मुकेश भारतीय
रांची। कैंसर से डरने की नहीं बल्कि उससे लड़ने की आवश्यकता है। यदि सही समय पर इस बीमारी की पहचान हो जाए तो इस पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है।
उक्त बातें कैंसर सरवाइवर दिवस के अवसर पर एचसीजी क्यूरी अब्दुर्ज्जाक अंसारी कैंसर इंस्ट्यूट ईरबा में आयोजित एक प्रेस सम्मेलन सह जागरुकता कार्यक्रम में संस्थान के कार्यकारी निदेशक एस.ए. अंसारी ने कही।
उन्होंने कहा कि हाईपर टेंसन, डाईबिटिज और कैंसर जैसे बिमारियों से लड़ने के लिए लोगों में जागरुकता पैदा करने की जरुरत है ताकि, अधिक से अधिक लोग ऐसे खतरनाक बिमारियों के प्रति पहले से हीं सतर्क रहें।
इस कार्यक्रम में रांची और आसपास से आये अनेक कैंसर पीड़ितों ने अपना अनुभव साझा किया और बताया कि जब उन्हें पता चला कि उन्हें कैंसर है तो वह यह मान बैठे कि उनकी जीवन ही खत्म हो गई है। लेकिन इस संस्थान के कैंसर विशेषज्ञों ने अपने सफल ईलाज से उनकी जिन्दगी ही बदल दी है। उनकी जिंदगी फिर से खुशहाल हो गई है।
कैंसर विशेषज्ञ डॉ. रंजीत कुमार सिंह ने कहा कि आज हम रसायनिक खान-पान और प्रदुषित वातावरण के दौर में जी रहे हैं, जो कैंसर के बड़े जनक हैं। उन्होंने कहा कि झारखंड जैसे प्रदेशों में खास कर कोयलांचल और लौहाचंल में खतरनाक जहरीले धूल गर्द से अनेक प्रकार के कैंसर पनप रहे हैं। उन्होंने बताया कि विदेशों में लेंस कैंसर मापने की तकनीक अपनाई जा रही है। वही तकनीक इस संस्थान में क्रियान्वित करने की योजना है। फिलहाल कैंसर से बचाव ही उसका सफल ईलाज कहा जा सकता है। इस मौके पर मुस्तकिम अंसारी, च्न्द्र बनर्जी, मुकेश नंद तिवारी, अरशद नदीम आदि लोग उपस्थित थे।
सबको भावुक कर गया शुभम !
एचसीजी क्यूरी अब्दुर्ज्जाक अंसारी कैंसर संस्थान परिसर में एक साथ मौजूद सभी पीड़ितों ने पौधारोपन कर कैंसर को लेकर दृढ़ संकल्प का परिचय दिया। उनमें राखी बनर्जी, बिन्दु प्रसाद, रुपा मुखर्जी, सुकरी देवी, शिवम कुमार, शहजादी खातून, देबलीना सरकार शामिल हुईं। इनमें शुभम का अपनी मां की गोद से पौधारोपन करना सबको भावुक कर गया। उसे महज साल भर की उम्र में ही ब्लड कैंसर हो गया है। वह ओरमांझी के चाड़ू निवासी उपेन्द्र महतो का पुत्र है। सबकी नजरें उसी मासूम पर टिकी थी। उसने जैसे ही पौधारोपन के बाद पौधे की टहनी पकड़ कर खड़ा हुआ, सबके दिल से यही दुआ निकला कि पौधे संग उसकी भी जिंदगी सदैव लहलाती रहे।
अपने देवर संग ईलाज कराने संस्थान पहुंची उसकी मां ने बताया कि शुभम के कैंसर होने की बात उसे 3 माह पहले ही पता चला है। यहां डॉक्टर साहब कहते हैं कि वह ठीक हो जायेगा। इतना बोल वह फफक कर रो पड़ी।