“सबाल उठता है कि एक माह पहले उन पांच दिनों के भीतर किस तरह के मेंनटेंस कार्य किया गये थे कि तकनीकी खराबी आ गई। जाहिर है कि यहां मेंनटेंस के नाम पर महज खानापूर्ती की गई।”
एक्सपर्ट मीडिया न्यूज। नालंदा जिले के अन्तराष्ट्रीय पर्यटन क्षेत्र राजगीर में हर तरफ अव्यवस्था का आलम है और लूट-खसोंट मची है। यहां पर्यटन व धार्मिक स्थानों पर तो स्थिति काफी गंभीर नजर आती है।
विगत 24 सितंबर को राजगीर रोप वे अचानक ठप हो गया। इससे सफर कर रहे सैलानियों बीच रास्ते में ही फंस गये। चारो तरफ अफरातफरी मच गई। किसी तरह स्थानीय व राजगीर का लुत्फ उठाने आये पर्यटकों के प्रयास से लोगों को सुरक्षित बचा लिया। एक बड़ी घटना टल गई।
इस रोप वे का हाल ही में पिछले माह उषा मार्टिन कंपनी ने मेंनटेंस किया था। उस दौरान भी पांच दिनों तक रोप वे का परिचालन बंद (6.08.2017 से 30.08.2017 तक) रखा गया था।
बताया जाता है कि रोपवे के अपर स्टेशन प्लेटफार्म पर रोप को खिंचने वाला रिटर्न ड्राइव सी लार्ज व्हील का बॉल बेयरिंग अचानक क्षतिग्रस्त होकर जाम हो गया और रोप वे का परिचालन ठप हो गया। अचानक आयी तकनीकी खराबी से रोप वे की सीट पर बैठे यात्री हवा में ही फंस गए।
फंसे हुए पर्यटकों में श्रीलंका सहित अन्य जगहों के पर्यटक शामिल थे। श्रीलंका से आये हुए आठ सदस्यीय दल में से पांच विकलांग पर्यटक थे, जो रोपवे से शांति स्तूप जा रहे थे। उन्हे सीढ़ी एवं रस्सी की मदद से काफी मशक्कत के बाद नीचे सुरक्षित उतारा जा सका।
यहां यह भी बताया जाता है कि हर छह माह में विभागीय यांत्रिकी शाखा पटना के कार्यपालक अभियंता, सहायक अभियंता, कनीय अभियंता सरीखे तकनीकार रोप वे मैकेनिज्म का निरीक्षण करते हैं और अगले छह माह के परिचालन का फिटनेस सर्टिफिकेट जारी करते हैं। इसके बाद ही रोप वे का परिचालन शुरू किया जाता है।
बकौल रोप वे प्रबंधक मुकेश कुमार, पुनः उषा मार्टिन कंपनी से उपकरण की आपूर्ति कराए जाने की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है।
यहां भी सबाल उठता है कि पिछले माह जब उषा मार्टिन कंपनी से ही मेंनटेंस कार्य कराया गया तो फिर उसी से पुनः कार्य कराने का क्या औचित्य है ? जाहिर है कि रोप वे संचालन की जिम्मेवारी संभाल रहे बिहार स्टेट टूरिज्म डेपलपमेंट कॉरपोरेशन लि. और उषा मार्टिन कंपनी के बीच एक लूट की डील है।
ऐसे में पर्यटन विकास निगम के महाप्रबंधक जयनाथ महतो का यह कहना उन्हें खुद कटघरे में खड़ा करता है कि ‘विभाग इस घटना के प्रति संवेदनशील है। कोलकाता की तकनीकी कंपनी उषा मार्टिन एजेंसी द्वारा मेंटेनेंस का काम किया गया था। जब तक तकनीकी खराबी के कारणों की जांच नहीं हो जाती, तब तक किसी को भी जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।‘