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    Saturday, November 23, 2024
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      नालंदाः स्पीडी ट्रायल से मिला न्याय, 22 साल बाद बैल चोर हुआ दोषमुक्त, आज होगा रिहा‎

      बिहार शरीफ (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क)। बिहारशरीफ‎ जिला न्यायालय के अपर मुख्य‎ न्यायिक दंडाधिकारी मानवेंद्र मिश्र‎ द्वारा दो दशक या इससे भी पुराने‎ मामलों का स्पीडी ट्रायल चलाकर‎ निष्पादित करने का फायदा मामूली‎ मामलों में भी वर्षों से कोर्ट का‎ चक्कर लगा रहे लोगों को मिलने‎ लगा है।

      ऐसे ही एक मामले में बैल‎ चोरी जैसे मामूली मामले में लगभग‎ 22 वर्षों से कोर्ट का चक्कर लगा‎ रहे एक आरोपी दोषमुक्त हुआ है।‎ वह भी तब जब इस केस के पांच‎ गवाहों में से एक होस्टाइल हो चुका‎ था।

      पुलिस ने सादा कागज पर कराया‎ दस्तखतः  दो गवाहों ने आरोपी को बैल‎ खोलते नही देखने, एक गवाह का‎ बयान में विरोधाभास और एक ने‎ पुलिस द्वारा सादा कागज पर‎ दस्तखत कराने की बात कही थी।‎ घटना के समय कोई स्वतंत्र साक्षी‎ नही था।

      साक्ष्य परीक्षण के दौरान‎ मोटे तौर पर सभी गवाहों के बयान‎ में विरोधाभास मिला। बावजूद‎ इसके आरोपी को 22 वर्षों तक‎ कोर्ट का चक्कर लगाना पड़ा। यदि‎ इसमें केस के सभी गवाहों के‎ बयान में कोई विरोधाभास नही‎ मिलता और सजा भी सुना भी दी‎ जाती तो यह अधिकतम 3 साल ही‎ होती।

      जज श्री मिश्र ने अपने‎ आदेश में लगाए गए आरोप में‎ संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त‎ किया है।‎

      दो बार खा चुका है जेल‎ की हवाः विजय यादव इस मामले में दो बार‎ जेल की हवा खा चुका है। पहली‎ बार घटना के अगले ही दिन पुलिस‎ ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेजा था।‎ जबकि दूसरी बार उसे जमानत रद्द‎ होने के कारण बीते वर्ष दिसंबर‎ माह में जेल जाना पड़ा। अभी‎ उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं‎ है। आज वह जेल से रिहा‎ होगा।

      यदि स्पीडी ट्रायल नही होता‎ तो शायद मामूली और संदेहास्पद‎ आरोप में भी कोर्ट का चक्कर‎ लगाते लगाते उसकी पूरी उम्र गुजर‎ जाती।‎

      क्या है मामलाः  वर्ष 2000 में सारे थाना क्षेत्र के ओंदा गांव से‎ राजवल्लभ पासवान की बैल चोरी हुई थी। उसने‎ थाने में विजय यादव और रिपु पासवान को आरोपी‎ बनाते हुए प्राथमिकी दर्ज कराया था।

      अभियोजन के‎ अनुसार सूचक और उसके भाई ने बैल की खुर का‎ पीछा भी किया था। रहुई की ओर 200 गज तक‎ खुर के निशान मिले थे। सुबह में दोनों भाइयों ने‎ रहुई बाजार की ओर से से दो लोगों को बैल लेकर‎ आते देखा। दूर से ही बैल की पहचान हो गई थी।‎

      बाद में पुलिस ने कुछ लोगों को खेत मे काम करते‎ पकड़ा। इसी दौरान पूछताछ में एक ने अपना नाम‎ विजय यादव और दूसरे ने रिपु पासवान बताया।‎ दोनों ने बैल चोरी की बात स्वीकार भी कर ली।‎ हालांकि बाद में पुलिस ने दूसरे अभियुक्त रिपु‎ पासवान के खिलाफ चार्जशीट ही नही सौंपा।‎

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