पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। लोकतंत्र की जननी मगध की राजधानी पाटलिपुत्र में चौथी बार पलटी मारने वाले नीतीश कुमार को विधानसभा में बहुमत सिद्ध करने में पहली बार पसीना बहाना पड़ रहा है।
लगातार नौंवी बार सीएम की कुर्सी पर विराजमान नीतीश कुमार इस बार अपने पुराने सहयोगी भाजपा के साथ है। उन्हें 12 फरवरी को अपना बहुमत सिद्ध करना है। हालांकि जदयू और भाजपा और हम पार्टी के सीटों को मिलाकर बहुमत के आंकड़े से पांच ज्यादा है।
बाबजूद सीएम नीतीश कुमार और सहयोगी भाजपा को डर सता रहा है कि कहीं सच में खेला ना हो जाए। भाजपा ने अपने कुछ विधायकों को हैदराबाद तो कुछ को कड़ी निगरानी के बीच भगवान बुद्ध की धरती बोधगया के लिए रवाना कर दिया गया है। वहीं कांग्रेस अपने विधायकों को हैदराबाद भेज चुकी है। जदयू भी अपने विधायकों को कड़ी निगरानी में रखे हुए है।
बिहार विधानसभा में 12 फरवरी को सीएम नीतीश कुमार की अग्नि परीक्षा है। जिसे लेकर पटना से दिल्ली तक राजनीति का केंद्र बिहार बना हुआ है। पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के ‘खेला होवे’ वाले बयान और पूर्व सीएम जीतनराम मांझी के बदले हुए तेवर और लोजपा (रामविलास) के चिराग पासवान के कड़े तेवर के बीच चर्चा गरम है कि नीतीश सरकार रहेगी या जाएगी?
कहीं जीतनराम मांझी,चिराग पासवान और जदयू के कुछ विधायकों की नाराज़गी कहीं एनडीए का खेला न बिगाड़ दे। इस पर अभी संशय की स्थिति बनी हुई हैं। वही तेजस्वी यादव का यह कहना खेला अभी शरू हुआ है। 12 फरवरी बहुत कुछ साफ हो जाएगा। यह अपने आप में बहुत मायने रखता है।
सोमवार को बहुमत साबित करने से पहले रविवार की रात काफी बेचैनी में कटने वाली है एनडीए सरकार की। जदयू विधायकों की नाराज़गी रविवार की रात काफी भारी होने वाली है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार की राहें काफी मुश्किल में दिख रही है।
रविवार की रात एनडीए के लिए करवट बदल बदल कर कटने वाली है। रविवार की रात कटेगी तो पता चलेगा कि सोमवार को नीतीश कुमार की सरकार रहेगी या फिर 19 साल मुख्यमंत्री का सफर का अंत होने वाला है।
सोमवार को एनडीए गठबंधन को सदन में विश्वास मत हासिल करना है। हालांकि इस फ्लोर टेस्ट को लेकर एनडीए में बेचैनी देखी जा रही है। विधायकों को एकजुट रखने में दोनों खेमों को सर्दी में भी पसीने छुट रहे है।
चर्चा है कि ग्रामीण विकास मंत्री के यहां जदयू विधायकों की भोज में आधा दर्जन से ज्यादा विधायक नहीं पहुंच सके। जिसके बाद अब सीएम नीतीश के लिए विधायकों को एकजुट रखना चुनौती बन गई है।
वहीं बीजेपी के भी दो विधायक नहीं पहुंचे। हालांकि बीजेपी, जेडीयू और हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के विधायकों को जोड़ें तो निर्दलीय विधायक समेत कुल 128 विधायक होते हैं।
विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए एनडीए को 122 विधायकों की जरूरत है। लेकिन जदयू के आधा दर्जन विधायक के नहीं पहुंचने की वजह से अटकलें तेज हो गई है।
दूसरी ओर राजद के सभी विधायक शनिवार को ही पटना पहुंच गए हैं। सभी को पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के आवास पर रोका गया है। हालांकि सूत्रों की माने तो उनके आवास पर देर रात तक दो आरजेडी विधायक नहीं पहुंचे थे। अटकलें हैं कि वे सदन से अनुपस्थित रहेंगे।
वहीं पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने कहा है कि हम पूरी तरह एनडीए के साथ हैं और हमारे सभी विधायक एनडीए के समर्थन में वोट डालेंगे। दूसरी ओर विधानसभा के स्पीकर अवध बिहारी चौधरी ने इस्तीफा देने से मना कर दिया है। ऐसे में स्पीकर को लेकर भी घमासान की प्रबल संभावना है।
बिहार में विधानसभा की कुल 243 सीटें हैं यानी बहुमत साबित करने के लिए 122 विधायकों की जरूरत होगी। अभी सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले एनडीए के विधायकों की कुल संख्या 128 है। इस वजह से कयास लगाए जा रहे हैं कि वो बहुमत साबित कर लेंगे।
फिलहाल बिहार में जो बहुमत को लेकर उठा पटक बनी हुई है। उन सब के पीछे नीतीश कुमार को सूत्रधार बताया जा रहा है। उनकी दिली इच्छा है बड़े भाई होने की। इसलिए वो विकल्प नहीं होने की स्थिति में विधानसभा भंग करना चाहते है।
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