गजब! कांके CO ने ST जमीन की जमाबंदी ‘मिश्रा जी’ के नाम कर डाला, दलालों का बोलबाला!

रांची (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज ब्यूरो)। राजधानी रांची के कांके अंचल में जमीन घोटालों की कहानियां थमने का नाम नहीं ले रही हैं। जहां एक तरफ उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री सोशल मीडिया पर सक्रिय होकर जमीन दलालों के खिलाफ कार्रवाई और आमजन को न्याय दिलाने का दावा कर रहे हैं, वहीं जमीनी हकीकत इसके उलट नजर आ रही है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कांके अंचल कार्यालय में दलालों की पहुंच इतनी मजबूत है कि आम आदमी की फरियाद सुनवाई तक नहीं पहुंच पाती।
हाल ही में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां नगड़ी मौजा की एक अनुसूचित जनजाति (ST) श्रेणी की जमीन का दाखिल-खारिज ‘मिश्रा जी’ के नाम पर कर दिया गया। मिश्रा जी को राज्य के सत्ताधारी वर्ग के काफी करीबी माना जाता है और उनके पास झारखंड की कई गोपनीय दस्तावेजों की जिम्मेदारी रहती है। यह मामला तब और गंभीर हो जाता है जब हम जानते हैं कि झारखंड में ST भूमि का हस्तांतरण गैर-आदिवासियों को करना कानूनी रूप से बेहद प्रतिबंधित है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर यह जमाबंदी कैसे हो गई?
इस मामले की जानकारी एक अन्य न्यूज पोर्टल Loktantra19.com ने अपने सूत्रों के हवाले से दी है। पोर्टल का दावा है कि उनके पास इस घोटाले से जुड़े ठोस सबूत उपलब्ध हैं। जब इस संबंध में कांके के वर्तमान अंचलाधिकारी अमित भगत से पूछताछ की गई तो उन्होंने इसे अपने कार्यकाल से पहले का मामला बताकर पल्ला झाड़ लिया। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती CO ने यह कार्रवाई की होगी, लेकिन जांच कर दोषियों पर एक्शन लेने का कोई आश्वासन नहीं दिया।
सूत्र बताते हैं कि कांके अंचल में दलालों का इतना दबदबा है कि कुछ महीने पहले उपायुक्त के आदेश पर तैयार की गई जमीन दलालों की लिस्ट को अंचल कार्यालय में चस्पा किया गया था। आदेश था कि लिस्ट में नामित लोग कार्यालय के आसपास दिखें तो उन्हें तुरंत गिरफ्तार कर जेल भेजा जाए। लेकिन यह सख्ती महज कुछ दिनों तक चली। सोशल मीडिया पर वायरल एक फोटो में कांके अंचल की एक पिकनिक पार्टी दिख रही है, जिसमें कार्यालय स्टाफ से ज्यादा जमीन दलाल नजर आ रहे हैं। इससे साफ जाहिर होता है कि सिस्टम में दलालों की घुसपैठ कितनी गहरी है।
यह मामला सिर्फ एक जमीन का नहीं, बल्कि पूरे राजस्व तंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार और मिलीभगत का प्रतीक है। ST भूमि का गैर-कानूनी हस्तांतरण न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि आदिवासी समुदाय के अधिकारों पर सीधा हमला भी। Loktantra19.com ने ऐलान किया है कि जल्द ही वे इस मामले से जुड़े सभी दस्तावेज और सबूत सार्वजनिक करेंगे, जिससे पूरा सच सामने आएगा।
अब देखना यह है कि रांची जिला प्रशासन और उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री इस गंभीर आरोप पर क्या कार्रवाई करते हैं। क्या दलालों पर नकेल कसी जाएगी या यह मामला भी अन्य घोटालों की तरह दबकर रह जाएगा? आमजन की निगाहें प्रशासन पर टिकी हैं। इस तरह के खुलासे राज्य में भूमि सुधारों की पोल खोल रहे हैं और न्याय की मांग को और मजबूत कर रहे हैं।





