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    Friday, March 14, 2025
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      अब राज्य के 22 जिलों में पोर्टल-एप्प के जरिए यूं दर्ज होंगे ई-एफआईआर

      इसकी प्रक्रिया अंतिम चरण में है। राज्य सरकार के प्रस्ताव के अनुसार, हर जिले में पहले से कार्यरत कंपोजिट कंट्रोल रूम में ई-एफआईआर थाना काम करेगा

      राँची (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क)। महिला और बाल अपराध, चोरी, सेंधमारी, नाबालिग बच्चों की गुमशुदगी से संबंधित विशेष प्रकृति के केस अब बिना थाना गए दर्ज कराए जा सकेंगे।

      ऐसे मामलों से संबंधित एफआईआर सिटीजन पोर्टल या मोबाइल एप के जरिए दर्ज हो सकेंगी। इसके लिए रामगढ़ और खूंटी को छोड़कर बाकी के 22 जिलों में ई-एफआईआर थाने खुलने वाले हैं।

      डीएसपी या इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारियों को ही ई-एफआईआर थाना के प्रभारी की अतिरिक्त कमान सौंपी जाएगी।अनुसंधानकर्ता भी अलग से नहीं होंगे। जिले के सभी थानों में पदस्थापित जूनियर पुलिस अफसर जो अनुसंधान कार्य करते हैं, उन्हें ही अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।

      कांड की गंभीरता के अनुरूप जिस स्थानीय थाना क्षेत्र से संबंधित कांड होगा, उसके डीएसपी या इंस्पेक्टर उसका सुपरविजन करेंगे।

      कंपोजिट कंट्रोल रूम के लिए उपलब्ध बल में से ही दो कंप्यूटर के जानकार पुलिसकर्मी ई-एफआईआर थाना के कार्यों में सहयोग करेंगे। एसएसपी या एसपी ई-एफआईआर थाने के नियंत्री अधिकारी होंगे।

      प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि ई-एफआईआर एक विकल्प है, बाध्यता नहीं। लोग थाने जाकर भी केस दर्ज करा सकते हैं।

      ई-एफआईआर कराने की यह होगी प्रक्रियाः जिस व्यक्ति को ई-एफआईआर दर्ज करानी है, उन्हें समाधान पोर्टल पर लॉग-इन कर अपना आवेदन ई-साइन या डिजिटल सिग्नेचर के माध्यम से देना होगा।

      इसके बाद ही एफआईआर स्वीकार की जाएगी। दंड प्रक्रिया संहिता के तहत प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए आवेदक का सत्यापित नाम और पता होना आवश्यक है।

      अनुसंधान इलेक्ट्रॉनिक मोड पर होगाः लोगों से समाधान पाेर्टल या मोबाइल एप के जरिए मिली शिकायतों के आधार पर थाना प्रभारी ई-एफआईआर संबंधित धाराओं के तहत कांड दर्ज कर जिस क्षेत्र में घटना घटित हुई है, उसके पुलिस पदाधिकारी को अनुसंधान के लिए देंगे।

      कांड का अनुसंधान पूरी तरह से इलेक्ट्रॉनिक मोड में किया जाएगा। अनुसंधान के क्रम में डायरी की प्रविष्टि भी इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में ही होगी।

      30 दिन बाद अंतिम रिपोर्ट कोर्ट में जरूरीः प्राथमिकी दर्ज होने के बाद जिस कांड का खुलासा 30 दिनों में नहीं होगा, उसके अनुसंधानकर्ता (आईओ) ई-एफआईआर थाना प्रभारी के माध्यम से कोर्ट में अंतिम रिपोर्ट पेश करेंगे।

      खास बात यह है कि कोर्ट में अंतिम रिपोर्ट जमा करने के बाद यदि उस कांड में कोई सूत्र हाथ लगता है या अभियुक्त की गिरफ्तारी होती है तो घटना वाले थाना क्षेत्र के थानेदार कांड को री-ओपन कर आगे की कार्रवाई करेंगे।

       

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