राजगीर (संवाददाता)। नालंदा जिले के विश्वविख्यात अंतरराष्ट्रीय पर्यटन केंद्र राजगीर में हरे वृक्षों की अंधाधुंध कटाई हो रही है। वन विभाग की जमीन पर कब्जा किया जा रहा है। रसूखदार लोग अपनी जमीन जायदाद और कैंपस विस्तार के लिए वन भूमि पर कब्जा करने के क्रम में हरे वृक्षों की बेरहमी से कटाई कर रहे हैं। इस दौरान समूचा प्रशासन और विभागीय लोग निकम्मा नजर आते हैं।
फिलहाल राजगीर में ‘जीओ और जीने दो’ का संदेश देने वाला एक धार्मिक प्रतिष्ठान वीरायतन यह अपराधिक काम कर रहा है। हालांकि वीरायतन की गतिविधियों को देख इसे विशुद्ध धार्मिक संस्थान कम और पेशेवर संस्थान अधिक कहा जा सकता है।
जानकारी के मुताबिक राजगीर में जैन धर्म का एक धार्मिक प्रतिष्ठान वीरायतन है। वह अपने कैंपस विस्तार के लिए आम जैसे फलदार हरे वृक्षों की बिना किसी के अनुमति से शनिवार को काटने का काम किया है।
नियमानुसार हरे वृक्षों की कटाई के लिए वन विभाग से स्वीकृति और अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना अनिवार्य है। हालांकि वन विभाग का खुद की जमीन पर खुद का सौंदर्य नष्ट करने की अनापत्ति जारी करने का सबाल ही नहीं है।
लेकिन सुशासन की इस माहौल में वीरायतन के मैनेजर और साध्वियों ने वन विभाग से स्वीकृति लेना प्रतिष्ठा के अनुकूल नहीं समझा।
उनके बिना अनुमति के ही हरे वृक्षों की कटाई किया है। यह वृक्ष काफी मोटा और बड़ा है। इसकी पहचान कटे वृक्ष की जड़ एवं अन्य भाग से होता है।
एक तरफ पर्यावरण एवं वन विभाग धरती के 17 प्रतिशत भूभाग पर वृक्षारोपण के लिए जबरदस्त अभियान चलाए हुए हैं। वहीं इसके बावजूद विश्वस्तरीय ख्याति प्राप्त पर्यटन स्थल राजगीर में हरे वृक्षों की बेरहमी से कटाई हो रही है ।
वीरायतन द्वारा हरे वृक्ष की कटाई का मामला पूरे शहर में जंगल की आग की तरह फैल गई है।
इसकी सूचना डीएफओ से लेकर डीएम समेत सचिवालय स्तर के पदाधिकारियों को भी स्थानीय नागरिकों के द्वारा भेजी गई है।