जमीन फर्जीवाड़ा को लेकर रांची जन शिकायत कोषांग-अबुआ साथी तंत्र फेल!

रांची (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। रांची जिला के कांके अंचल कार्यालय में एक गंभीर जमीन फर्जीवाड़ा की शिकायत का ढाई माह से अधिक समय बीत जाने के बावजूद कोई जवाब नहीं मिला है। जबकि रांची उपायुक्त और जन शिकायत कोषांग ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए थे। यह मामला न केवल प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि कांके अंचल कार्यालय की कथित मिलीभगत और जमीन फर्जीवाड़े के लिए उसकी कुख्याति पर भी सवाल उठाता है।
एक पीड़िता आशा कुमारी ने 4 जून 2025 को कांके अंचल कार्यालय और उपायुक्त को एक शिकायत दर्ज की थी। शिकायत में उन्होंने बताया कि उनकी एवं दो अन्य वैध रूप से खरीदी गई जमीन (वर्ष 2010 में खरीदी गई, आरएस प्लॉट नंबर 1335, खाता नंबर 17, केन्दुपावा दोन, मौजा नेवरी, कांके अंचल) पर एक फर्जी डीड के आधार पर अवैध दाखिल-खारिज किया गया।
शिकायत के अनुसार शेखर राज (पिता अभय कुमार) नामक व्यक्ति ने 2022 में फर्जी डीड बनवाकर 25 डिसमिल में से 12 डिसमिल जमीन का अवैध दाखिल-खारिज करवाया और तब से ऑनलाइन रसीद कटवा रहा है। आश्चर्यजनक रूप से आशा कुमारी की जमीन का दाखिल-खारिज 2010 में ही हो चुका था और वे 2025-26 तक लगान चुका रही हैं।
13 जून 2025 को जन शिकायत कोषांग रांची ने आशा कुमारी की शिकायत को अपर समाहर्ता को भेजा। जिसमें तत्काल कार्रवाई का निर्देश दिया गया (पत्रांक 2847(ii)/ज.शि.को., दिनांक 13/06/2025)।
इसके बाद 19 जून 2025 को अपर समाहर्ता ने कांके अंचल अधिकारी को जांच और प्रतिवेदन प्रस्तुत करने का आदेश दिया (पत्रांक 3079(ii)/रा., दिनांक 19/06/2025)। लेकिन अब तक न तो कांके अंचल कार्यालय ने कोई जवाब दिया, न ही कोई कार्रवाई की गई। जिससे आशा कुमारी और उनके परिवार में भय और अनिश्चितता का माहौल है।
आशा कुमारी ने अपनी शिकायत में लिखा कि यह आश्चर्यजनक है कि 2010 में पूरी तरह वैध दाखिल-खारिज के बाद 2022 में फर्जी तरीके से मेरी व अन्य की कुल 25 डिसमिल जमीन में अतिरिक्त 12 डिसमिल यानि 37 डिसमिल जमीन का दाखिल-खारिज और उसका रसीद निर्गत कैसे हो गया। यह जांच और कठोर कार्रवाई का विषय है।
बता दें कि कांके अंचल कार्यालय लंबे समय से जमीन से जुड़े फर्जीवाड़े, अवैध दाखिल-खारिज और अनधिकृत कब्जों के लिए बदनाम रहा है। झारखंड सरकार ने अवैध भूमि कब्जे के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं, जिसमें मुख्य सचिव ने बिहार (झारखंड) भूमि सुधार अधिनियम के तहत फर्जी दस्तावेजों की जांच का आदेश दिया था। लेकिन आशा कुमारी के मामले में कोई प्रगति न होना इस बात का संकेत है कि ये निर्देश जमीनी स्तर पर लागू नहीं हो रहे।
यह मामला झारखंड खासकर रांची में बढ़ते जमीन फर्जीवाड़े और प्रशासनिक देरी की गहरी समस्या को दर्शाता है। जन शिकायत कोषांग और अबुआ साथी जैसे ऑनलाइन पोर्टल शिकायतों के समाधान के लिए बनाए गए हैं, लेकिन इस मामले में निष्क्रियता नीति और कार्यान्वयन के बीच की गहरी खाई को उजागर करती है। रांची के उपायुक्त मंजुनाथ भजंत्री ने हाल ही में दाखिल-खारिज के लिए शिविर आयोजित किए हैं, लेकिन गंभीर फर्जीवाड़े की शिकायतें जैसे यह मामला अभी भी अनसुलझा है।
आशा कुमारी ने कहा कि यह सिर्फ मेरी जमीन का सवाल नहीं है। यह न्याय और कानून के शासन का सवाल है। प्रशासन की नाक के नीचे ऐसा फर्जीवाड़ा कैसे हो सकता है और कोई कार्रवाई क्यों नहीं हो रही?
बहरहाल, कांके अंचल कार्यालय और उपायुक्त कार्यालय की चुप्पी कई सवाल उठाती है। एक स्पष्ट जमीन फर्जीवाड़े की शिकायत को ढाई माह से क्यों अनदेखा किया जा रहा है? क्या यह व्यवस्थागत भ्रष्टाचार या नौकरशाही की अक्षमता का मामला है? डिजिटल भूमि रिकॉर्ड के युग में ऐसे फर्जी दाखिल-खारिज कैसे हो रहे हैं?
सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने अब जवाबदेही की मांग शुरू कर दी है। सोशल मीडिया पर इस मामले ने जोर पकड़ा है और लोग कांके अंचल कार्यालय की कार्यप्रणाली की गहन जांच की मांग कर रहे हैं। रांची प्रशासन ने हाल ही में जन शिकायतों के लिए व्हाट्सएप हेल्पलाइन (9430328080) शुरू की है, लेकिन यहां ऐसी शिकायतों का समाधान होना बाकी है या कहिए कि कोई सुध नहीं ली जाती है।
बहरहाल, यह मामला अब सुर्खियां बटोर रहा है। सभी की नजरें उपायुक्त मंजुनाथ भजंत्री पर टिकी हैं। क्या प्रशासन फर्जी दाखिल-खारिज को रद्द कर दोषियों को सजा देगा या यह मामला नौकरशाही की उदासीनता का एक और उदाहरण बन जाएगा? आशा कुमारी की अपनी जमीन के लिए लड़ाई जारी है, लेकिन समय बीतता जा रहा है।