अमित शाह की सभा के बाहर दिव्यांग का आत्मदाह प्रयास: BJP विधायक पर भूमि कब्जे का गंभीर आरोप, चुनावी माहौल में हड़कंप!

नालंदा (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क)। बिहार विधानसभा चुनाव की रणभूमि में नालंदा जिला एक बार फिर सुर्खियों में है। केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा के चाणक्य अमित शाह की चुनावी सभा से महज कुछ कदम दूर एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे राजनीतिक परिदृश्य को हिला कर रख दिया। एक पैर से दिव्यांग व्यक्ति ने खुद पर पेट्रोल डालकर आत्मदाह की कोशिश की, जबकि वह खुद को भाजपा का कट्टर समर्थक बता रहा था।
उसका आरोप था कि स्थानीय भाजपा विधायक डॉ. सुनील कुमार ने उसकी जमीन पर कब्जा करने की साजिश रची है। पुलिस की त्वरित कार्रवाई से जान बच गई, लेकिन यह वाकया बिहार की चुनावी राजनीति में भूमि माफिया, इंसाफ की गुहार और असंतोष जैसे ज्वलंत मुद्दों को फिर से उजागर कर रहा है। आइए, इस सनसनीखेज घटना की हर परत को खोलकर समझते हैं कि क्या यह सिर्फ एक व्यक्तिगत विवाद है या चुनावी वैतरणी पार करने की नई रणनीति?
घटना का पूरा नजारा: सभा स्थल पर मचा हड़कंप
घटना 25 अक्टूबर 2025 की दोपहर की है, जब बिहारशरीफ के श्रमकल्याण केंद्र मैदान में अमित शाह की भव्य चुनावी सभा की तैयारियां जोरों पर थीं। मंच से उद्घोषक की आवाज गूंज रही थी, भाजपा कार्यकर्ता नारे लगा रहे थे, लेकिन मैदान के बाहर सड़क पर एक परिवार का आगमन सबकुछ बदल देने वाला था।
परिवार का मुखिया एक पैर से दिव्यांग अधेड़ व्यक्ति हाथ में तख्ती थामे खड़ा था। तख्ती पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा था- मैं बीजेपी का समर्थक हूं। विधायक व मंत्री डॉ. सुनील कुमार भूमाफिया का पड़ोसी भी हूं, जो मेरा जमीन कब्जा कर रहा है। अमित शाह जी बताइए, मैं भूमाफिया को वोट क्यों करूं?
उसकी पत्नी फूट-फूटकर रो रही थीं और चिल्ला रही थीं कि मुझे इंसाफ चाहिए! मेरे पति को मार डालेंगे ये लोग! उनका क्रंदन सभा की हलचल को मात दे रहा था। अमित शाह अभी मैदान नहीं पहुंचे थे, लेकिन सुरक्षा घेरा कड़ा था। अचानक दिव्यांग ने जेब से पेट्रोल की बोतल निकाली और खुद पर उड़ेलना शुरू कर दिया। आसपास के लोग मोबाइल निकालकर वीडियो बनाने लगे। पेट्रोल की तीखी गंध फैलते ही अफरा-तफरी मच गई।
लेकिन इससे पहले कि वह माचिस जला पाता, तैनात पुलिसकर्मियों ने छलांग लगाई और उसे दबोच लिया। व्यक्ति छटपटाता रहा, पेट्रोल से शरीर में जलन शुरू हो चुकी थी। पुलिस ने उसे गाड़ी में डालकर तुरंत सदर अस्पताल पहुंचाया।
स्थानीय थानाध्यक्ष ने बताया कि अस्पताल चौक पर एक व्यक्ति ने पेट्रोल छिड़का। हमने तुरंत एक्शन लिया और अस्पताल भिजवाया। अभी कोई लिखित शिकायत नहीं आई है। व्यक्ति की हालत स्थिर बताई जा रही है, लेकिन मानसिक आघात गहरा है।
विधायक का घर पास की जमीन कब्जे की साजिश
