पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) के अध्यक्ष परमार रवि मनुभाई की नियुक्ति पर विवाद गहराता जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने इस नियुक्ति को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर बिहार सरकार से जवाब तलब किया है।
न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने याचिकाकर्ता और वकील बृजेश सिंह की दलीलों पर विचार करते हुए राज्य सरकार और BPSC अध्यक्ष को नोटिस जारी किया। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने इस जनहित याचिका पर सुनवाई के लिए एक न्यायमित्र भी नियुक्त किया है।
याचिका में 15 मार्च, 2024 को हुई परमार रवि मनुभाई की नियुक्ति को चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ता का तर्क है कि यह नियुक्ति संविधान में निर्धारित मापदंडों का उल्लंघन करती है। जिसमें साफ-सुथरी छवि वाले व्यक्तियों को ही लोक सेवा आयोगों के अध्यक्ष या सदस्य के रूप में नियुक्त करने की बात कही गई है।
याचिका में यह भी दावा किया गया है कि परमार के खिलाफ बिहार सतर्कता ब्यूरो में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के तहत मामला दर्ज है और यह पटना के एक विशेष न्यायाधीश के समक्ष लंबित है। ऐसे में उनकी नियुक्ति संवैधानिक नैतिकता और पारदर्शिता के सिद्धांतों के खिलाफ मानी जा रही है।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता वकील बृजेश सिंह की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि उनका BPSC के कामकाज से कोई प्रत्यक्ष संबंध नहीं है। इसके बावजूद अदालत ने राज्य सरकार से इस विवादास्पद नियुक्ति पर स्पष्टीकरण देने को कहा है।
सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद बिहार सरकार पर जवाब देने का दबाव बढ़ गया है। सरकार को अब यह स्पष्ट करना होगा कि क्या भ्रष्टाचार के आरोपी व्यक्ति को BPSC अध्यक्ष पद पर नियुक्त करना उचित था?
यह मामला राज्य में लोक सेवा आयोग की स्वायत्तता और पारदर्शिता को लेकर भी गंभीर सवाल खड़े कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट के अगले आदेश का इंतजार किया जा रहा है। जिससे यह तय होगा कि बिहार सरकार की यह नियुक्ति बनी रहेगी या रद्द होगी।
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