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फैसला या आयना? गांव तक झकझोर गया जेजबी जज मानवेन्द्र मिश्रा का यह संज्ञान

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बेशक नालंदा जिला किशोर न्याय परिषद के प्रधान दंडाधिकारी सह अपर मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी मानवेन्द्र मिश्रा ने एक ऐसा फैसला दिया है, जो मानवीय संवेदनाओं के साथ पूरे समाज-व्यवस्था को झकझोर देती है। साथ ही उन्होंने शासन को जो निर्देश दिए हैं, वे अंतिम पायदान पर खड़े चौथी दुनिया को एक सबलता प्रदान करती है…”

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रिहाई के बाद जिला किशोर न्याय परिषद के प्रधान दंडाधिकारी सह अपर सत्र न्यायाधीश मानवेन्द्र मिश्रा द्वारा किशोर को दी गई खाद्य सामग्री,वस्त्रादि का थैला..

एक्सपर्ट मीडिया न्यूज डेस्क। आज जिला किशोर न्याय परिषद के प्रधान दंडाधिकारी सह अपर मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी मानवेन्द्र मिश्रा की अदालत ने एक अहम फैसला लेते हुए इसलामपुर थाना कांड संख्या-122/20 एवं जेजेबी-146/20 मामले के आरोपी एक किशोर को रिहा कर दिया और उसके व उसके असहाय परिजन की विपन्नता को लेकर पुलिस-प्रशासन को कई निर्देश भी दिए। मानसिक रुप से कमजोर उक्त किशोर पर चोरी का आरोप था।

प्रधान दंडाधिकारी ने इसलामपुर थाना प्रभारी सह बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारी को प्रषित आदेश में लिखा है कि चोरी के आरोप में जिस विधि विरुद्ध किशोर को अभिलेख के साथ प्रस्तुत किया गया, उसने काउंसलिग के दौरान बताया कि उसके पिता की मृत्यु के पश्चात उसकी मां विक्षिप्त हो चुकी है, जिससे परिवार पोषण का दायित्व उसी के कंधे पर है। उसकी मां भी नित्य क्रिया क्रम के लिए उसी पर आश्रित है।

इस्लामपुर थाना में दरोगा रामचंद्र मांझी के साथ किशोर….

काउंसलिंग के दौरान आरोपी किशोर ने स्वीकार किया कि वह आर्थिक आभाव ग्रस्तता की वजह से चोरी जैसे अपराध करने को विवश हो गया था।

ऐसी परिस्थिति में किशोर न्याय परिषद उक्त आरोपी किशोर को पर्वेक्षण गृह में आवासित करना न्यायोचित नहीं समझती है। अतएव निर्देश दिया जाता है कि उक्त किशोर को सुरक्षित उसके घर तक पहुंचा दें तथा इसके संरक्षण परिक्षण पर स्वंय अपने स्तर से ध्यान रखेंगे तथा रिहा किशोर के संबंध में प्रगति रिपोर्ट पर्त्येक चार माह पर किशोर न्याय परिषद को देंगें।

जिला किशोर न्याय परिषद के प्रधान दंडाधिकारी सह अपर मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी मानवेन्द्र मिश्रा ने संबंधित किशोर को विभिन्न सरकारी योजनाओं से आच्छादित करने की बाबत भी कई अहम निर्देश भी दिए हैं।

फुसनुमा झोपड़ी में अपने लाल का इंतजार करती एक मां….

