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बिहार पर एक बड़ी आफत, बच्चों को तेजी से दबोच रहा है ये जानलेवा वायरल सिंड्रोम

ये रहस्यमय बुखार बच्चों के हृदय, लीवर, फेफड़े और किडनी जैसे अंग को क्षतिग्रस्त कर रहे हैं। पीड़ित बीमार बच्चों में मल्टी सिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम (एमएसआईएस) जैसे लक्षण मिल रहे हैं, जैसा कि पोस्ट कोविड के मरीजों में अबतक मिल रहे थे....

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एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क डेस्क। एक तरफ जहाँ समूचे बिहार में कोविड संक्रमण की रोकथाम के दिशा-निर्देशों की हर स्तर पर अवहेलना हो रही है, वहीं  बदलते मौसम के बीच स्वास्थ्य जैसी बुनियादि जरुरतों की कसौटी पर फिसड्डी यहाँ के एक बड़े हलके में एक नई मुसीबत सामने आई है।

A big disaster on Bihar this deadly viral syndrome is catching children fast 2एक रहस्यमय वायरल बुखार के रुप में आई यह नई मुसीबत बच्चों को तेजी से अपना शिकार बनाना शुरु कर दिया है। इस बुखार ने चिकित्सकों को भी उलझा कर रख दिया है।

सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि इस वायरल फीवर से पीड़ित बीमार बच्चे कोरोना जांच में भी निगेटिव पाये जा रहे हैं। लक्षणों में पहली नजर में यह वायरल फीवर ही लग रहा है, लेकिन सामान्य वायरल की तुलना में बच्चों को बुखार लंबे समय तक ग्रस्त रख रहा है।

इस रहस्यमय बीमारी के मामले बिहार के जिन जिलों में तेजी से फैल रहे हैं, वहाँ के प्रायः सरकारी अस्पताल खुद भगवान भरोसे चल रहे हैं। अस्पतालों में बच्चों के वार्ड में  बेड की समुचित व्यवस्था नहीं दिख रही है।

बताया जाता है कि प्रवाभित क्षेत्र के अस्पतालों के ओपीडी में आने वाले मरीजों में 50 फीसदी बच्चे बुखार से पीड़ित हैं। कुछ बच्चों की हालत गंभीर हो रही है। उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही है। उनके फेफड़े (लंग्स) पर भी असर पड़ रहा है।

इन बच्चों में तेज बुखार और वायरल निमोनिया के कारण बच्चों के शरीर में ऑक्सीजन लेवल कम हो जा रहा है। ऐसे बच्चों की जान बचाने के लिए उन्हें लंबी अवधिक के लिए भर्ती कराने के आलावे कोई चारा नहीं है।

ईलाज में जुटे चिकित्सकों के अनुसार बच्चों को होने वाला तेज बुखार उनके फेफड़े के अलावा किडनी पर भी असर डाल रहा है, जिससे बच्चों को नेबुलाइजर के जरिये दवा देनी पड़ रही है।

ऐसे में जरुरी है कि बच्चों को उसी तरह से सुरक्षित रखें जैसे कि कोरोना से बचाव के लिए सोशल डिस्टेसिंग का पालन, मास्क का इस्तेमाल आदि का प्रयोग किया जाता है। बुखार होने पर बच्चों को पानी पिलाएं और ठंढे वातावरण में रखें।

चिकित्सकों के अनुसार इस वायरल से पीड़ित बच्चों में बुखार 104 डिग्री तक पहुंच जा रहा है। हाई ग्रेड फीवर की वजह से शरीर के कई अंग प्रभावित हो रहे हैं। इस कारण किडनी, लिवर और लंग्स में संक्रमण मिल रहा है। यह मल्टी सिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम जैसा है।

हालांकि, इन बच्चों में कोविड की पुष्टि नहीं हो रही है। ऐसे में चिकित्सकों को सलाह दी जाती है कि ऐसे बीमार बच्चों का न केवल कोरोना जांच कराएं, बल्कि साथ में एंटीबॉडी जांच (आईजीजी, आईजीएम) जरूर कराएं।

 

 

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