पटनाचुनाव डेस्कजरा देखिएदेशनालंदाफीचर्डबिग ब्रेकिंगबिहारराजनीति

बिहार विधानसभा चुनाव 2025: लोजपा की एंट्री से राजगीर का चढ़ा सियासी पारा

पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सरगर्मियों के बीच राजगीर विधानसभा क्षेत्र में लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास (LJP (R) की अप्रत्याशित एंट्री ने सियासी माहौल को और रोमांचक बना दिया है। यह सीट लंबे समय से जनता दल (यूनाइटेड) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का गढ़ रही है। लेकिन अब यह एक नए राजनीतिक प्रयोग का गवाह बनने जा रही है।

राजगीर विधानसभा सीट का इतिहास हमेशा से उतार-चढ़ाव से भरा रहा है। आजादी के बाद इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा था और उसने कई वर्षों तक लगातार जीत दर्ज की। लेकिन समय के साथ राजनीतिक परिदृश्य बदला। जनसंघ ने कांग्रेस को कड़ी टक्कर देते हुए इस सीट पर कब्जा किया और दो चुनावों तक अपना वर्चस्व बनाए रखा।

इसके बाद वामपंथी विचारधारा से प्रभावित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) ने जनसंघ को हराकर अपनी पकड़ बनाई। सीपीआई के चन्द्रदेव प्रसाद हिमांशु ने एक दशक तक राजगीर में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई। लेकिन 1980 के दशक में भाजपा के उभार ने स्थिति को फिर से बदल दिया।

भाजपा ने अपनी संगठनात्मक ताकत और हिंदुत्व की राजनीति के सहारे इस सीट को कम्युनिस्टों से छीन लिया।  भाजपा के सत्यदेव नारायण आर्य ने आठ बार विधायक बनकर एक रिकॉर्ड कायम किया। लेकिन क्षेत्रीय दलों के बढ़ते प्रभाव के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुआई में जदयू ने 2015 में इस सीट पर कब्जा जमाया और लगातार दो बार जीत हासिल की।

वर्ष 2025 के विधानसभा चुनाव में राजगीर का सियासी समीकरण एक बार फिर बदल गया है। एनडीए के सीट बंटवारे में यह सीट लोजपा (रामविलास) के खाते में चली गई है। जदयू और भाजपा के बीच इस सीट को लेकर लंबे समय से खींचतान चल रही थी। लेकिन लोजपा ने इस मौके का फायदा उठाते हुए बाजी मार ली। यह बदलाव न केवल जदयू और भाजपा के लिए झटका है, बल्कि पूरे क्षेत्र की सियासत में एक नया रंग भर रहा है।

जदयू के सिटिंग विधायक कौशल किशोर ने इस सीट से अपनी दावेदारी पेश की थी, और नाजिर रसीद भी कटाया था। दूसरी ओर भाजपा के कार्यकर्ता भी इस सीट को वापस लेने के लिए लगातार प्रयासरत थे। लेकिन लोजपा की इस अप्रत्याशित एंट्री ने दोनों दलों के समीकरणों को उलट-पुलट कर दिया।

अब तक यह स्पष्ट नहीं है कि लोजपा राजगीर या नालंदा जिले के भीतर से किसी स्थानीय नेता को मैदान में उतारेगी या फिर बाहर से किसी नेता को आयात करेगी। यह फैसला लोजपा की रणनीति और इस सीट पर जीत की संभावनाओं को तय करने में अहम भूमिका निभाएगा। यदि लोजपा किसी स्थानीय और जमीनी स्तर के नेता को चुनती है, तो उसे मतदाताओं का समर्थन मिलने की संभावना बढ़ सकती है। वहीं बाहरी उम्मीदवार के चयन से स्थानीय असंतोष की आशंका भी है।

राजगीर की जनता में इस बदलाव को लेकर उत्सुकता और चर्चा का माहौल है। कुछ लोग इसे एक नए राजनीतिक प्रयोग के रूप में देख रहे हैं, जबकि कुछ का मानना है कि लोजपा को इस सीट पर अपनी साख साबित करने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। राजगीर के मतदाता हमेशा से उन नेताओं को तरजीह देते हैं, जो स्थानीय मुद्दों जैसे सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए काम करें।

हालांकि लोजपा के लिए यह एक सुनहरा अवसर है, लेकिन चुनौतियाँ भी कम नहीं हैं। उसे न केवल जदयू और भाजपा के मजबूत वोट बैंक से मुकाबला करना होगा, बल्कि विपक्षी दलों जैसे राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस के गठबंधन को भी टक्कर देनी होगी। राजद और कांग्रेस का गठबंधन इस सीट पर अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश में है और स्थानीय मुद्दों को उठाकर मतदाताओं को लुभाने की रणनीति बना रहा है।

लोजपा की रणनीति इस बात पर निर्भर करेगी कि वह अपने अभियान को कितनी प्रभावी ढंग से संचालित करती है। स्थानीय मुद्दों पर फोकस, युवा और महिला मतदाताओं को जोड़ने की रणनीति, और एक मजबूत संगठनात्मक ढांचा लोजपा की जीत की कुंजी हो सकता है।

बहरहाल बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में राजगीर विधानसभा सीट का मुकाबला पहले से कहीं अधिक रोमांचक होने जा रहा है। लोजपा (रामविलास) की अप्रत्याशित एंट्री ने न केवल जदयू और भाजपा के लिए नई चुनौतियाँ खड़ी की हैं, बल्कि पूरे क्षेत्र की सियासत में एक नया आयाम जोड़ा है। अब सारा दारोमदार इस बात पर है कि लोजपा इस मौके को कितनी कुशलता से भुना पाती है। क्या लोजपा इस सीट पर नया इतिहास रचेगी या पारंपरिक दल अपनी खोई जमीन वापस हासिल कर लेंगे? यह तो वक्त और मतदाताओं का फैसला ही बताएगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button