रांची। देशी शराब की 15 रुपए की 70-50 एमएल की देशी पाउच में सिंथेटिक कलर, सॉल्फेट और पानी मिला कर 750 एमएल की फुल बॉटल नकली शराब बना कर नामी गिरामी कंपनियों खासकर ऑफिसर्स च्वाइस के बोतल में पैक कर दी जाती है।
इस जहरीली शराब को दुकानदार लोग को सौ रुपए में खरीद कर इसे ग्राहकों को 120-200 रुपए में बेचते हैं। यह खिलबाड़ उत्पाद विभाग और स्थानीय पुलिस की घालमेल से होता है। जाहिर है कि इस गोरखधंधे में उन्हें भी मोटी कमाई मिलती है।
एक आंकलन के अनुसार प्रति दिन सिर्फ डोरंडा इलाके में ही एक हजार लीटर नकली शराब की खपत ठेलों, चाउमिन की दुकानों और गली-मुहल्लों की किराना दुकानों के साथ ही झुग्गी-झोपड़ीनुमा होटलों में होती है।
उत्पाद विभाग की जिम्मेवारी नकली और अवैध शराब की बिक्री रोकने की है, लेकिन विभाग के पुलिसकर्मी शराब के अवैध कारोबारियों से मिलीभगत कर लोगों की जान की कीमत पर अपने जेबें भर कर मालामाल हो रहे हैं।