23.1 C
New Delhi
Saturday, September 23, 2023
अन्य

    शिक्षा मंत्री के बयान के बाद झारखंड में उलझी 50 हजार शिक्षकों की नियुक्ति का मामला

    राँची (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क)। झारखंड में पदस्थ हेमंत सरकार की कैबिनेट ने बीते 14 सितंबर को 1932 के खतियान पर आधारित पॉलिसी को मंजूरी दे दी। इसके बाद 11 नवंबर को विधानसभा के विशेष सत्र में यह विधेयक पास करा लिया गया। नाम दिया गया ‘परिणामी सामाजिक, सांस्कृतिक और अन्य लाभों को ऐसे स्थानीय व्यक्तियों तक विस्तारित करने के लिए अधिनियम- 2022’।

    अब इस विधेयक को राज्यपाल के पास भेजा जाएगा। राज्यपाल से मंजूरी मिलने के बाद यूं तो सामान्य विधेयक कानून का रूप ले लेते हैं, लेकिन इस विधेयक को राज्यपाल के आगे भी कई पड़ावों से गुजरना है।

    इस विधेयक को संविधान की नौंवी अनुसूची में डालना है। इसलिए इसे केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा। केंद्र सरकार बिल के रूप में लोकसभा में पेश करेगी। लोकसभा में पेश करने से पहले एक समिति विधेयक की जांच करेगी कि यह विधेयक लीगली कितना सही है।

    जांच यह भी किया जाएगा कि कहीं इस विधेयक से किसी के मौलिक अधिकार का हनन तो हो नहीं रहा है। अगर सारे झंझावातों से यह विधेयक गुजर जाती है तो, इसपर लोकसभा में चर्चा होगी। लोकसभा में बिल पारित होगा। फिर राज्यसभा में बिल को भेजा जाएगा। राज्यसभा में बिल पर चर्चा होगी। राज्यसभा में बिल पास होगा।

    इसके बाद इसे राष्ट्रपति का अनुमोदन प्राप्त करने के लिए भेजा जाएगा। राष्ट्रपति का अनुमोदन प्राप्त होने के बाद ही इसे नौवीं अनुसूची में डाला जाएगा। तब कहीं जाकर यह कानून प्रभावी होगा। जाहिर है, ऐसा तब होगा जब केंद्र और राज्य सरकार के बीच के ताल्लुकात बिल्कुल आइडियल होंगे।

    फिलवक्त राज्य और केंद्र सरकार के बीच जो रिश्ते हैं, वो जगजाहिर हैं। संविधान विशेषज्ञों का कहना है कि इस काम में एक दशक से ज्यादा का भी समय लग सकता है।

    तो क्या ऐसे में राज्य के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो का बहाली को लेकर 1932 खतियान का हवाला देना सही है। वो भी तब जब मामला 50 हजार शिक्षकों की नियुक्ति का हो।

    खबरों के मुताबिक शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो बोकारो परिसदन में पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे। मीडिया को दिए गए बयान में उन्होंने कहा कि 1932 के स्थानीय नीति के आधार पर पहले चरण में राज्य सरकार 25000 शिक्षकों की बहाली करेगी। इस नीति के आधार पर कुल 50000 शिक्षकों की बहाली होनी है। इसे लेकर प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

    उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति लागू कर झारखंड के लोगों को सम्मान दिया है। काफी दिनों से यहां के स्थानीय लोगों को उनका अधिकार नहीं मिल रहा था, इसलिए पहली बहाली की शुरुआत उनके विभाग से होगी।

    इस बयान का मतलब यह निकाला जा रहा है कि जब 1932 खतियान वाला बिल लोकसभा और राज्यसभा से पारित हो जाएगा। नौंवी अनुसूची में शामिल हो जाएगा। तो बहाली की प्रक्रिया पूरी होगी। जिसमें अभी काफी वक्त लगने की बात जगजाहिर है।

    ऐसे में क्या जगरनाथ महतो बहाली निकालने की बात कर रहे हैं या बहाली को टालने की, यह अहम सवाल है।

    2 COMMENTS

    LEAVE A REPLY

    Please enter your comment!
    Please enter your name here

    आपकी प्रतिक्रिया

    विशेष खबर

    error: Content is protected !!