पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। बिहार के शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव (ACS) एस सिद्धार्थ ने एक कार्यक्रम के दौरान प्राइवेट स्कूलों, अभिभावकों और शिक्षा की मौजूदा स्थिति पर बेबाक बयान दिए।
यूट्यूब पर सक्रिय शिक्षा समीक्षकों पर बरसते हुए उन्होंने कहा कि वे कभी प्राइवेट स्कूलों में जाकर शिक्षकों से सवाल नहीं करते।
एस सिद्धार्थ ने कहा, “हमारे यहां सरकारी स्कूलों में सभी शिक्षक बीपीएससी और सक्षमता परीक्षा के बाद ही नियुक्त होते हैं, जबकि प्राइवेट स्कूलों में बिना किसी परीक्षा के ही शिक्षक बहाल किए जाते हैं। केवल ‘टाई-बेल्ट’ और ‘गुड मॉर्निंग’ से शिक्षा नहीं मिल सकती।”
प्राइवेट स्कूलों की कड़ी आलोचनाः प्राइवेट स्कूलों पर खुलकर हमला करते हुए एस सिद्धार्थ ने कहा कि वहां अगर आपका बच्चा बिना नोटबुक, ड्रेस या देर से पहुंचे तो उसे कक्षा में बैठने नहीं दिया जाता। इसके विपरीत सरकारी स्कूलों को लेकर अभिभावक सीरियस नहीं हैं।
उन्होंने जोर देकर कहा, “हम मुफ्त शिक्षा, ड्रेस और मिड-डे मील जैसी सुविधाएं दे रहे हैं। लेकिन अभिभावक इसे गंभीरता से नहीं लेते।”
उन्होंने सरकारी स्कूलों में क्वालिफाइड टीचर्स की मौजूदगी पर जोर दिया और कहा कि प्राइवेट स्कूलों की तरह मनमानी सरकारी स्कूलों में नहीं चलती।
उन्होंने कहा, “प्राइवेट स्कूल में अगर आप अपने बच्चे को बिना टाई, बेल्ट या किताबों के भेजते हैं तो स्कूल उसे कक्षा से बाहर कर देगा या दंडित करेगा। लेकिन सरकारी स्कूलों में हम सख्ती से इन चीजों को नियंत्रित कर रहे हैं,”
ई-शिक्षाकोष और बच्चों की ऑनलाइन उपस्थिति पर नई पहलः एस सिद्धार्थ ने सरकारी स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति को सुधारने के लिए तकनीक आधारित ‘ई-शिक्षाकोष’ योजना पर भी चर्चा की।
उन्होंने बताया कि विद्यालयों में टैबलेट दिए जाएंगे। जिनसे बच्चों की ऑनलाइन फेस अटेंडेंस ली जाएगी। यह सॉफ्टवेयर बच्चों के चेहरे की पहचान करेगा और उसका मिलान ओरिजिनल फेस डेटा से करेगा।
उन्होंने कहा, “बच्चों की उपस्थिति रिपोर्ट शाम के समय ई-शिक्षाकोष के सर्वर पर आएगी और रात भर में चेहरों का मिलान कर अगले दिन मेरी टेबल पर रिपोर्ट पहुंच जाएगी। इससे पता चल जाएगा कि कितने बच्चों की उपस्थिति गलत दर्ज हुई है या कितने छात्रों की उपस्थिति रिपोर्ट में हेरफेर किया गया है। यह नई व्यवस्था जनवरी से लागू करने की योजना है। हालांकि कुछ दिक्कतें आईं तो इसे फरवरी से शुरू किया जाएगा।”
इस प्रणाली के सफल क्रियान्वयन के लिए शिक्षकों और स्कूल स्टाफ की ट्रेनिंग भी की जाएगी, ताकि इस डिजिटल परिवर्तन को सुचारु रूप से लागू किया जा सके।
बहरहाल, एस सिद्धार्थ के बयान से साफ है कि बिहार के सरकारी स्कूलों में शिक्षा सुधार के लिए कई कठोर कदम उठाए जा रहे हैं। जबकि प्राइवेट स्कूलों की मनमानी और अभिभावकों की उदासीनता पर भी गहरी चिंता जताई जा रही है। उनका दो टूक संदेश है कि केवल वर्दी और औपचारिकताओं से शिक्षा नहीं मिलती, बल्कि इसके लिए सच्चे प्रयास और जागरूकता की जरूरत है।
- मजदूरी की जगह मिलता था जहरीली दारू, मौत के बाद मचा हंगामा
- बोकारो में दिवाली जश्न के बीच दहशत, पटाखे की 66 दुकानें जलकर राख
- Bihar Land Survey: स्व-घोषणा आवेदन का सर्वर एरर जारी, रैयत हलकान
- रणजी ट्रॉफी: कर्नाटक ने बिहार को आठ विकेट से हराया, गनी का शतक हुआ बेकार
- Health warning: ऐसे लोग अधिक चावल खाने से करें परहेज