पटना (जयप्रकाश नवीन)। “लिख रहा हूं मैं अंजाम जिसका कल आगाज़ आएगा,मेरे लहू का हर कतरा देश में एक बदलाव लाएगा” यह पंक्ति एक जांबाज आईपीएस के लिए हैं, जिन्होंने कई सालों तक बिहार कैडर के रूप में एक विशिष्ट पहचान बनाई, ईमानदारी से काम करते रहे। फिर बिहार से महाराष्ट्र चलें गये। फिर चर्चा है कि वे फिर से बिहार बतौर डीआईजी बनकर आ रहें हैं।
सुपरकॉप के नाम से मशहूर आईपीएस अफसर शिवदीप लांडे पांच साल के डेपुटेशन ड्यूटी के बाद वापस बिहार लौट कर आ रहे है। शिवदीप लांडे दिसंबर के पहले हफ्ते से एक बार बिहार में दिखाई देंगे। बिहार पुलिस में ऐसे कई अफसर हैं जिनका नाम और चेहरा लोगों को बखूबी याद है।
इन्हीं में से एक अधिकारी है बिहार कैडर के आईपीएस शिवदीप लांडे।वह परिचय के मोहताज नहीं हैं।नाम है शिवदीप वामनराव लांडे।
शिवदीप वामनराव लांडे उन जांबाज आईपीएस में हैं, जो लॉ एंड आर्डर के लिए कुछ भी कर सकते हैं। किसी के दवाब में नहीं आने वाले शिवदीप की छवि एक राबिन हुड की है। उन्होंने अपनी ड्यूटी को दिलों जान से निभाया है।
वे आम और खास में कोई फर्क नहीं करते। उनके लिए कानून सबके लिए एक जैसा है और उसकी धाराएं भी। उनका ट्रांसफर कहीं भी किया गया ईमानदारी से अपनी ड्यूटी निभाई। कार्यशैली नहीं बदली। मामला खनन से जुड़ा हुआ हो,या भ्रष्टाचार से या फिर मानव तस्करी से सबको खत्म किया। अपनी जान को जोखिम में डाला।
शिवदीप वामनराव लांडे एक ऐसे आईपीएस हैं जो सिर्फ एक पुलिस अफसर नहीं हैं, बल्कि अनगिनत कहानियों के पात्र हैं। आप जो फिल्मों में एक दबंग पुलिस को देखते हैं वह रियल लाइफ केे दबंग रियल हीरो हैं।
एक समय वें बिहार के गुंडे-बदमाशों के लिए खौफ बन गये थें। अपराधी उनका नाम सुनते ही या तो गुंडागर्दी बंद कर देता था या जिले से पलायन कर जाता था।इनसे छुटकारा पाने का एक मात्र उपाय सिर्फ ट्रांसफर होता था।
इस बेखौफ पुलिस अफसर ने फिल्मी स्टाइल में बिहार की कानून व्यवस्था को कायम किया। कहने को शिवदीप एक पुलिस अफसर हैं, लेकिन उनकी भूमिका किसी फिल्मी हीरो से कम नहीं रहीं हैं।
बात चाहे उनके आईपीएस बनने की कहानी हो, उनके काम करने के तरीके की हो, लोगों के दिलों में उनके प्रति प्यार और सम्मान की हों या फिर उनकी प्रेम कहानी।हर एंगल से उनकी कहानी किसी फिल्मी पर्दे से कम नहीं है।
29 अगस्त,2976 को महाराष्ट्र के अकोला जिले के परसा गांव में एक किसान परिवार के घर में उनका जन्म हुआ था। पिता तीन बार मैट्रिक फेल कर चुके थें। भले ही उनका जन्म सामान्य परिवार में हुआ था, लेकिन उनके सपने काफी ऊंचे थें।
उन्होंने महाराष्ट्र के श्री संत गजानन महाराज इंजीनियरिंग कॉलेज से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की पढ़ाई पुरी कर उन्होंने संघ लोक सेवा आयोग की तैयारी शुरू कर दी।
प्रोफेसर से बनें आईपीएस: शिवदीप लांडे ने अपने कैरियर की शुरुआत एक प्रोफेसर से की। उन्होंने एक प्रतिष्ठित कॉलेज में अध्यापन शुरू किया।बाद में उनकी नियुक्ति राजस्व विभाग में आईआरएस के पद पर हुई। इसी बीच 2006 में संघ लोक सेवा आयोग में उनका चयन आईपीएस के लिए हुआ।दो साल प्रशिक्षण के बाद उन्हें बिहार कैडर मिला।
शिवदीप लांडे की पहली पोस्टिंग 2010 में मुंगेर जिले के नक्सल प्रभावित जमालपुर इलाके में हुई थी। अपनी पहली ही पोस्टिंग में अपने साहसिक कार्यों की वजह से मीडिया की सुर्खियां बनकर उभरे। मुंगेर में उनपर खनन माफियाओं ने तीन बार हमलें किए , बाबजूद वे अपने मिशन पर डटे रहे।
