राँची (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। झारखंड किसान महासभा के द्वारा प्रदेश के इतिहास में पहली बार हजारों की संख्या में झारखंड प्रदेश के सभी जिलों से किसानों को आवाह्न कर ओरमांझी के ब्लॉक चौक स्थित अंचल मैदान में एकत्रित किया गया।
राष्ट्रीय किसान दिवस यूं तो हर वर्ष 23 दिसंबर को आता है, लेकिन झारखंड में 2022 का 23 दिसंबर यहां के किसानों के लिए नया पैगाम लेकर आया है। लगातार दो साल की कोरोना की वैश्विक महामारी और तीसरे साल भयंकर अकाल के कारण किसानों की कमर टूट चुकी है। कृषक समुदाय में गहरा रोष है और अपनी कृषि कार्य को छोड़कर के अन्य प्रायोजन कर अपना तथा अपने बच्चों का पेट पालने को मजबूर है।
इन्हीं नकारात्मकताओं के बीच झारखंड किसान महासभा ने तय किया कि, सकारात्मकता की एक नई रोशनी फैलाई जाए और दिन तय किया गया 23 दिसंबर 2022 तथा पहली बार राष्ट्रीय किसान दिवस को सोशल मीडिया में औपचारिकता के तौर पर मनाने के अलावा हजारों की संख्या में किसान ओरमांझी के ब्लॉक चौक में एकत्रित हुए और धूमधाम से राष्ट्रीय किसान दिवस मनाया गया।
राष्ट्रीय किसान दिवस के दिन झारखंड प्रदेश के किसानों ने महापंचायत भी लगाई मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे टाइगर जयराम महतो उन्होंने कहा कि झारखंड किसान महासभा के द्वारा झारखंड की धरती पर यह ऐतिहासिक पहल है, जब किसानों को लेकर किसान दिवस को उत्सव के रूप में मनाया जा रहा है।
टाइगर जयराम महतो ने किसानों से आवाहन किया कि यूं तो किसानों की जिंदगी में तकलिफों की कमी नही है। इसके बावजूद भी किसान दिवस को झारखंड का सबसे बड़ा उत्सव मनाने के लिए प्रण लेने को कहा तथा प्रदेश के ज्यादा से ज्यादा किसान झारखंड किसान महासभा से जुड़े और एक मजबूत स्वतंत्र किसान संगठन बनाएं, इसका भी आवाहन किया।
झारखंड किसान महासभा के केंद्रीय अध्यक्ष राजू कुमार महतो ने कहा कि, प्रदेश में व्याप्त किसानों की दुर्दशा कृषि विभाग की दिशा हीनता, विभागीय भ्रष्टाचार, सरकार का किसानों को लेकर उदासीन रवैया, यहां के किसानों को भुखमरी के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है, जहां देश के अन्य राज्य कृषि में बुलंदी के झंडे गाड़ रहे हैं। नई-नई तकनीक अपना रहे हैं। अपने राज्यों से कृषि उत्पाद के निर्यात को रात दिन बढ़ा रहे हैं वहीं झारखंड के किसान कृषि के लिए मूलभूत जरूरी सहायता एवं संरचना के लिए तरस रहा है यहां के खेतों में ना तो पानी है और ना ही बिजली है।
यहां के किसान बाजारों में दलालों के हाथों की कठपुतली है हरी सब्जियों का कोई भंडारण व्यवस्था नहीं है मुख्य फसलों को लेकर के एमएसपी से संबंधित कोई स्पष्ट दिशा निर्देश नहीं है लैंप्स, पैक्स, वेजफेड तथा कृषि कार्य के लिए बनाए गए अन्य निगम तथा बोर्ड आकंठ भ्रष्टाचार में डूबे हुए हैं। कृषि विभाग में पंचायत स्तर से लेकर निदेशालय तक भ्रष्टाचार और दलाली चरम सीमा पर है।
कृषि विभाग किसानों को लेकर कोई स्पष्ट दिशा नहीं तय कर पाई है प्रत्येक वर्ष कृषि विभाग को कृषक और कृषि के उत्थान के लिए हजारों करोड़ रुपए का आवंटन होता है, लेकिन उन राशियों को अधिकारियो और ठेकेदारों के साथ मिलीभगत कर गबन किया जा रहा है।
कभी अल्प दृष्टि कभी अतिवृष्टि और जंगली हाथियों के उत्पात से यहां के किसानों की खड़ी फसल बर्बाद हो जारी है और किसान बर्बाद हो जाते हैं। उनका घर-वार बिक जाता है। ऐसी तमाम कुरीतियों एवं कू व्यवस्था पर लगाम लगाने के लिए झारखंड के किसानों को एक मंच पर आना अति आवश्यक है।
झारखंड किसान महासभा प्रदेश के लाखों किसानों का एक मजबूत संगठन है, जो आंकड़ों एवं तथ्यों के आधार पर सरकार के साथ समन्वय कर झारखंड के कृषि व्यवस्था को कैसे विकसित किया जाए इसके लिए पूर्ण प्रयासरत है लेकिन अगर जरूरत पड़ी आंदोलन के रास्ते हमेशा खुले हैं किसान समाज का अन्नदाता है और अपने खेतों और खलिहानो को छोड़कर कभी आंदोलन नहीं करता है लेकिन अगर मजबूर किए जाते हैं तो आंदोलन भी विकराल होता है।
इस राष्ट्रीय किसान दिवस के दिन भारी संख्या में राज्य के किसानों ने भाग लिया और झारखंड सांस्कृतिक कार्यक्रम घोड़ा नाच का प्रदर्शन राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित विनोद कुमार महतो द्वारा किया गया।
इस कार्यक्रम में लोक नृत्य भी प्रदर्शित की गई और झारखंड किसान महासभा की तरफ से आवाहन किया गया कि राष्ट्रीय किसान दिवस को अगले वर्ष और भी बड़े रूप में आयोजित किया जाए।
मुख्य रूप से इसमें मुख्य रूप से झारखंड किसान महासभा के केंद्रीय कार्यकारी अध्यक्ष पंकज राय, संयोजक अजय सिंह, महासचिव उपेंद्र गुरु, कोषाध्यक्ष आशीष कुमार शर्मा, उपाध्यक्ष पंच देव महतो कार्य समिति के सदस्य नरेश महतो अशोक महतो, संजय महतो,जलेश्वर महतो,देव कुमार,जंगल महतो, राजेश महतो, मनोज महतो, रीता भारती, किरण देवी, बैजनाथ महतो, शैलेश महतो, कुशल महतो, संजय कुमार महतो, धनंजय महतो, विनोद महतो, प्रेमनाथ महतो, तारकेश्वर यादव समेत प्रदेश के हजारों किसान भाई- बहन मौजूद थे।
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