एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क डेस्क। अपने कई अजीबोगरीब न्यायायिक फैसले के लिए देश-दुनिया में चर्चित बिहार के नालंदा जिला किशोर न्याय परिषद के प्रधान दंडाधिकारी सह अपर जिला सत्र न्यायाधीश मानवेंद्र मिश्र ने आज फिर ऐतिहासिक फैसला सुनाया है।
उन्होंने आज मामले की पहली सुनवाई के दिन ही 4 साल की बच्ची संग अप्राकृतिक दुष्कर्म के दोषी किशोर को 3 साल आवासित रखने की सजा सुनाई है।
जज मिश्र ने यह सजा भादवि की धारा 377 एवं 4 पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज नालंदा थाना कांड संख्या-165/21, जेजेबी केस नबंर-660/21 सुनवाई बाद दी है।
उन्होंने विधि विरुद्ध किशोर को भादवि की धारा-77 में 3 वर्ष का आवासन एवं लैंगिक अपऱाध से बालकों का संरक्षण अधिनियम की धारा 4 में 3 वर्ष तक आवासित रखने का आदेश दिया है। दोनों सजाएं साथ-साथ चलेगी और किशोर द्वारा न्यायिक अभिरक्षा में बिताई गई अवधि अभिरोपित अवधि में मुजरा कर दी जाएगी।
साथ ही विशेष गृह के अधीक्षक को यह भी आदेश दिया है कि दोषी किशोर को आवासन अवधि को दौरान उसकी नियमित काउंसलिंग एवं पठन-पाठन की सम्यक व्यवस्था की जाए और किशोर के आचरण एवं व्यवहार में आ रहे परिवर्तन से नालंदा किशोर न्याय परिषद को प्रत्येक 6 माह पर अवगत कराएं। ताकि किशोर के राहत, पुनर्वासन, संरक्षण एवं परिरक्षण के संबंध में देखभाल जैसी योजना का क्रियान्वयन सही ढंग से हो सके।
नालंदा क्षेत्र के एक 14 वर्षीय किशोर पर आरोप था कि उसने एक 4 साल की बच्ची को चॉकलेट और ईमली खिलाने का प्रलोभन देकर उसके साथ अप्राकृतिक यौनाचार (गुदा मैथुन) जैसे जघन्य अपराध को अंजाम दिया था।
उसी मामले में आज शनिवार को किशोर न्याय परिषद के प्रधान दंडाधिकारी मानवेन्द्र मिश्र ने मामले की सुनवाई करते हुए महज एक दिन में सभी पांच गवाहों का गवाही ली और दस प्रत्यक्षदर्शियों का भी परीक्षण कराते हुए बहस पूरी हुई तथा ऐतिहासिक फैसला सुनाया गया है।