“आंदोलित रैयतों ने पथराव किया तो पुलिस ने लाठी चार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े। इसी दौरान गुस्साये लोगों ने प्लांट के बाहर एनटीपीसी के 60 वाहनों में आग लगा दी। उन्होंने प्लांट के निर्माण कार्य में लगी आउटसोर्स कंपनी के दफ्तर और साइट पर भी हमला किया और भारी तोड़फोड़ मचायी….
टंडवा (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क)। चतरा के टंडवा में संचालित एनटीपीसी में रैयतों व ग्रामीणों द्वारा पुलिस पर पथराव व आगजनी मामले में 200 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गयी है। यहाँ एक साथ 60 गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया है।
मामले में कई लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है। आरोपियों से टंडवा थाने में पूछताछ की जा रही है। गिरफ्तार आरोपियों में एक एनटीपीसी कर्मी भी है।
पुलिस ने एनटीपीसी अधिकारियों की लिखित शिकायत व वीडियो फुटेज के आधार पर रैयतों और ग्रामीणों के विरुद्ध मामला दर्ज किया है।
खबरों के अनुसार परियोजना परिसर कार्यालय में हुए हमले के बारे में एनटीपीसी जीजीएम तजेंद्र गुप्ता ने कहा कि रैयतों और ग्रामीणों ने आंदोलन की आड़ में परियोजना व सुरक्षाकर्मियों पर बम से हमला किया था। इसके अलावे दहशत फैलाने के उद्देश्य से पिस्टल का भी प्रयोग किया गया।
जीजीएम ने कहा कि परियोजना कार्यालय पर हमला कर रैयतों ने कार्यालय में लगे करीब दो दर्जन से अधिक कम्प्यूटर व लैपटॉप समेत अन्य उपकरणों को भी लूट लिया।
जीजीएम ने बताया कि 3 सूत्री मांगों के समर्थन में आंदोलन की बात करने वाले भू-रैयतों की मांगे गलत है। 15 वर्ष पूर्व अधिग्रहित भूमि का मुआवजा अभी के दर से मांगा जा रहा है। जबकि सरकारी नियमों और जिला प्रशासन के निर्देशों के अनुरूप उन्हें अधिग्रहण अवधि में ही सारी राशि दी जा चुकी है।
एसपी ने कहा है कि आंदोलन का अधिकार सभी को है, लेकिन आंदोलन की आड़ में गुंडागर्दी कर सरकारी संपत्ति को क्षति पहुंचाने की इजाजत किसी को नहीं मिलेगी। उन्होंने कहा है कि घटना को अंजाम देने वाले सभी आरोपियों की गिरफ्तारी होगी।
बता दें कि चतरा जिले के टंडवा में नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (एनटीपीसी) के खिलाफ पिछले 14 महीने से आंदोलित विस्थापितों और पुलिस के बीच हिंसक झड़प में दोनों ओर से 27 लोग घायल हो गये थे।
गुस्साये लोगों ने एनटीपीसी प्लांट के 60 से ज्यादा वाहनों में आग लगा दी थी। सोमवार शाम को हुए हिंसक टकराव के बाद इलाके में जबर्दस्त तनाव है। पुलिस ने पूरे इलाके को छावनी में तब्दील कर दिया है। उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल के वरीय पुलिस और प्रशासनिक अफसर मौके पर पहुंचे हैं।
मंगलवार को विधानसभा में कई विधायकों ने सदन को इस घटना पर हंगामा किया, जिसके बाद सरकार ने 24 घंटे के अंदर मामले की जांच करवाकर समुचित कार्रवाई की घोषणा की है।
बता दें कि टंडवा में एनटीपीसी का प्लांट वर्ष 1999 से ही निर्माणाधीन है। प्लांट आज तक पूरी क्षमता के साथ ऑपरेशनल नहीं हुआ है। इस प्लांट के लिए जिन स्थानीय ग्रामीणों की जमीन ली गयी है, वो मुआवजा, पुनर्वास, नौकरी से जुड़ी मांगों को लेकर पिछले दो दशकों से आंदोलन कर रहे हैं।
एनटीपीसी प्रबंधन, पुलिस और प्रशासन के साथ दर्जनों बार उनकी झड़प हुई है। कई समझौतों के बावजूद यह मामला आज तक नहीं सुलझा।
पिछले 14 महीनों से विस्थापितों और ग्रामीणों का एक बड़ा समूह एनटीपीसी प्लांट के बाहर लगातार धरना दे रहा था। सोमवार शाम को केमिकल लदा एक टैंकर एनटीपीसी प्लांट के लिए आया था। आंदोलित लोगों ने टैंकर को प्लांट के गेट के बाहर ही रोक दिया। पुलिस ने उन्हें हटाने की कोशिश की तो लोग उग्र हो उठे।
एनटीपीसी और उसके लिए काम कर रही कंपनी को करोड़ों का नुकसान हुआ है। सुरक्षा बलों ने बल प्रयोग कर आंदोलनकारियों को धरना स्थल से खदेड़ दिया। धरना स्थल पर लगाए गए टेंट को भी जेसीबी से उखाड़ दिया गया।
घटना की सूचना पाकर हजारीबाग प्रक्षेत्र के डीआईजी नरेंद्र कुमार सिंह, डीसी अंजलि यादव, एसपी राकेश रंजन, चतरा एसडीपीओ अविनाश कुमार व टंडवा एसडीपीओ शम्भु सिंह दल बल के साथ मौके पर पहुंचे।