BREAKING EXCLUSIVE: कांके अंचल में जमीन का बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर! DCLR कोर्ट ऑर्डर को CO का ठेंगा
राजस्व कर्मी का शर्मनाक ऑडियो वायरल! पूछता है एक्सपर्ट मीडिया- आदेश की अवहेलना क्यों? किसके दबाव में ‘सिस्टम’ बैठा है?

रांची (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज डेस्क)। झारखंड की राजधानी रांची जिले के कांके अंचल में जमीन माफिया–राजस्व गठजोड़ का एक और बड़ा मामला सामने आया है। जिसमें 25 डिसमिल कृषि भूमि पर फर्जी डीड, फर्जी गवाह, गलत रसीद, दोहरी जमाबंदी और बैकडेटेड म्यूटेशन का संगठित खेल उजागर हुआ है।

सबसे चौंकाने वाली बात➡ DCLR रांची का दिनांक 02.12.2025 का स्पष्ट आदेश कि ‘12 डिसमिल की अवैध जमाबंदी रद्द की जाए’
7 दिन बाद भी लागू नहीं किया गया।
सुनिए आज दिनांकः 11.12.2025 ऑडियो, राजस्व कर्मचारी ने क्या कहा:
‘याद नहीं है… रोज 50 आवेदन आते हैं… आकर मिलिए’
और फिर फोन काट दिया।’
यह ऑडियो अब CO, DCLR, DC, ADC, Chief Secretary तक पहुंच चुका है।
🟥 मामले का पूरा सच: 25 डिसमिल भूमि को कागज़ों में 37 डिसमिल बना दिया!
✔ मूल प्लॉट: RS Plot No. 1335
✔ कुल रकबा: 25 डिसमिल (कृषि योग्य—दोन दो 7)
✔ वैध मालिक:
- प्रथम – 5 डिसमिल
- द्वीतीय – 8 डिसमिल
- तृतीय – 12 डिसमिल
तीनों ने वर्ष 2010 में विधिवत रजिस्ट्री एवं दाखिल-खारिज कराया। तब से कब्जा एवं जमाबंदी एकदम स्पष्ट, निर्विवाद, शांतिपूर्ण।
⚠ फिर भी राजस्व अभिलेखों में घुसाया गया ‘फर्जी 12 डिसमिल’
📌 आरोपी: राज शेखर, पिता–अभय कुमार, बरियातु, रांची दावा: एक रैयत से 12 डिसमिल खरीदी। लेकिन-
📍 न पुरानी रसीद
📍 न दाखिल-खारिज
📍 न बंटवारा
📍 न कब्जा
📍 न जमीन दिखाने का कोई आधार फिर भी म्यूटेशन करा लिया गया!
🔍 EXCLUSIVE DOCUMENT EXPOSE:
राज शेखर की 26.11.2020 की डीड में—
✔ कृषि भूमि को आवासीय दिखाया
✔ गलत प्लॉट (1744, 1746) की रसीद लगा दी
✔ सभी हस्ताक्षर 26.11.2020 के, लेकिन भुगतान 27.11.2020 लिखा
✔ गवाह + विक्रेता की लिखावट एक ही हाथ से लिखी
✔ नोटरी के.के. बरनवाल ने प्रमाणित किया> ‘सभी हस्ताक्षर और लिखावट एक व्यक्ति द्वारा की गई प्रतीत होती है’
➡ यह IPC 420, 467, 468, 471 का क्लासिक केस
➡ और राजस्व अभिलेख में कूटरचना का संगीन मामला
🔴 DCLR आदेश के बाद भी कार्रवाई क्यों रुकी है?
02 दिसंबर 2025 को DCLR ने आदेश दिया: ‘12 डिसमिल की अवैध जमाबंदी रद्द करें। CO कांके जांच कर रिपोर्ट दें।’
लेकिन… आज तक CO/राजस्व कर्मचारी:

❌ रिपोर्ट नहीं
❌ म्यूटेशन रद्द नहीं
❌ पोर्टल अपडेट नहीं
❌ आदेश का अनुपालन नहीं> यह Contempt of Court (Section 2(b) — 1971) की स्थिति बनाता है।
🎤 **राजस्व कर्मचारी का वायरल ऑडियो-
धरातल पर कैसा चलता है ‘सिस्टम’ ‘हमको याद नहीं है… रोज 50 आवेदन आते हैं… आकर मिलिए…’ यानी-
✔ आदेश की कॉपी दी गई
✔ साक्ष्य दिए गए
✔ खुद सीओ ने उन्हें निर्देश दिया
फिर भी ➡ ‘याद नहीं’ का बहाना? ➡ निजी रूप से मिलने का दबाव? यह भ्रष्टाचार के संकेतों को और साफ करता है।
🛑 प्रशासनिक चुप्पी: क्या किसी बड़े संरक्षण का मामला?
ऑडियो और दस्तावेज भेजे गए:
✔ CO
✔ DCLR
✔ ADC
✔ DC
✔ Chief Secretary
फिर भी कार्रवाई नहीं।
⚖ आवेदक की चेतावनी: High Court जाने की तैयारी
आवेदक ने स्पष्ट कहा- ‘अगर DCLR के आदेश का पालन तुरंत नहीं हुआ तो झारखंड हाई कोर्ट में Writ Petition (Mandamus + Certiorari) दाखिल की जाएगी।’
📌 EXPERT MEDIANEWS का सवाल
➤ ‘जब कोर्ट का आदेश नहीं माना जा रहा तो आम नागरिक को न्याय कैसे मिलेगा?’
➤ ‘क्या यह सिर्फ देरी है या संगठित संरक्षण?’
➤ ‘राजस्व विभाग का ऑडियो- भ्रष्टाचार की गवाही नहीं?’
📢 EXCLUSIVE का निष्कर्ष
इसमें कोई शक नहीं है कि अब यह मामला-
✔ झारखंड में भूमि–माफिया
✔ राजस्व अफसर-कर्मियों की मिलीभगत
✔ दोहरी जमाबंदी
✔ फर्जी डीड
✔ बैकडेटेड म्यूटेशन
✔ और DCLR आदेश की अवहेलना का हाई-प्रोफाइल केस बन चुका है। यह सिर्फ एक परिवार की लड़ाई नहीं, यह प्रशासनिक जवाबदेही बनाम भ्रष्टाचार तंत्र की जंग है।



