पीड़ितः मिथलेश ठाकुर, पिताः स्व. गोपी ठाकुर, गांवः नलडू, थानाः नारदीगंज, जिलाः नवादा (बिहार)। सेवाः वन विभाग के तहत गेस्ट हाउस में रसोईया। फिलहालः राजगीर अनुमंडलीय अस्पताल में भर्ती। शिकारः पुलिस की खुली हैवानियत।
विगत 7 नवबंर,18 की सुबह राजगीर पुलिस ने पकड़ा। उसके बाद रात 2-3 बजे छोड़ दिया। फिर 8 नवबंर,18 को पुलिस ने घर में छापेमारी की। उसके बाद शेखपुरा में बच्ची के घर में छापेमारी की गई।
साथ में मुझे भी रात भर गाड़ी में पुलिस रखे रहा। उसके बाद 9 नवंबर,18 को फिर मुझे ड्यूटी आवर में पकड़ कर लाया गया थाना में। वहां से एक घंटा बाद पुलिस जंगल ले गया।
खुद एसपी (आइपीएस सुधीर कुमार पोरिका), डीएसपी (बिपुसे सोमनाथ प्रसाद), थानाध्यक्ष (बिजेन्द्र कुमार सिंह), सर्किल इंसपेक्टर (उदय कुमार) और कई पुलिस वाले सादी वर्दी साथ में थे। सबने तीन दिनों तक खूब टार्चर किया।
फिर जगंल में ले जाकर बेरहमी से सबने बारी-बारी में मारपीट किया। इस दौरान कई बार वेहोश होकर गिर जाते थे। लेकिन पानी छींट-छींट कर टांग-टांग के मारता था। राजगीर डीएसपी खुद टांगते थे। जब एसपी थाना में बैठे थे।
डीएसपी भद्दी-भद्दी गालियां देते हुए बोलते थे कि एक-ढेड़ लाख रुपया देते हैं, कहीं से टीवी लाके कहीं फेंक दो। बार-बार बोल रहे थे। हम कहां टीवी लाके देते। गरीब आदमी हैं। 10-20 वर्ष से वन विभाग में काम कर रहे हैं। खाना बनाने का काम करते हैं।
खुद एसपी साहेब भी बार-बार बोलते थे कि गछ लो..अरे गछ लो। एक लाख रुपया देते हैं। सबको अच्छी तरह से पहचानते हैं। 5-6 बार से उपर इनको खाना खुद बनाके खिलाए हैं गेस्ट हाउस में……
पीड़ित वनकर्मी (गेस्ट हाउस कुक) मिथलेश ठाकुर की पूरी दर्दनाक आपबीती जानने के लिए देखें वीडियो…..
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