उन्होंने इसलामपुर प्रखंड विकास पदाधिकारी को प्रेषित आदेश में कहा कि रिहा किशोर की आर्थिक स्थिति काफी दयनीय है। किशोर को बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारी को उसके परिवार से एकीकृत करने हेतु सौंपा गया है। किशोर परिस्थितिवश कुछ गलत कार्य करने को मजबूर प्रतीत होता है।

अतएव प्रभावी परिवार को निम्नलिखित सरकारी योजना का लाभ मुहैया कराया जाना चाहिए, ताकि किशोर को समाज की मुख्यधारा से जोड़ा जा सके।

?राशन कार्ड, जिससे भोजन हेतु अनाज की उपलब्धता सुनिश्चित हो।

?किशोर के माता को विधवा पेंशन से जोड़ा जाना आवश्यक है।

?इंदिरा आवास योजना के तहत गृह निर्माम हेतु अनुदान राशि प्रदान करना सुनिश्चित करना चाहिए।

?समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित स्पॉन्सरशिप योजना से जोड़े जाने हेतु आधार कार्ड, 60,000 से कम का आय प्रमाण पत्र, बीपीएल सूची में नाम, आवासीय प्रमाम पत्र, किसी राष्ट्रीयकृत बैंक में खाता खुलवाया जाना आदि सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

?सरकार द्वारा संचालित अन्य कौशल विकास कार्यक्रम से किशोर को जोड़ा जाना, आदि।

रिहाई बाद राहत सामग्री के साथ किशोर…

जिला किशोर न्याय परिषद के प्रधान दंडाधिकारी सह अपर मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी मानवेन्द्र मिश्रा ने प्रखंड विकास पदाधिकारी को रिहा किशोर के संरक्षण के लिए आवश्यक उपरोक्त सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाते हुए अधोहस्तक्षरी तथा जिला बाल संरक्षण ईकाई के निदेशक को प्रतिवेदित करने का भी निर्देश दिया है।

साथ ही उन्होंने रिहाई के बाद पुलिस को सौंपने के दौरान आवश्यक खाद्य सामग्री, वस्त्र, किशोर की मां के लिए साड़ी आदि भी प्रदान किए। ताकि किशोर को घर पहुंचते ही भूख की कसक न मिले और उसे लगे कि कहीं न कहीं कोई ईश्वर है, जिसे उसकी चिंता है।

उधर, चोरी के आरोपी किशोर की रिहाई के बाद एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क की टीम ने उसके गांव तक जमीनी पड़ताल की। इस पड़ताल में सीएम नीतीश कुमार के गृह जिले में विकास की एक बड़ी हकीकत सामने आती है।

अभी भी गांवों के गरीब, असहायत तक शासन नहीं पहुंच सकी है। चौड़ी सड़कें, लुभावने नारे, नाली-गली, खुदाई, जोड़ाई आदि ही व्यक्ति का विकास है तो लानत है ऐसे विकास पर।

अपने जमीनी बिस्तर पर की टोह लेता किशोर..जहां वह अपने छाटा भाई के साथ विक्षिप्त मां के आंचल ओढ़ फिर सोएगा….

युवक का गांव इस्लामपुर प्रखंड के संडा पंचायत में पड़ता है। पिछड़ा वर्ग बहुल इस गांव में विकास की रोशनी कहीं नहीं दिखती। यहां गरीबी और लाचारी दूर से ही दिखती है। यहां के प्रायः लोगों के आजीविका कठिन मजदूरी है।

जहां तक पीड़ित युवक के परिजन की बात है तो इसका आंकलन करना बहुत कठिन है कि उसका पेट की आग कैसे बुझती होगी। इस परिवार में कोई ऐसा सदस्य भी नहीं है कि आत्मनिर्भर हो।

मांग-चांग या फिर चुन-बीन कर खाने के आलावे कोई रास्ता नजर नहीं आता। रहने की भी ऐसी जगह की, उससे बेहतर स्थान पर भेड-बकरियां बंधती है।

रिहाई बाद गांव की गलियों में बच्चों संग खेलने घर से यूं निकला किशोर…

खैर, जिला किशोर न्याय परिषद के प्रधान दंडाधिकारी सह अपर मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी  मानवेन्द्र मिश्रा ने फैसले के साथ जिस तरह के निर्देश दिए हैं, उस आलोक में इस्लामपुर प्रशासन सक्रीय हो उठा है। उम्मीद है कि इस गरीब असहाय के दिन अब बहुरेंगे और आगे की जिंदगी आसान हो उठेगी।

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