“दारु-बालू की अवैध कमाई से अपनी तोंद फुला रहे पुलिस अब गुंडागर्दी पर उतर आई है। नालंदा जिले के हिलसा प्रभारी थानेदार उमेश कुमार, एसआई राजकुमार यादव ने अपने दल-बल सहित एक निर्दोष युवक के साथ जो गुंडई किया है, उस पर वरीय अफसरों द्वारा कोई कार्रवाई तो दूर संज्ञान तक नहीं लेना काफी गंभीर संकेत देता है….”
एक्सपर्ट मीडिया न्यूज। खबर है कि विगत 14 अक्टूबर की आधी रात में वारंटी को पकड़ने गई हिलसा थाना पुलिस द्वारा दूसरे के दरबाजा खटखटाये जाने पर कारण पूछना एक निर्दोष युवक को काफी महंगा पड़ गया। पुलिस ने न सिर्फ वेरहमी के साथ मारपीट की, बल्कि बारह घण्टे तक हाजत में बन्द कर थर्ड डीग्री का दंड देते रही, उधर युवक दर्द से कराहता रहा।
हालांकि बाद में थाने से युवक को छोड़ दिया गया और फिलवक्त पुलिस की बर्बरता के शिकार हुए निर्दोष युवक का गंभीर हालत में पटना के एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है। यह मामला हिलसा थाना क्षेत्र के सैदनपुर गांव से जुड़ा है।
कहते हैं कि हिलसा थाना क्षेत्र के सैदनपुर गांव निवासी सुरेंद्र कुमार के नाम से किसी मामले में वारंट निकला हुआ था। जिसे पकड़ने के लिये हिलसा थाना पुलिस बीते शुक्रवार की आधी रात करीब दो बजे गांव में पहुंची और वारंटी के घर जाने के बजाय दूसरे के दरवाजा में धक्का दे पुलिस घर में घुस गई।
उक्त घर में मानसिक रोग से ग्रसित चन्द्रकला देवी नामक महिला चिल्लाने लगी। महिला की चिल्लाने पर अनहोनी होनी की आशंका पर बगल के घर मे सो रहा भतीजा गिरधारी कुमार आया। जहां दरवाजे से लेकर घर के अंदर तक पुलिस को अचानक होने पर पहले तो सहम गया।
फिर हिम्मत कर पुलिस के नजदीक गया और आने का कारण पूछा। इतना ही में पुलिस की एक पदाधिकारी ने कहा कि सुरेंद्र कुमार कहां है, उसे पकड़ने आये हैं तो युवक ने कहा कि सर सुरेंद्र का घर ये नहीं है। कही नाम तो गलत नही बता रहे हैं।
युवक ने आगे पूछा कि आपके पास वारंट का नोटिस होगा। एक बार देख लें। नोटिस देखने की बात पर पुलिस बौखला गयी और युवक को पकड़कर वेरहमी से पिटाई करते हुए साथ मे उसके छोटे भाई अजित कुमार को पकड़कर थाने में लाया और हाजत में बन्द कर दिया।
पुलिस की गुंडई यही खत्म नहीं हुआ। दोनों युवक को हाजत से निकाल कर भी पिटाई की और पुलिस के साथ मारपीट करने के झूठे आरोप में फंसाकर जेल भेजने की चेतावनी दी।
उसके बाद इस घटना से नाराज दर्जनों लोग थाने पहुँचे और युवक पर जुर्म की बात पूछते रहे। परन्तु पुलिस पदाधिकारी जुर्म न बताकर सिर्फ जेल जाने की बात कहते रहे।
आखिरकार पुलिस की मनमानी की शिकायत लोगों ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों व वरीय पदाधिकारियो से न्याय की गुहार लगाई। घटना की सच्चाई जानने के बाद वरीय पदाधिकारी के निर्देश पर दोनों भाई को थाने से छोड़ दिया गया।
हालांकि पुलिस की मार से गिरधारी कुमार को काफी गंभीर चोटें आयी है। फिलहाल पटना के एक निजी क्लिनिक में उसका इलाज चल रहा है। इस घटना के बाद पुलिस की मनमानी पर लोगों में आक्रोश साफ तौर पर देखा जा रहा हैं।
पीड़ित गिरधारी कुमार ने बताया कि उसके ऊपर अभी तक किसी प्रकार का आपराधिक या कोई मामला दर्ज नहीं है और आधी रात को वेवजह घर पर पुलिस आना और कारण पूछने पर वेरहमी से मारपीट करना यह कहां का कानून है।
गिरधारी कुमार ने कहा कि पुलिस के द्वारा मेरे साथ जो भी किया गया, वह पुलिस गुंडागर्दी की हद है। पुलिस की मार से उसके गर्दन व रीढ़ की हड्डी में काफी चोट है, जिसका इलाज पटना के एक निजी अस्पताल में हो रहा है। तबियत में सुधार होने के बाद मानवाधिकार आयोग का दरबाजा खटखटाएंगे।
इस सबन्ध में इंस्पेक्टर सुनील कुमार सिंह ने घटना से अनभिगता जाहिर करना भी कम शर्मनाक नहीं है। इस महाशय का कहना है कि थाना का प्रभार उसे शनिवार की शाम को मिला है, इसलिये घटना के बारे में विशेष जानकारी नही हैं।
बहरहाल, हिलसा अनुमंडल क्षेत्र में पुलिस की खुली गुंडई का यह कोई पहला मामला नहीं है। इसके पहले भी हाल के दिनों में कई मामले सामने आ चुके हैं। डीएसपी प्रवीन्द्र भारती के बाद मोस्तफिक अहमद के पदास्थापन के बाद हालात में सुधार की उम्मीद थी, लेकिन यहां करेला पर नीम वाली कहावत चरितार्थ हो रही है।
कुछ दिन पहले एकंगरसराय हल्के में एक जमादार ने आंगनबाड़ी सेविका चयन की बैठक में सरेआम गुंडई की गई थी। उसके वीडियो भी सामने आये थे, लेकिन डीएसपी से लेकर एसपी स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। जाहिर है कि ऐसी वरीय अफसरों की ऐसी लापरवाही से आम लोगों में पुलिस के प्रति आक्रोश बढ़ता है और जिसकी परिणति आए दिन पुलिस पर बढ़ती रोड़ेबाजी, मारपीट, हमला आदि की घटनाओं के रुप में सामने दिख रही है।