पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क)। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक माह तक पुराने बाढ़ एवं नालंदा लोकसभा क्षेत्र की जन संवाद यात्रा के तहत 12 मार्च से 13 अप्रैल तक गांव-गांव घूम रहे थे। उस दौरान केद्रीय इस्पात मंत्री आरसीपी सिंह एक दिन के लिए भी साथ नहीं दिखे। जबकि भाजपा समर्थक आरसीपी के साथ दिख रहे हैं।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 1 अप्रैल से जिले में जन संवाद यात्रा पर थे। वे 13 अप्रैल को बिहारशरीफ नगर के विभिन्न मुहल्लों में लोगों से मिले।
वे हिंदुओं की आस्था के केंद्र बाबा मणिराम का अखाड़ा पहुंचे और इस्लाम धर्मावलम्बियों के बड़े केंद्र मखदूम साहिब की मजार पर भी गए। उन्होंने महत्वपूर्ण बात कही कि आपस में प्रेम-भाईचारा बनाए रखें।
दो दिन पहले 11 अप्रैल को विशाल रामनवमी जुलुस निकाला गया था। बिहारशरीफ में भी खूब उत्तेजक नारे लगाए गए थे।
रामनवमी के उस जुलूस में आरसीपी सिंह के समर्थक भी बढ़-चढ़ कर भाग ले रहे थे। जबकि जब मुख्यमंत्री 13 अप्रैल को आपसी भाईचारे की बात कर रहे थे, तब आरसीपी समर्थक साथ खड़े नहीं दिखे।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 1 अप्रैल से जिले में जन संवाद यात्रा कर रहे थे। इस दौरान जिले के सभी जदयू विधायक, सांसद शामिल हो रहे थे। लेकिन आरसीपी सिंह एक दिन भी शामिल नहीं हुए।
आश्चर्यजनक है कि जब मुख्यमंत्री अमन-चैन और भाईचारा बनाने की बात कर रहे थे, तब आरसीपी सिंह अपने गांव में राम मंदिर की आधारशिला रख रहे थे।
आरसीपी के कार्यक्रमों में भाजपा समर्थक सक्रियता से शामिल हो रहे हैं। दो दिन पहले रामनवमी के जुलूस में आरसीपी समर्थक सक्रिय थे, पर वे लोग 13 अप्रैल को मुख्यमंत्री के साथ कहीं नजर नहीं आए।
आरसीपी की मुख्यमंत्री के कार्यक्रमों से दूरी चर्चा का विषय बना है। लोग कह रहे हैं कि वे वैचारिक रूप से भाजपा के करीब दिख रहे हैं।
उन्होंने कहा कि राजगीर में भी मुख्यमंत्री हिंदू धार्मिक केंद्रों के साथ इस्लामिक धार्मिक केंद्र मखदूम कुंड पर भी गए। उन्होंने मखदूम कुंड की एक मजार पर चादर भी चढ़ाई।
अटकलें हैं कि आरसीपी इस बार राज्यसभा में भाजपा कोटे से जाएंगे। उनका खेमा बिल्कुल अलग ढंग से काम कर रहा है।
फिलहाल, आरसीपी खेमा की भाजपा से करीबी ज्यादा दिख रही है, जबकि जदयू अपेक्षाकृत स्वतंत्र ढंग से काम कर रहा है। लोग मान कर चल रहे हैं कि जल्द ही कुछ बड़ी बात होनेवाली है।
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