राँची (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क)। झारखंड कांग्रेस भले ही यह दावा कर रही थी कि इस बार गठबंधन से कांग्रेस का ही उम्मीदवार राज्यसभा प्रत्याशी होगा। लेकिन इस दावे को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की एक घोषणा ने खत्म कर दिया है।
मुख्यमंत्री ने आज सोमवार को जैसे ही अपने आवास पर झामुमो की महिला मोर्चा अध्यक्ष महुआ माजी को राज्यसभा उम्मीदवार बनाने की घोषणा की, वैसे ही उन्होंने एक तीर से तीन निशाना लगा दिया।
राज्य की सबसे क्षेत्रीय पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा के अंदर महुआ माजी पहली ऐसी महिला नेत्री हैं, जो जनजातीय या सोरेन परिवार से अलग पार्टी के अंदर इतनी ऊंचे पद पर पहुंची हैं।
बता दें कि महुआ ओबीसी वर्ग से आती हैं। इससे पहले पार्टी ने उन्हें 2019 के विधानसभा चुनाव में रांची सीट से अपना प्रत्याशी बनाया था। हालांकि पार्टी के अंदर अभी तीन महिला विधायक सीता सोरेन, जोबा मांझी व सबिता महतो हैं। परंतु तीनों प्रदेश की राजनीति तक ही सीमित हैं।
अभी तक पार्टी के अंदर की कोई महिला संसद तक नहीं पहुंची है। ऐसे में हेमंत सोरेन ने एक महिला को संसद विशेषकर उच्च सदन तक पहुंचाकर पार्टी के अंदर महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने का काम किया है। इससे जिले के अंदर पार्टी के लिए कार्य कर रही महिला कार्यकर्ताओं में हिम्मत आएगी।
अपने निर्णय से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दूसरा निशाना यह साधा है कि प्रदेश की किसी भी राजनीतिक पार्टी से पहली बार झारखंड की किसी महिला को पहली बार राज्यसभा भेजा जा रहा है।
हालांकि इससे पहले कांग्रेस पार्टी ने 4 अप्रैल 2006 से 2 अप्रैल 2012 तक के कार्यकाल के लिए मेबेल रिबेलो को राज्यसभा भेजा था। लेकिन मेबेल रिबेलो मध्यप्रदेश की रहने वाली थी। ऐसे में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने महुआ माजी को राज्यसभा के टिकट देकर एक नयी परंपरा की शुरूआत की है।
पार्टी की एक सामान्य कार्यकर्ता विशेषकर महिला को उच्च सदन भेजकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विपक्ष द्वारा लगाये जा रहे परिवारवाद को भी कटाने का काम किया है।
बता दें कि इन दिनों सोरेन परिवार से पिता शिबू सोरेन राज्यसभा सदस्य, भाभी सीता सोरेन विधायक, भाई बसंत सोरेन विधायक हैं।
प्रदेश की राजनीति पर जब भी मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा जेएमएम पर हमला बोलती है, तो एक आरोप मुख्यमंत्री पर परिवारवाद का लगता है। लेकिन महुआ माजी को राज्यसभा भेजने का फैसला कर उन्होंने इस मिथक को तोड़ने का काम किया है।