अपने कार्यशैली की वजह से मुंगेर की जनता में एक ईमानदार छवि के पुलिस अधिकारी के रूप में बनाई।यही वजह रही कि जब मुंगेर से उनका ट्रांसफर हुआ तो जनता ने छह किलोमीटर तक उनपर फूलों की बारिश कर उन्हें विदा किया था।
मुंगेर से जब वह पटना आएं तो अपने अनोखे कार्यशैली से उन्होंने देश में लोकप्रिय हो गये। मीडिया के माध्यम से देश के लोगों ने देखा कि शिवदीप लांडे कैसे सर पर दुपट्टा ओढ़े मुरादाबाद के एक इंस्पेक्टर को कालर पकड़ कर ले जा रहें थें।
जनवरी,2015 में मामला कुछ ऐसा था कि उन्हें जानकारी मिली थी कि पटना के दो व्यवसाय भाईयों से मुरादाबाद का इंस्पेक्टर सर्वचंद एक मामले को रफा-दफा करने के लिए रकम मांग रहा है। उससे पकड़ने के लिए लांडे सिर पर दुपट्टा लपेटकर डाक-बंगला चौराहा पहुंच गये और उक्त इंस्पेक्टर को धर दबोचा।
पटना में उस समय गुंडों का आतंक था। जिनमें कुछ तमंचे वाले थें,कुछ सफेदपोश तो कोई शरीफ गुंडे। जिनमें कालाबाजारी करने वाले भ्रष्ट व्यापारी और दवा कालाबाजारी शामिल थें। कुछ ऐसे भी शराब माफिया थें जिनके पास दुकान का लाइसेंस नहीं था। सबकी कमर तोड़ दी। उन्होंने पटना को नौ महीने में ही पटरी पर ला खड़ा कर दिया।
शिवदीप कभी बहुरूपिया बन जाते,तो कभी लुंगी-गंजी में पहुंच जाते।कभी चलती बाइक से कूद पड़ते तो कभी किसी लफंगे के बाइक के आगे खड़ा हो जातें। कहा जाता है कि पटना की लड़कियों के लिए वह रियल हीरो थें। पटना के स्कूल कालेज में पढ़ने वाली हर लड़की के पास उनका फोन नंबर हुआ करता था।
दरअसल वह दौर था जब पटना में आवारा लफंगों के कारण लड़कियों और महिलाओं का घर से निकलना दुश्वार हो गया था। सड़क छाप गुंडे कालेज जाती लड़कियों पर फब्तियां ही नहीं कसते बल्कि सरेराह छेड़खानी से भी बाज नहीं आ रहें थे।
शिवदीप जब पटना आएं तो यह शिकायत उनके पास पहुंचीं। वे खुद कालेज जाकर लड़कियों से मिलने लगे उनकी परेशानी पूछने लगें। उन्होंने लड़कियों को अपना नबंर दिया कहा परेशानी होने पर फोन या एस एम एस कर दें।
जहां भी शिकायत मिलती वह बाइक लेकर अकेले निकल पड़ते। अगले पल वे लड़कियों की मदद के लिए वहां मौजूद होते। उन्होंने मजनूओं को अक्ल ठिकाने लगाने के लिए सादी वर्दी में महिला-पुरूष सिपाहियों को तैनात कर दिया। कितने मनचले धरे गए, कितनों को उन्होंने सीधा किया इसका हिसाब नहीं होगा।
पटना में शिवदीप लांडे की लोकप्रियता इतनी बढ़ गई थी कि राजनीतिक दबाव में उनका तबादला अररिया कर दिया गया तो लोगों ने कैंडल मार्च निकालकर सरकार के इस फैसले का विरोध किया। यहां तक कि सर्दी के मौसम में लोगों ने कई दिन तक भूख हड़ताल की और विरोध प्रदर्शन किया था।
पटना से शिवदीप लांडे अररिया गये वहां भी उनकी लोकप्रियता कमी नहीं। यहीं कारण रहा कि जब उनका अररिया से तबादला हुआ तो जनता ने उन्हें दो दिन जिले से बाहर ही नहीं जाने दिया।
रोहतास में बतौर एसपी उन्होंने खनन माफियाओं की चूले हिलाकर रख दी।खनन माफिया विभिन्न राजनीतिक दलों से जुड़े हुए थें। बाबजूद उन्होंने सबकी बैंड बजा रखी थी।
खनन माफियाओं में उनकी इतनी खौफ थी कि शिवदीप को अपने रास्ते से हटाने के लिए अपराधियों ने उन पर अंधाधुंध फायरिंग कर दी। फिल्मी स्टाइल में शिवदीप ने भी इसका जबाव दिया। दोनों तरफ से ताबड़तोड़ फायरिंग होने लगी।
अंत में शिवदीप लांडे के आगे गुंडे घुटने टेक दिए। इसके बाद उन्होंने स्वयं जेसीबी चलाकर अवैध खनन की सारी मशीनें उखाड़ फेंकी। लगभग 500 से ज्यादा लोगों की गिरफ्तारी उन्होंने की। रोहतास एसपी के पद से उनकी विदाई कैसे हुई, पुलिस महकमे में यह बात सबको पता है।
