यवस्था में एक बड़ी चूक के रूप में देखा जाएगा। जिसकी भरपाई छात्रों के भविष्य पर पड़े प्रभाव से करनी पड़ सकती है।

सूत्रों के अनुसार विभागीय स्तर पर यह प्रयास किया जा रहा है कि इस प्रकरण में शामिल हर व्यक्ति की जवाबदेही तय की जाए और दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो। अब यह देखना बेहद अहम होगा कि 16 मई की सुनवाई के बाद जांच किस दिशा में जाती है और क्या वाकई फर्जी शिक्षकों की बहाली में छुपे सच से पर्दा उठ पाता है।

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