अन्य
    Friday, November 22, 2024
    अन्य

      कभी इस कारण छोटी अयोध्या के नाम से शुमार था इस्लामपुर

      नालंदा जिला का  इस्लामपुर… अंग्रेजों ने अपनी पहचान बनाने से बाज नही आए और ईशरामपुर को इसलामपुर में परिवर्तित कर दिया। यहां हिन्दुओं की शान समेटे अनेक देवी देवताओं की 21 मंदिर है। इसी कारण पहले यह नगर ईशरामपुर के नाम जाना जाता थी…….”

      18 वीं शताब्दी में भारत के महान प्रसिद्ध संत लगभग 100 ग्रंथो की संचिता एंव श्री आयोध्या में श्री लक्ष्मण किला के संस्थापक प्रथम रचिकाधिर्चाय श्री युगलानयन शरण जी महाराज की जन्म इस ईशरामपुर मे हुआ था और आयोध्या में इस कस्बा को छोटी आयोध्या के नाम से जाना जाता है।islampur ayodhya 3

      लेकिन 18 वी शताव्दी के अंत में अंग्रेज अपने भ्रमण के दौरान इस जगह का नाम ईशरामपुर से इसलामपुर मे परिवर्तन कर दिया। जो आज भी खानकाह हाई स्कुल के पास इसलामपुर के नाम से टोला है। आज यह टोला इसलामपुर के नाम से ही जाना जाता है।

      बाद में यही इसलामपुर अंग्रेज की शासनकाल में इस्लामपुर के नाम से गजट एंव शर्वे हुआ था। वह स्थान जहा श्री राम के ईश के स्थान है। अर्थात ईशरामपुर की व्याख्या आयोध्या के लक्ष्मण किला के ग्रंथो से किया गया है।

      आज भी पुराने ईशरामपुर, जो वर्तमान मे कई टोला मुहल्ला में स्थित है। इसमें पक्की तलाब, रानाप्रताप नगर, हनुमानगंज, पटेलनगर आदि का निर्माण हुआ,जो मौजुद है।

      यहां 21 मंदिरो में हनुमानगंज सिद्घपीठ वडी महारानी मंदिर, रानाप्रतापनगर आयोध्या ठाकुडवाड़ी, बडी संगत, जैन मंदिर, राधा कृष्ण मंदिर, मनोकामना हनुमान मंदिर, देवी स्थान, पक्की तलाब पर सुर्य मंदिर, शिव मंदिर आदि शामिल है।

      islampur ayodhya 2

      ज्ञात्वय हो कि ईशरामपुर के युगलानयन महाराज को बड़े महाराज के नाम से आयोघ्या मे लोग जानते है और स्वामी विवेकानंद, श्री सीताराम नाम की तत्वज्ञान की जानकारी लेने आयोध्या लक्ष्मण किला पधारे थे।

      परंतु तब तक युगलानयन जी महाराज शरीर त्याग कर चुके थे। इनके शिष्य पंडित जी महाराज ने विवेकानंद को तत्वज्ञान की व्याख्या को समझाया था। वह स्थान एंव कमरा आज भी आयोध्या नगरी मे सुरक्षित है।

      अयोध्या ठाकुरवाड़ी लक्ष्मण किला के वर्तमान किलाधीश मैथलीशरण रमण जी महाराज के द्धारा ईशरामपुर के बड़े महाराज की जन्म दिवस आयोध्या में हर वर्ष साधु संतो द्धारा मनाया जाता है।

      इधर इसी प्रखंड के वेशवक गांव में गढ़ है, जो तीन खंडो मे बंटा है। जहां राजभवन, सेना भवन, जेलखाना था। तब राजा अकबर व उनके सेनापति मानसिंह थे। कश्मीर के प्राचीन प्रशासक युसूफ शाह और हैदर अली दोनों भाई को मानसिंह ने कैद कर वेशवक जेलखाना मे रखा था। दोनों भाई को लौटने नहीं दिया था।

      तब काश्मीर के रहने वाले युसुफ शाह और हैदर अली थे। इसलिए कासमीरीचक नगर बनी, जहां इनके बड़े भाई युसूफ साह का मजार है और छोटे भाइ हैदर अली के नाम पर हैदरचक टोला बना।

      इन दोनों भाईयों के मजार पर कश्मीर के भुतपूर्व मुख्यमंत्री शेखअव्दुला 21 जनवरी 1977 को चादरफोशी करने आये थे। उसी दिन से वेशवक गांव जाने वाली सड़क का नामाकरण शेखअव्दुला के नाम से किया गया। जो आज भी यह सडक शेखअव्दुला के नाम से प्रसिद्ध है।

      islampur ayodhya 1

      वेशवक गांव में एक नेताउ कुआँ है। जिसके जल में औषिधिय गुण पाया जाता है। इस कुआँ की जल से स्नान करने पर चर्मरोग जैसी बीमारी ठीक हो जाता है और गर्मी के दिनों में इस कुआँ के जल से चावल का भात बनाने पर 24 घंटा तक भात खराब नहीं होता है।

      यहां की चावल देश विदेशों में मशहूर है। कुआँ की जल का सेवन टेकारी के महाराज किया करते थे। लेकिन जेलखाना, सेनाभवन, राजभवन देख रेख की अभाव में जमीनदोज हो गया है।

      ग्रामीण दीनानाथ पांडेय के अनुसार यहां प्राचीन देवी देवताओं की प्रतीमाएं हैं और गढ़ की खुदाई करवाने पर प्राचीन चीजें मिलेगी।

      इसी प्रकार इस्लामपुर के जमींदार स्व. चौधरी जहुर शाहब ने वौलीबाग के पास दिल्ली के लालकिला की तर्ज पर दिल्ली दरवार और लखनउ के भुलभुलइया के तर्ज पर बावन कोठरी तीरपन दरवाजा भवन का निर्माण करवाया था। जिसमें नाचधर, धुपघडी, रात्रि प्रहरी के लिए एक नयाव तरीके का गुम्वज वनवाया था, जो आज भी जीर्ण शीर्ण अवस्था में भी अपनी वुलंदी दे रहा है। इसे देखने के लिए लोग बाहर से आज भी यहां आते रहते हैं।

      संबंधित खबर

      error: Content is protected !!