राँची (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क)। अवैध खनन मामले में ईडी शुक्रवार सुबह से झारखंड की सीनियर आइएएस अधिकारी पूजा सिंघल और उनसे जुड़े करीबी व्यक्तियों के ठिकानों पर छापेमारी कर रही है।
छापेमारी के लिए दिल्ली से ईडी के ज्वाइंट डायरेक्टर कपिल राज भी रांची पहुंचे हैं। सुबह से ईडी की चल रही इस मैराथन छापेमारी में 17 करोड़ रुपये नगद मिले हैं। नोटों की गिनती के लिए बैंक से अधिकारियों बुलाया गया है।
ईडी की टीम ने एक साथ झारखंड के रांची, धनबाद, खूंटी, राजस्थान के जयपुर, हरियाणा के फरीदाबाद व गुरुग्राम, पश्चिम बंगाल के कोलकाता, बिहार के मुजफ्फरपुर और दिल्ली में छापे मारे हैं।
ससुर कामेश्वर झा गिरफ्तारः इस मामले में ससुर कामेश्वर झा को बिहार के मधुबनी स्थित घर से गिरफ्तार किया है। पूजा सिंघल के पति और व्यवसायी अभिषेक झा रांची स्थित पल्स हॉस्पिटल के संचालक हैं।
पूरे प्रकरण पर ईडी की आधिकारिक पुष्टि का इंतजार है। चर्चित आइएएस अधिकारी में से एक पूजा सिंघल अक्सर विवादों में रही हैं।
गौरतलब है कि आइएएस अधिकारी पूजा सिंघल के खिलाफ कई मामले की ईडी जांच कर रही है। पूजा सिंघल 2000 बैच की आइएएस अधिकारी हैं।
उपायुक्त कार्यालय तक पहुंचता था कमीशनः हाल ही में मनरेगा घोटाले के एक मामले में झारखंड हाइकोर्ट के आदेश पर पूरे मामले की जानकारी से संबंधित शपथ पत्र ईडी ने दायर की थी।
शपथ पत्र के माध्यम से बताया कि झारखंड के खूंटी जिले में मनरेगा में 18.6 करोड़ रुपये के घोटाले के वक्त पूजा सिंघल उपायुक्त थीं।
इस मामले में वहां के जूनियर इंजीनियर राम विनोद प्रसाद सिन्हा को वर्ष 2020 में बंगाल से गिरफ्तार किया गया था।
आरोपी इंजीनियर ने ईडी को दिये अपने बयान में यह स्वीकार किया था कि कमीशन की राशि उपायुक्त कार्यालय तक पहुंचती थी।
चतरा डीसी रहते अग्रिम भुगतान का आरोपः चतरा में अग्रिम भुगतान करने और पलामू में निजी कंपनी को भूमि ट्रांसफर मामले की जांच भी ईडी कर रही है।
इन दोनों मामलों की चल रही जांच की जानकारी ईडी ने अपने शपथ पत्र के माध्यम से हाइकोर्ट को दी थी।
शपथ पत्र में बताया था कि पूजा सिंघल चतरा जिले में अगस्त 2007 से जून 2008 तक उपायुक्त के पद पर तैनात थीं। आरोप है कि उन्होंने दो एनजीओ को मनरेगा के तहत छह करोड़ रुपये का अग्रिम भुगतान किया था।
इन दोनों एनजीओ में वेलफेयर पाइंट और प्रेरणा निकेतन शामिल हैं। यह राशि मूसली की खेती के लिए आवंटित की गयी थी, जबकि इस तरह का कोई कार्य वहां नहीं हुआ था, जिसकी जांच अभी जारी है।
वहीं पलामू में उपायुक्त रहते हुए पूजा सिंघल पर यह आरोप है कि उन्होंने करीब 83 एकड़ जंगल भूमि को निजी कंपनी को खनन के लिए ट्रांसफर किया था। यह कठौतिया कोल माइंस से जुड़ा मामला है। जिसकी जांच ईडी कर रही है।
दो पदों पर पदस्थापित किये जाने के खिलाफ जनहित याचिकाः हाल ही में भूमि सुधार मंच ने आइएएस अधिकारी पूजा सिंघल को जेएसएमडीसी का अध्यक्ष और खान सचिव दोनों पदों पर पदस्थापित किये जाने के खिलाफ झारखंड हाइकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी।
दोनों पदों पर उनकी नियुक्ति को नियम विरुद्ध बताते हुए किसी एक ही पद पर पदस्थापित करने का आग्रह हाइकोर्ट से किया गया है।
याचिका में कहा गया है कि पूजा सिंघल उद्योग सचिव के पद पर हैं, माइनिंग विभाग की सचिव भी हैं और जेएसएमडीसी की चेयरमैन भी हैं।
प्रार्थी का कहना है कि जेएसएमडीसी से पारित आदेश का अपीलीय अधिकार खनन सचिव के पास होता है। अगर दोनों ही पदों पर एक व्यक्ति पदस्थापित रहेगा तो अपील करने वालों को न्याय नहीं मिल सकेगा।
प्रार्थी के अधिवक्ता के मुताबिक वर्ष 2007-2008 में झारखंड हाइकोर्ट की डिविजन बेंच ने एक आदेश पारित कर कहा था कि जेएसएमडीसी के चैयरमैन के पद पर वैसे अधिकारी की नियुक्ति की जानी चाहिए जो स्वतंत्र प्रभार में हों।
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