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दिशोम गुरु की अस्थियां रजरप्पा दामोदर नदी में विसर्जित

रांची (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और आदिवासी समुदाय के प्रख्यात नेता दिशोम गुरु शिबू सोरेन जी की अस्थियों का विसर्जन आज रजरप्पा स्थित दामोदर नदी के घाट पर पूरे पारंपरिक विधि-विधान के साथ किया गया। इस भावनात्मक और पवित्र अवसर पर झारखंड के वर्तमान मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने अपने पिता की अस्थियों को नम आंखों के साथ दामोदर नदी में प्रवाहित किया। उनके साथ छोटे भाई विधायक बसंत सोरेन, परिवार के अन्य सदस्य और नेमरा गांव के ग्रामवासी भी मौजूद रहे।

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन अपने पैतृक गांव नेमरा से स्मृति शेष शिबू सोरेन जी का अस्थि-कलश लेकर रजरप्पा पहुंचे। वहां स्थानीय पाहन (पुजारी) ने पारंपरिक रीति-रिवाजों का पालन कराते हुए अस्थि विसर्जन की प्रक्रिया को संपन्न कराया। इस दौरान सभी धार्मिक अनुष्ठानों का पूरी श्रद्धा के साथ पालन किया गया। अस्थि विसर्जन के समय मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की आंखों में अपने पिता के प्रति गहरी श्रद्धा और उनके निधन की पीड़ा साफ झलक रही थी। यह दृश्य वहां उपस्थित सभी लोगों के लिए भावुक करने वाला था।

शिबू सोरेन, जिन्हें आदिवासी समुदाय में ‘दिशोम गुरु’ के नाम से सम्मानित किया जाता है, उन्होंने झारखंड के विकास और आदिवासी अधिकारों के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया था। उनके नेतृत्व में झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) ने न केवल राज्य के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, बल्कि आदिवासी समुदाय के उत्थान और उनकी संस्कृति के संरक्षण में भी अभूतपूर्व योगदान दिया। उनके निधन से न केवल झारखंड, बल्कि पूरे देश ने एक महान नेता और समाज सुधारक को खो दिया।

इस अवसर पर नेमरा गांव और आसपास के क्षेत्रों से आए लोगों ने शिबू सोरेन जी को श्रद्धांजलि अर्पित की। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने अपने पिता की स्मृति में कुछ पल मौन रखकर उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। इस दौरान वहां उपस्थित लोगों ने भी दिशोम गुरु के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की।

रजरप्पा अपनी मां छिन्नमस्तिका मंदिर के लिए प्रसिद्ध है।  झारखंड के धार्मिक और सांस्कृतिक मानचित्र पर एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। दामोदर नदी का यह घाट धार्मिक अनुष्ठानों और अस्थि विसर्जन के लिए एक पवित्र स्थल माना जाता है। शिबू सोरेन जी की अस्थियों का विसर्जन इस पवित्र नदी में करना उनके प्रति सम्मान और उनकी विरासत को संजोने का प्रतीक माना जा रहा है।

शिबू सोरेन जी के निधन के बाद झारखंड की जनता ने उनके प्रति अपनी गहरी संवेदना और सम्मान व्यक्त किया है। सोशल मीडिया पर भी लोगों ने उनके योगदान को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी।

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