लांडे की जहां भी नियुक्ति हुई वह लोगों की आंख का तारा बनकर रहें। लोगों ने उन्हें सर-आंखों पर बिठाया, हाथों हाथ लिया। मीडिया ने उन्हें पता नहीं कितने उपनाम दिये। कोई उन्हें दबंग कहता कोई सिंघम तो कोई राबिन हुड।
कहा जाता है कि दबंग फिल्म में सलमान खान ने चुलबुल पांडे नाम के जिस पुलिस अफसर का किरदार निभाया था, वह शिवदीप लांडे को केंद्र में रखकर बनाई गई थी।इस फिल्म में अधिकांश किस्से शिवदीप लांडे के रियल जिंदगी से जुड़े हुए हैं।
फिल्मी हैं उनकी प्रेम कहानी: शिवदीप लांडे के जीवन में सब कुछ रील लाइफ की तरह हो रहा था,तो ऐसे में उनकी प्रेम कहानी भी किसी फिल्मी पटकथा से कम नहीं हैं। बिहार में रहते हुए भी मुंबई में उनके दोस्तों की एक अच्छी सर्किल है।
ऐसे में वह एक दोस्त की पार्टी में मुंबई गए। उसी पार्टी में उनकी नजर एक लड़की पर पड़ी।जिसका नाम ममता शिवतारे। ममता महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और पुणे के पुरंदर से विधायक विजय शिवतारे की बेटी थी।
ममता स्वयं एक डाक्टर भी थी। बस एक मुलाकात के बाद मुलाकातों का सिलसिला जो शुरू हुआ वह प्यार में बदल गया। 2 फरवरी,2014 को दोनों की शादी हो गई।कहा जाता है कि शिवदीप लांडे की शादी की खबर सुनकर पटना की कई लड़कियों का दिल टूटा था।
कोमल दिल का नायक: उपर से काफी सख्त और पत्थर दिल दिखने वाले शिवदीप अंदर से बहुत ही भावुक और कोमल हृदय के इंसान हैं। उनके कोमलता की कई कहानियां हैं। रोहतास में एसपी रहते हुए एक भैरव पासवान को एक लावारिस बच्ची मिली।जो काफी बीमार थी।
भैरव पासवान को कोई संतान नहीं थी। वह उसे गोद लेना चाहते थे। लांडे को जब जानकारी मिली तो उन्होंने और उनकी पत्नी ने बच्ची को अस्पताल में भर्ती कराया।इलाज के बाद गोद लेने की कानूनी प्रक्रिया भी पूरी कराई।
वैसे ही एक अन्य कहानी है जब वे अररिया में थें तब किसी ने उनके सरकारी आवास के बाहर एक नवजात बच्ची को छोड़ गया। उसकी आवाज सुनकर वे बाहर आएं उस बच्ची को भीषण ठंड से बचाकर स्वयं उसकी देखभाल की फिर सीडब्ल्यूसी के अध्यक्ष को सौंप दिया।
जब वे पटना में सिटी एसपी थें तब उन्हें पता चला कि पटना के एक अस्पताल में एक बच्ची है।जिसके माता पिता छोड़ कर चले गए हैं। शिवदीप ने बच्ची की मां का पता लगाने के लिए इस हद तक गये कि पूर्वी कटिहार जिले में उसके घर तक पहुंच गए।
पिता ने बताया कि अस्पताल वाले ढ़ाई लाख मांग रहे थे इसलिए बच्ची को छोड़ कर आना पड़ा। शिवदीप ने उस बच्ची का इलाज कराया। जिससे वह बच्ची जिंदा रह सकी।ऐसे अनगिनत कहानियां हैं। बिल्कुल फिल्म की तरह।
बार-बार तबादले से खिन्न शिवदीप लांडे ने बिहार छोड़ने का मन बना चुके थे। उन्होंने केंद्र सरकार से अपने गृह राज्य महाराष्ट्र लौटने की इच्छा जताई।कहा जाता है कि इस में उनके श्वसुर विजय शिवतारे का बड़ा योगदान रहा।
उनके श्वसुर देवेंद्र फडणवीस सरकार में जल संसाधन मंत्री थें। उन्होंने खुद तत्तकालीन सीएम से शिवदीप की पैरवी की, जिससे उनके महाराष्ट्र कैडर में जाने की राह आसान हो गई।
शिवदीप लांडे महाराष्ट्र के पुलिस विभाग में क्राइम ब्रांच के एंटी नारकोटिक्स सेल में एडिशनल कमिश्नर आफ पुलिस कार्यरत थे।
एक बार फिर बिहार में डीआईजी के रूप में आ रहें हैं। उनके आने की खबर से अपराधियों और भ्रष्टाचारियों में हड़कंप मचा हुआ है। लोगों में खुशी देखी जा रही है तो अपराध जगत में गम।