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    Tuesday, April 30, 2024
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      करोड़ी नक्सली बूढ़ा दंपति समेत 6 गए जेल, पुलिस रिमांड लेने की तैयारी

      सरायकेला (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क)। एक करोड़ के इनामी हार्डकोर नक्सली प्रशांत बोस के बीते 3 दिनों से पुलिस की गिरफ्त में आने की उड़ती सूचनाओं के बीच रविवार को पहली बार पुलिस के पहरे के बीच नजर आए।

      जिला पुलिस रविवार को 71 वर्षीय प्रशांत बोस उर्फ किशन दा उर्फ बूढ़ा को उनकी पत्नी शीला सहित अन्य चार साथियों वीरेंद्र हांसदा, राजू टूडू, कृष्णा बाहदा एवं गुरुचरण बोदरा को लेकर भारी सुरक्षा के बीच सदर अस्पताल सरायकेला पहुंची।6 crore naxalites including old couple went to jail preparing to take police remand 2

      एसपी अभियान पुरुषोत्तम कुमार, डीएसपी चंदन कुमार वत्स, चांडिल एसडीपीओ संजय कुमार, इंस्पेक्टर राजन कुमार एवं सरायकेला थाना प्रभारी मनोहर कुमार की उपस्थिति में सभी की बारी-बारी से मेडिकल जांच कराई गई।

      मेडिकल जांच में प्रशांत बोस मानसिक व शारीरिक रूप से दुरुस्त पाए गए। जिसके बाद सभी छहों को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में प्रस्तुत किया गया। जहाँ से उन्हें जेल भेज दिया गया।

      बताया गया कि सोमवार को जिला पुलिस नक्सली लीडर प्रशांत बोस को रिमांड में लेने के लिए न्यायालय में अपील करेगी।

      45 सालों से भाकपा माओवादी संगठन के लिए कार्य कर रहे हैं प्रशांत बोसः प्रशांत बोस 60 के दशक में पढ़ाई के दौरान कोलकाता में नक्सली संगठन के मजदूर यूनियन संगठन से जुड़े थे। जिससे प्रभावित होकर वे संगठन के लिए पूर्ण समर्पण से काम करने लगे।

      प्रशांत बोस ने एमसीसीआई के संस्थापक में से एक कन्हाई चटर्जी के साथ  गिरिडीह, धनबाद बोकारो और हजारीबाग के इलाके में स्थानीय जमींदारी प्रथा और महाजनों के द्वारा जनता के शोषण और प्रताड़ना के खिलाफ संथाली नेताओं  द्वारा चलाये जा रहे आंदोलन का समर्थन किया।

      एमसीसीआई के बैनर तले आंदोलन को मुखर करने के लिए ये लोग इस इलाके में आये। इस दौरान रतिलाल मुर्मू के साथ मिलकर धनबाद, गिरिडीह और हजारीबाग के इलाकों में स्थानीय जमींदारों के द्वारा गठित सनलाइट सेना और महाजनों के खिलाफ एमसीसीआई के बैनर तले साल 2008 तक आंदोलन करते रहे।

      इस क्षेत्र के अलावा जमींदारों  द्वारा गठित बिहार के जहानाबाद, भोजपुर और गया के इलाके में सक्रिय रणवीर सेना और पुलिस के खिलाफ लड़ाई लड़ते हुए झारखंड के पलामू चतरा, गुमला, लोहरदगा संथाल परगना और कोल्हान के क्षेत्र में भाकपा माओवादी संगठन को मजबूत किया।

      इस दौरान बिहार झारखंड बंगाल और उड़ीसा राज्य में कई बड़ी नक्सली घटनाओं को अंजाम दिया। साल 1974 में पुलिस द्वारा प्रशांत बोस को गिरफ्तार कर हजारीबाग जेल भेजा गया।

      1978 में जेल से निकलने के बाद प्रशांत बोस दोबारा भाकपा माओवादी संगठन में शामिल हो गये।  पिछले 45 सालों से संगठन के लिए सक्रिय रूप से कार्य कर रहे थे।

      साल 2004 में भाकपा माओवादी संगठन का गठन होने के बाद प्रशांत बोस केंद्रीय कमेटी सदस्य, पोलित ब्यूरो सदस्य, केंद्रीय मिलिट्री कमीशन सदस्य और ईस्टर्न रीजनल ब्यूरो के प्रभारी बनाये गये।

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