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तेजस्वी यादव ने अब प्रदेश भाजपा संगठन महामंत्री की खोली पोल

पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। बिहार की सियासत में एक बार फिर मतदाता सूची को लेकर हंगामा मच गया है। विधानसभा नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

इस बार उनका निशाना बिहार भाजपा के प्रदेश संगठन महामंत्री भिखूभाई दलसानिया हैं, जिन्हें उन्होंने गुजरात से बिहार के मतदाता बनने का दावा करते हुए ‘वोट चोरी’ की साजिश का हिस्सा बताया है।

तेजस्वी यादव ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (X) पर एक तीखा पोस्ट साझा किया है। इस पोस्ट में उन्होंने भिखूभाई दलसानिया पर सवाल उठाए।

उन्होंने लिखा है, “ये भीखू भाई दलसानिया जी हैं। ये गुजरात के रहने वाले हैं। बिहार भाजपा के प्रदेश संगठन महामंत्री हैं। प्रधानमंत्री मोदी जी और गृहमंत्री अमित शाह जी के खास विश्वासपात्र हैं। इन्हें BJP के विशेष बिहार प्रॉजेक्ट पर लगाया गया है। 2024 लोकसभा में इन्होंने गृहमंत्री अमित शाह के लोकसभा क्षेत्र गांधीनगर में मतदान किया था। अब बिहार में विधानसभा चुनाव है तो गुजरात से नाम कटवाकर अब बिहार के मतदाता बन गए हैं।

तेजस्वी ने यह भी आरोप लगाया कि दलसानिया का नाम बिहार की मतदाता सूची में बिना किसी पते या मकान नंबर के दर्ज है और उनका नाम हिंदी के बजाय गुजराती भाषा में लिखा गया है।

उन्होंने इसे एक सुनियोजित साजिश करार देते हुए कहा है कि बिहार की मतदाता सूची में इनका नाम हिंदी में नहीं बल्कि गुजराती भाषा में ही लिखा हुआ है। ताकि कोई हिंदीभाषी पढ़ न सके।

तेजस्वी ने चुनाव आयोग पर भी निशाना साधते हुए कहा कि चुनाव आयोग की महिमा अपरंपार है। लेकिन इस बार हम भी एक-एक चीज देख रहे हैं। बिहार में चुनाव आयोग की वोट चोरी नहीं चलने देंगे।

तेजस्वी ने इससे पहले मुजफ्फरपुर की मेयर और भाजपा नेत्री निर्मला देवी पर भी दोहरे वोटर आईडी रखने का आरोप लगाया था। उन्होंने दावा किया कि निर्मला देवी और उनके दो रिश्तेदारों के पास एक ही विधानसभा क्षेत्र में दो-दो वोटर आईडी हैं, जिनमें अलग-अलग उम्र और बूथ नंबर दर्ज हैं।

तेजस्वी ने इसे लोकतंत्र के लिए खतरा बताते हुए कहा कि यह भाजपा और चुनाव आयोग की मिलीभगत का नतीजा है।

उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दस्तावेज दिखाते हुए कहा कि मुजफ्फरपुर की मेयर निर्मला देवी के पास एक ही विधानसभा में दो ईपिक नंबर हैं। एक बूथ पर उनकी उम्र 48 साल दर्ज है, जबकि दूसरे पर 45 साल। उनके दो देवरों दिलीप कुमार और मनोज कुमार के भी दो-दो वोटर आईडी हैं। यह साफ तौर पर मतदाता सूची में हेरफेर का मामला है।

तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए कहा कि आयोग भाजपा के इशारे पर काम कर रहा है।

उन्होंने आरोप लगाया कि 2020 के विधानसभा चुनाव में भी वोट चोरी की गई थी, जिसके कारण उनकी पार्टी को 12,000 वोटों के मामूली अंतर से 10 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा।

उन्होंने चंडीगढ़ मेयर चुनाव का उदाहरण देते हुए कहा, “वहां सीसीटीवी के बावजूद धोखाधड़ी हुई और इसे छिपाने के लिए चुनाव आयोग ने सीसीटीवी हटा दिया।

तेजस्वी ने यह भी दावा किया कि विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया के तहत 65 लाख मतदाताओं के नाम सूची से हटाए गए हैं, जिसमें ज्यादातर गरीब, दलित और अल्पसंख्यक समुदाय के लोग शामिल हैं।

उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में स्वत: संज्ञान लेने की अपील की और कहा कि अगर आयोग पारदर्शिता नहीं बरतता तो उनकी पार्टी चुनाव बहिष्कार पर विचार कर सकती है।

तेजस्वी के आरोपों पर भाजपा ने भी पलटवार किया है। भाजपा का कहना है कि तेजस्वी यादव ने विधानसभा चुनाव से पहले ही हार मान ली है। उनके पास कोई ठोस सबूत नहीं हैं और वे निराधार आरोप लगा रहे हैं। दलसानिया का बिहार में मतदाता के रूप में पंजीकरण लोकतंत्र की स्वस्थ प्रक्रिया का हिस्सा है।

तेजस्वी ने बताया कि SIR प्रक्रिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मामला चल रहा है। उन्होंने दावा किया कि कई ऐसे लोग जिनके नाम मृत बताकर हटाए गए थे, वे कोर्ट में जिंदा पाए गए।

उन्होंने कहा, “यह साबित करता है कि मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हो रही है।” तेजस्वी ने मांग की कि आयोग बूथ-वार हटाए गए मतदाताओं की सूची और उनके नाम हटाने का कारण सार्वजनिक करे।

तेजस्वी ने ऐलान किया कि 17 अगस्त से राजद ‘वोटर अधिकार यात्रा’ शुरू करेगी, जिसमें गठबंधन के सहयोगी दलों के साथ मिलकर मतदाता सूची में गड़बड़ी के खिलाफ जागरूकता फैलाई जाएगी। बिहार की जनता के वोट के अधिकार को छिनने नहीं देंगे।

बहरहाल, बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची को लेकर यह विवाद सियासी माहौल को और गर्मा रहा है। तेजस्वी यादव के आरोपों और भाजपा के पलटवार के बीच चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। आने वाले दिनों में यह मुद्दा और तूल पकड़ सकता है और इसका असर बिहार की चुनावी राजनीति पर पड़ना तय माना जा रहा है।

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