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AM कॉलेज के बोर्ड से उर्दू में लिखे नाम को हटाने पर बोले पूर्व आईपीएस- ‘संघ की गोद में बैठे गए प्राचार्य’

अपनी उर्दू तो मोहब्बत की ज़बाँ थी प्यारे ,अब सियासत ने उसे जोड़ दिया मज़हब से’….सदा अम्बालवी का यह शे’र आजकल गया के सबसे प्रतिष्ठित कालेजों में शुमार अनुग्रह मेमोरियल कॉलेज पर सटीक बैठ रही है। कॉलेज के बोर्ड से उर्दू में लिखें नाम को हटा दिया गया है। जिसके बाद हलचल बढ़ गई है। जिसके खिलाफ शिक्षाविदों और विभिन्न संगठनों ने अपना विरोध जताया है…

गया (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क)। बिहार की दूसरी राजकीय भाषा उर्दू का नाम कालेज के बोर्ड से हटाने के पीछे लोगों ने सांप्रदायिक सोच बताया है। 2020 में सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का भी उल्लंघन है, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि सभी सरकारी संस्थानों और शैक्षणिक संस्थानों को अपने कार्यालयों में राज्य की दूसरी आधिकारिक भाषा का उपयोग करने का निर्देश दिया जाता है।

Former IPS said on removing the name written in Urdu from the board of AM College Principal sitting on the lap of the Sanghबिहार के पूर्व आईपीएस अमिताभ कुमार दास ने इसकी कड़ी निन्दा की है।बिहार विप्लवी परिषद की ओर से उन्होंने उर्दू नाम हटाए जाने का विरोध किया और कहा कि उर्दू गंगा जमुनी तहजीब की भाषा है।

बिहार के पूर्व आईपीएस अमिताभ कुमार दास…

अनुग्रह मेमोरियल कॉलेज के साइनबोर्ड से उर्दू में लिखे कॉलेज का नाम हटाने का छात्र संगठन आइसा ने जमकर विरोध किया और इसके खिलाफ प्रदर्शन करते हुए कॉलेज के प्राचार्य शैलेश श्रीवास्तव का पुतला दहन किया। हालांकि प्राचार्य ने इस संबंध में उन्हें किसी भी प्रकार की जानकारी नहीं होने का हवाला देकर अपना पल्ला झाड़ लिया।

आइसा नेता दर्जनों छात्रों और कार्यकर्ताओं के साथ नारेबाजी करते हुए कॉलेज गेट के पास पहुंचे जहां कॉलेज प्राचार्य का पुतला फुंका गया। जिसके बाद आइसा के प्रतिनिधिमंडल ने प्राचार्य से बात की। आइसा ने प्राचार्य को दो दिन का समय देते हुए इसे अविलंम्ब दुरुस्त करने की बात रखी।

वहीं मगध वि. वि. छात्र संघ प्रतिनिधि और आइसा नेता कुणाल किशोर ने कहा कि कॉलेज के नए प्रिंसिपल पार्टी विशेष के इशारे पर काम कर शैक्षणिक माहौल खराब करने की कोशिश कर रहे हैं जिसका हर हाल में विरोध होगा। उन्होंने कुलपति और राज्य के मुख्यमंत्री से तत्काल प्राचार्य की बर्खास्तगी की मांग की।

पूर्व आईपीएस अधिकारी और बिहार विप्लवी परिषद के अध्यक्ष अमिताभ कुमार दास ने  अविलंब साइनबोर्ड पर फिर से उर्दू में नाम लिखकर पहले वाली स्थिति बहाल करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि सभी भाषाओं का सम्मान हमारे देश की संस्कृति रही है, राष्ट्रीय भाषा हिन्दी के साथ-साथ उर्दू और दूसरी अन्य सभी भाषाएं हमारे समाज की साझी विरासत है। हिन्दी के साथ साथ उर्दू भी भारत की गोद में पली बढ़ी हैं। उर्दू जुबान में जो मिठास है वो किसी जुबान में नही। यही वो जबान है जिसने हिंदुस्तान की आज़ादी में अपना अहम् किरदार निभाया।

उन्होंने कहा कि प्राचार्य शैलेश श्रीवास्तव भाजपा-आरआएसएस की गोद में चड्डी पहनकर बैठें हुए हैं। उन्हें उर्दू शब्द पच नहीं रहा है। सियासत में  ऐसी ताकतें ही घूम-फिरकर हुकूमत में आयीं जिन्होंने मिलकर कभी नाम बदल रहे हैं तो कभी इस जबान को तबाह करने पर तूले हुए हैं।

 

 

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