‘बेटा-दामाद’ को लेकर जीतनराम मांझी और रोहिणी आचार्या के बीच तीखी जंग!
बिहार की सियासत में 'बेटा-दामाद आयोग' का यह विवाद न केवल नेताओं के बीच तीखी बयानबाजी का कारण बना है, बल्कि इसने आम जनता और सोशल मीडिया पर भी खूब सुर्खियाँ बटोरी हैं। जीतन राम मांझी और रोहिणी आचार्या के बीच यह जंग बिहार की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकती है...

पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज डेस्क)। बिहार की सियासत में एक बार फिर ‘बेटा-दामाद आयोग’ को लेकर तीखी बयानबाजी का दौर शुरू हो गया है। इस बार केंद्रीय मंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के नेता जीतन राम मांझी और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्या के बीच सोशल मीडिया पर तीखा तंज और पलटवार देखने को मिला है। दोनों नेताओं ने एक-दूसरे के परिवार के बेटों और दामादों पर निशाना साधते हुए सियासी माहौल को गरमा दिया है। इस विवाद ने बिहार की राजनीति में नया तड़का लगा दिया है, और सोशल मीडिया यूजर्स इस मुद्दे पर खूब चटखारे ले रहे हैं।
जीतन राम मांझी ने अपने एक्स हैंडल @jitanrmanjhi पर एक पोस्ट में लिखा है कि “बेटे और दामाद दो तरह के होते हैं… एक लायक, दूसरा नालायक। लायक बेटा अपने दम पर UNICEF में नौकरी करते हुए पढ़ाई करता है, UGC(NET) पास करके पीएचडी करता है, फिर BPSC द्वारा आयोजित परीक्षा पास करके विश्वविद्यालय में शिक्षक बन जाता है। नालायक बेटा 10वीं पास भी नहीं कर पाता। पिता की कृपा से क्रिकेट खेलता है और जब वहाँ भी फेल हो जाता है तो वही पिता उस नालायक बेटे को राजनीति में उतार देते हैं और जबरदस्ती उसे दल की कमान सौंप देते हैं।”
मांझी यहीं नहीं रुके। उन्होंने दामादों पर भी निशाना साधते हुए कहा कि “वैसे ही लायक दामाद अपने समाज का पहला इंजीनियर होता है और कई चुनाव लड़ने, सामाजिक कार्य करने के बाद योग्यता के आधार पर उन्हें कोई ओहदा दिया जाता है। वहीं दूसरी ओर नालायक दामाद इंजीनियरिंग करने के बावजूद घर जमाई बनता है और रोज़ाना सास-ससुर-साले की गाली सुनने के बावजूद सांसद पत्नी का पर्स ढोए फिरता है।”
मांझी का यह बयान स्पष्ट रूप से लालू प्रसाद यादव के परिवार, खासकर उनके बेटे तेजस्वी यादव और बेटी मीसा भारती के पति शैलेश पर निशाना था। मांझी का यह तंज बिहार में हाल ही में तेजस्वी यादव द्वारा नीतीश सरकार पर ‘दामाद आयोग’ के आरोपों के जवाब में आया, जिसमें तेजस्वी ने विभिन्न आयोगों में नेताओं के दामादों की नियुक्तियों पर सवाल उठाए थे।
लालू प्रसाद की बेटी रोहिणी आचार्या ने मांझी के तंज का जवाब देने में देर नहीं की। अपने एक्स हैंडल @RohiniAcharya2 पर उन्होंने तीखा पलटवार करते हुए लिखा है कि “एक नालायक बेटा होटल में रंगरेलियां मनाते पकड़ा जाता है, मगर बेटे से भी बड़ा नालायक बाप अपने कुकर्मी औलाद को अपनी कुर्सी की धौंस दिखाकर बचाता है। एक दफा एक नालायक दामाद अपने ससुर का पीए बन जाता है और ससुर के इशारे पर अधिकारियों को फोन लगाकर वसूली का फरमान जारी करता है।”
रोहिणी का यह बयान मांझी के परिवार पर सीधा हमला माना जा रहा है। हालाँकि, उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन उनका इशारा मांझी के बेटे और दामाद की ओर माना जा रहा है। यह पलटवार बिहार की सियासत में एक नए विवाद को जन्म दे चुका है।
दरअसल, यह पूरा विवाद तब शुरू हुआ, जब बिहार में विभिन्न आयोगों और परिषदों में नेताओं के दामादों की नियुक्तियों को लेकर सवाल उठे। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार पर ‘दामाद आयोग’ का तंज कसते हुए कहा था कि सरकार को एक समर्पित ‘जमाई आयोग’ बनाना चाहिए। ताकि सभी नेताओं के दामादों को समायोजित किया जा सके। इसके जवाब में मांझी ने तेजस्वी और उनके परिवार पर हमला बोला।
हाल ही में नीतीश सरकार ने अनुसूचित जाति आयोग में केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी के दामाद देवेंद्र मांझी को उपाध्यक्ष और चिराग पासवान के जीजा मृणाल पासवान को अध्यक्ष नियुक्त किया। इसके अलावा बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी के दामाद को भी धार्मिक न्यास बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया है। इन नियुक्तियों ने बिहार की सियासत में ‘दामादवाद’ की बहस को और हवा दी है।
अब मांझी और रोहिणी के बीच इस तीखी बयानबाजी ने सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी है। यूजर्स इस सियासी जंग को लेकर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। कोई मांझी के बयान को तीखा और सटीक बता रहा है तो कोई रोहिणी के पलटवार को करारा जवाब मान रहा है। एक यूजर ने लिखा है कि “बिहार की सियासत अब बेटा-दामाद आयोग के इर्द-गिर्द घूम रही है। यह सियासी ड्रामा तो विधानसभा चुनाव तक और रंग लाएगा।”
सच पुछिए तो बिहार में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले यह सियासी बयानबाजी एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच तनाव को और बढ़ा रही है। मांझी, जो एनडीए के सहयोगी हैं और राजद, जो इंडिया गठबंधन का हिस्सा है, उसके बीच यह जंग बिहार की राजनीति में परिवारवाद और दामादवाद के मुद्दे को और उभार रही है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद केवल व्यक्तिगत तंज तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आगामी चुनावों में मतदाताओं के बीच एक बड़ा मुद्दा बन सकता है। एक विश्लेषक ने कहा, “बिहार में परिवारवाद और दामादवाद का मुद्दा पहले भी चर्चा में रहा है, लेकिन इस बार मांझी और रोहिणी के बयानों ने इसे और हवा दे दी है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इसका चुनावी परिणामों पर क्या असर पड़ता है।”