मीडिया से बातचीत में दिव्यांग की पत्नी ने खुलकर राज खोला। उनका घर आशा नगर में विधायक डॉ. सुनील कुमार के निवास के ठीक बगल में है। परिवार के पास पुश्तैनी जमीन है, जिस पर चहारदीवारी बनाने की हर कोशिश नाकाम हो जाती है। महिला ने आंसू पोछते कहा कि विधायक जी पुलिस भेजकर काम रुकवा देते हैं। नालंदा पुलिस हमेशा उनके इशारे पर नाचती है। हम भाजपा को वोट देते आए हैं, लेकिन अब पार्टी से विश्वास उठ गया है।
परिवार का दावा है कि वे वर्षों से भाजपा के समर्थक रहे हैं, लेकिन स्थानीय स्तर पर भूमाफिया की छवि वाले विधायक ने उन्हें निराश कर दिया। वे अमित शाह से सीधे हस्तक्षेप की मांग कर रहे थे। यह घटना बिहार में भूमि विवादों की कड़वी सच्चाई को उजागर करती है, जहां राजनीतिक रसूख के दम पर जमीन कब्जे आम हैं। नालंदा जैसे इलाके में ऐसे आरोप पहले भी लगते रहे हैं और चुनावी मौसम में ये आग की तरह भड़क उठते हैं।
विधायक ने बताया विरोधियों की साजिश
दूसरी तरफ भाजपा विधायक डॉ. सुनील कुमार ने आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह विरोधियों की सुनियोजित साजिश है। एमएलए बनने के बाद मैंने एक इंच जमीन भी नहीं खरीदी। मेरी पुश्तैनी संपत्ति ही पर्याप्त है। हार के डर से मेरी साफ-सुथरी छवि को धूमिल करने की कोशिश हो रही है। मैं किसी भी जांच के लिए तैयार हूं!
विधायक का तर्क है कि चुनाव नजदीक आने पर ऐसे ड्रामे रचे जाते हैं। अगर कोई सबूत है तो सामने लाएं। भाजपा के स्थानीय नेताओं ने भी इसे चुनावी स्टंट करार दिया, लेकिन सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो ने पार्टी के लिए मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
पुलिस की भूमिका पर सवाल: प्राथमिकी क्यों नहीं?
पुलिस ने जान तो बचा ली, लेकिन कार्रवाई सुस्त है। अभी तक कोई प्राथमिकी (FIR) दर्ज नहीं हुई। थानाध्यक्ष ने कहा कि उन्हें लिखित शिकायत का इंतजार है। विपक्षी दल इसे पुलिस की पक्षपातपूर्ण भूमिका बता रहे हैं। नालंदा पुलिस पर पहले भी भूमि विवादों में प्रभावशाली लोगों के पक्ष में काम करने के आरोप लगे हैं। क्या यह मामला जांच के दायरे में आएगा या चुनावी शोर में गुम हो जाएगा?
वोटिंग पैटर्न में होगा उलटफेर?
अमित शाह की सभा तो सुचारु रूप से संपन्न हो गई, लेकिन घटना के वीडियो X (ट्विटर), फेसबुक और व्हाट्सएप पर वायरल हो चुके हैं। भाजपा समर्थकों में असमंजस है कि एक तरफ पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व, दूसरी तरफ स्थानीय विधायक का विवाद। विपक्ष इसे मुद्दा बनाने में जुट गया है। बिहार चुनाव में भूमि सुधार, भ्रष्टाचार और न्याय हमेशा निर्णायक रहे हैं।
अगर जांच नहीं हुई तो भाजपा की इस सीट पर असर पड़ सकता है। क्योंकि यह घटना न केवल एक परिवार की पीड़ा है, बल्कि बिहार की राजनीति में गहरे जड़ें जमाए भूमाफिया और सत्ता के दुरुपयोग की कहानी है।









