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अब बिहार में 6 सीटों पर JMM अकेले लड़ेगी, INDIA से तोड़ा नाता

पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज) बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले महागठबंधन को एक बड़ा झटका लगा है। झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM), जिसका नेतृत्व झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कर रहे हैं, उन्होंने महागठबंधन (INDIA) से अलग होने का ऐलान कर दिया है। पार्टी ने बिहार में 6 सीटों चकाई, धमदाहा, कटोरिया (एसटी), मनिहारी (एसटी), जमुई और पीरपैंती (एससी) पर अपने उम्मीदवार उतारने का फैसला किया है। यह निर्णय महागठबंधन में सीट-बंटवारे को लेकर लंबे समय से चली आ रही असहमति के बाद लिया गया।

जेएमएम ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि वह बिहार विधानसभा चुनाव में हिस्सा लेगी और इसके लिए उसे सम्मानजनक सीटें दी जाएं। हालांकि महागठबंधन के भीतर कई दौर की बैठकों के बावजूद जेएमएम को लगातार उपेक्षित महसूस हुआ। जेएमएम के केंद्रीय महासचिव और प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि हमने झारखंड में राजद और कांग्रेस को पूरा समर्थन दिया था। 2019 के झारखंड विधानसभा चुनाव में हमने राजद को सीटें दीं और उनके एकमात्र विधायक को मंत्री पद भी दिया। लेकिन बिहार में हमें वह सम्मान नहीं मिला, जिसकी हम अपेक्षा कर रहे थे।

भट्टाचार्य ने इस फैसले की घोषणा ‘धनतेरस’ और ‘महादेव के प्रदोष तिथि’ जैसे शुभ मुहूर्त में की। उन्होंने कहा कि जेएमएम अब इन 6 सीटों पर पूरी ताकत से लड़ेगी और बिहार में पार्टी को एक मजबूत राज्य-स्तरीय दल के रूप में स्थापित करेगी। यह कदम जेएमएम के राष्ट्रीय पार्टी बनने के दीर्घकालिक लक्ष्य की दिशा में भी महत्वपूर्ण है।

जेएमएम ने अपनी चुनावी रणनीति को और मजबूत करने के लिए 20 स्टार प्रचारकों की सूची जारी की है। इस सूची का नेतृत्व स्वयं हेमंत सोरेन करेंगे। अन्य प्रमुख प्रचारकों में प्रो. स्टीफन मरांडी, सरफराज अहमद, कल्पना मुर्मू सोरेन, बसंत सोरेन और सुप्रियो भट्टाचार्य शामिल हैं। भट्टाचार्य ने कहा कि बिहार में यह लड़ाई बहुमुखी होगी। एनडीए और महागठबंधन दोनों में आंतरिक विरोधाभास हैं। जेएमएम इन 6 सीटों पर मजबूती से लड़ेगी और जनता का जनादेश हासिल करेगी।

बिहार में विधानसभा चुनाव दो चरणों में होंगे। पहला चरण 6 नवंबर को और दूसरा चरण 11 नवंबर को। नतीजे 14 नवंबर को घोषित किए जाएंगे। पिछले विधानसभा चुनाव में   जेएमएम और राजद के बीच गठबंधन नहीं हो सका था, जिसके बाद जेएमएम ने झारखंड की सीमा से सटी चार सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली थी। इस बार जेएमएम इन 6 सीटों पर जीत हासिल करने के लिए पूरी ताकत झोंक देने का मन बनाया है।

जेएमएम के इस फैसले ने महागठबंधन में तनाव को और बढ़ा दिया है। सुप्रियो भट्टाचार्य ने संकेत दिया कि बिहार चुनाव के बाद झारखंड में भी महागठबंधन की समीक्षा की जाएगी। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि जेएमएम और राजद के बीच बढ़ती दूरी का असर झारखंड की गठबंधन सरकार पर भी पड़ सकता है।

कुछ सूत्रों के हवाले से यह भी खबर है कि जेएमएम, राजद और कांग्रेस से समर्थन वापस लेकर भाजपा के साथ नया गठबंधन बना सकती है। यह संभावना इसलिए भी प्रबल हो रही है क्योंकि झारखंड में पिछले कुछ महीनों से महागठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है।

बहरहाल, जेएमएम का यह फैसला बिहार विधानसभा चुनाव में एक नया मोड़ ला सकता है। 6 सीटों पर अकेले लड़ने का निर्णय न केवल जेएमएम की महत्वाकांक्षा को दर्शाता है, बल्कि महागठबंधन की एकजुटता पर भी सवाल उठाता है। अब सभी की नजरें 14 नवंबर को आने वाले चुनावी नतीजों पर टिकी हैं, जो यह तय करेंगे कि जेएमएम का यह दांव कितना सफल होता है। साथ ही झारखंड में गठबंधन की भविष्य की दिशा भी इन नतीजों पर निर्भर करेगी।

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