नई दिल्ली (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। अंतरिक्ष में घूमते खतरनाक क्षुद्रग्रह (एस्टेरॉयड) लगातार वैज्ञानिकों की चिंता का विषय बने हुए हैं। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने एक नई चेतावनी जारी की है। जिसमें एस्टेरॉयड वाइआर 4 को पृथ्वी के लिए संभावित खतरा बताया गया है। यह एस्टेरॉयड 22 दिसंबर 2032 को धरती से टकरा सकता है।
नासा के अनुसार टकराव की संभावना अब 2.3% तक बढ़ गई है, जो पहले के 1.3% अनुमान से अधिक है। यदि यह एस्टेरॉयड पृथ्वी से टकराया तो यह एक बड़े शहर को तबाह करने की क्षमता रखता है।
नासा के साथ-साथ यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) भी इस एस्टेरॉयड पर कड़ी नजर बनाए हुए है। खगोलविदों की एक अंतर्राष्ट्रीय टीम को इस खतरनाक एस्टेरॉयड का निरीक्षण करने के लिए जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप के आपातकालीन उपयोग की अनुमति दी गई है।
नासा के सेंटर फॉर नियर अर्थ ऑब्जेक्ट स्टडीज (CNEOS) के वैज्ञानिकों का कहना है कि इस एस्टेरॉयड की गति और कक्षा में समय-समय पर बदलाव हो सकता है। जिससे इसका संभावित टकराव क्षेत्र बदल सकता है।
वाइआर 4 एस्टेरॉयड 127699 किलोमीटर की दूरी से गुजर सकता है। लेकिन इसमें 14 लाख किलोमीटर तक का अंतर संभव है। वैज्ञानिकों के अनुसार यदि यह पृथ्वी से टकराता है तो इसका प्रभाव प्रशांत महासागर, दक्षिण अमेरिका, अटलांटिक महासागर, मध्य अफ्रीका और भारत के उत्तरी हिस्सों तक महसूस किया जा सकता है।
कितना बड़ा है वाइआर 4? वैज्ञानिकों के अनुसार वाइआर 4 लगभग 180 फीट (50 मीटर) चौड़ा है। इस आकार का एस्टेरॉयड यदि पृथ्वी से टकराता है तो यह एक पूरे शहर को तबाह कर सकता है। ऐसी ही एक घटना 1908 में साइबेरिया में हुई थी, जब एक एस्टेरॉयड ने 8 करोड़ से अधिक पेड़ों को नष्ट कर दिया था।
कब खोजा गया था वाइआर 4? एस्टेरॉयड वाइआर 4 को पहली बार 27 दिसंबर 2024 को क्षुद्रग्रह स्थलीय-प्रभाव अंतिम चेतावनी प्रणाली (ATLAS) ने खोजा था। इसके बाद वैज्ञानिकों ने इसकी कक्षा का अध्ययन किया और अब यह निष्कर्ष निकाला है कि 2032 में यह पृथ्वी के लिए गंभीर खतरा बन सकता है।
क्या हो सकते हैं बचाव के उपाय? विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में हो रही प्रगति के बावजूद, वैज्ञानिक अब भी ऐसे खतरनाक एस्टेरॉयड से बचाव के तरीकों पर काम कर रहे हैं। नासा का डार्ट मिशन (DART– Double Asteroid Redirection Test) इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। जिसमें एक एस्टेरॉयड की दिशा बदलने में सफलता मिली थी।
हालांकि, वाइआर 4 के संभावित प्रभाव को देखते हुए वैज्ञानिक इस पर निगरानी बढ़ा रहे हैं और संभावित टकराव को टालने के उपायों पर विचार कर रहे हैं। यदि आवश्यक हुआ तो इसे डीफ्लेक्शन टेक्नोलॉजी (Deflection Technology) की मदद से दूसरी दिशा में मोड़ा जा सकता है।
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